हर रोज दर्द झेल रही हैं रेप पीड़िताएं, खौफनाक दास्तां सुन नहीं रोक पाएंगे आंसू

punjabkesari.in Saturday, Dec 07, 2019 - 11:50 AM (IST)

नेशनल डेस्क: यह घटना फरवरी 2015 की है। पूर्वी दिल्ली के सीलमपुर इलाके में रहने वाली युवती निर्मला (काल्पनिक नाम) के माता पिता रोज की तरह काम पर गए हुए थे। छोटा भाई स्कूल गया था। पड़ोस में रहने वाला शख्स जोकि आए दिन उसके घर आता था और वह उसे चाचा जी कहती थी। उस दिन भी वह उसके घर में आया। उसने उससे पानी की मांग की। जैसे ही वह अंदर के कमरे में पानी लाने गई, आरोपी ने दरवाजा बंद कर दिया। उसके पीछे कमरे में पहुंच गया। इससे पहले कि वह कुछ समझ पाती उसके साथ आरोपी ने रेप की वारदात को अंजाम दिया। जाते हुए किसी को बताने पर पूरे परिवार को खत्म करने की धमकी दी। इसके बाद यह सिलसिला कई दिनों तक चलता रहा। अंत में परेशान होकर उसने अपनी मां से आपबीती बताई थी। 

 

पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया था। करीब एक साल तक वह जेल में रहा, फिर उसे जमानत मिल गई। अब पांच सालों से वह कोर्ट के चक्कर लगा रही है। स्थिति यह है क उस घटना के बाद जहां आरोपी जेल से वापस लौट खुलेआम घूम रहा है, वहीं वह शर्म के मारे अपने और अपने परिवार के साथ मोहल्ला छोड़कर किसी और स्थान पर आकर रहने को मजबूर है। 

 

6 माह बाद भी बच्ची उस हादसे से उबर नहीं पाई है 
पीड़िता का पिता हरमन सिंह (काल्पनिक नाम) ने कहा कि मैं गोकुलपुरी इलाके में रहता हूं। मैं और मेरी पत्नी दोनों काम करते हैं। घर में एक 12 साल का बेटा और आठ साल की बेटी है। गत जून माह की घटना है। रोज की तरह बच्ची शाम के समय घर के बाहर खेल रही थी। थोड़ी देर बाद जब वे लोग घर के बाहर उसे खोजने निकले तो वह नहीं मिली। आस पास के घरों में जाकर तलाश किया पर कुछ पता न चला। इसके बाद पुलिस को फोन किया। मौके पर पहुंची पुलिस ने आस पास तलाश शुरू की। करीब एक घंटे बाद पुलिस को सूचना मिली की घर से करीब 400 मीटर की दूरी पर झाडिय़ों में एक बच्ची खून से लथपथ मिली है।


मौके पर पहुंची पुलिस ने बच्ची को तत्काल अस्पताल पहुंचाया था। जब पुलिस ने जांच शुरू की तो एक शख्स ने बताया कि उसने इलाके में ही रहने वाले एक लड़के को उसके साथ देखा था। पुलिस उस लड़के की तलाश करते हुए इलाके से ही नशे की स्थिति में दबोच लिया था। जांच में बता चला कि वह नबालिग है और नशे में धुत होकर वारदात को अंजाम दिया था। पुलिस ने उसे पकड़ बाल सुधार गृह भेज दिया था, पर पता चला कि नाबालिग होने के कारण कुछ समय पहले ही उसे रिहा कर दिया गया है। दूसरी ओर मेरी बेटी आज भी उस घटना से उबर नहीं पाई है। रोज हम उस दर्द को झेल रहे हैं। पता नहीं कभी वह इससे उबर भी पाएगी या नहीं।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

vasudha

Recommended News

Related News