सीडीसी की रिपोर्ट में सामने आया सच, कोरोना से बचाव के लिए 6 फीट की दूरी भी काफी नहीं

punjabkesari.in Sunday, May 09, 2021 - 04:44 PM (IST)

नेशनल डेस्क: इस समय पूरी दुनिया में वैज्ञानिकों से लेकर बड़े-बड़े शोधकर्ताओं तक जानलेवा बीमारी कोरोना वायरस पर रिसर्च कर रहे हैं। यूएस सेंटर फॉर डिजीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) ने कोरोना वायरस पर की गई एक स्टडी के बाद इस बात की पुष्टि कर दी है कि यह वायरस हवा के जरिए (एरोसोल ट्रांसमिशन से) फैलता है। इसका मतलब है कि अगर लोग एक-दूसरे से दो क्या छह फीट की दूरी पर भी खड़े होते हैं तो भी वे हवा में मौजूद वायरस से संक्रमित हो सकते हैं।

कार्यस्थलों पर बहुत अधिक ध्यान देने की है जरूरत

डॉक्टर माइकल का कहना है कि बंद कमरे या दफ्तर कोरोना वायरस के प्रसार के लिए नया केंद्र हो सकते हैं। कोरोना वायरस हवा में मौजूद सूक्ष्म कण में कई घंटों तक जीवित रह सकता है और ऐसे स्थान पर जहां खुली हवा नहीं पहुंचती उसके जीवित रहने की संभावना अधिक है। वर्जिनिया टेक्नोलॉजी की एरोसोल एक्सपर्ट प्रोफेसर लिन्से मार का कहना है कि कार्यस्थलों पर बहुत अधिक ध्यान देने की जरूरत है। दफ्तर में काम करने वाले सैकड़ों कर्मचारियों के लिए एक संक्रमित कर्मचारी मुश्किल खड़ी कर सकता है।

इस रिपोर्ट में सीडीसी ने बताया है कि सांस लेने और छोड़ने के दौरान निकलने वाली बूंदों के रूप में यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में प्रवेश करता है। यह इतना ताकतवर है कि मानव कोशिकाओं में आसानी से घुसपैठ करने की क्षमता रखता है। यह जब एक बार शरीर के अंदर प्रवेश कर लेता है तो वहां पर ही संक्रमण फैलना शुरू कर देता है। अमेरिकी सीडीसी की वेबसाइट पर अपडेट किए गए दिशा-निर्देशों में जानकारी दी गई है कि जब कोई सांस छोड़ता है या किसी से बात करते समय कुछ बोलता है तो उस वक्त से यह वायरस हवा में मिल जाता है और लंबे समय तक सक्रिय रहता है। माना जा रहा है कि मुंह से निकली हुई बड़ी या छोटी बूंदें घंटों तक हवा में मौजूद रहती हैं और यही वजह है कि संक्रमण तेजी से फैल रहा है।


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Content Editor

Hitesh

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