कोविशील्ड की दोनों खुराक लेने के बाद भी 16 फीसदी नमूनों में नहीं मिली डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ एंटीबॉडी: अध्ययन

punjabkesari.in Sunday, Jul 04, 2021 - 06:08 PM (IST)

नेशनल डेस्क: कोविशील्ड टीके को लेकर एक नए अध्ययन में यह दावा किया गया है कि कोविशील्ड टीके की दोनों खुराक लगवा चुके लोगों के 16.1 फीसदी नमूनों में कोरोना वायरस के डेल्टा वेरिएंट (बी1.617.2) के खिलाफ एंटीबॉडी नहीं पाई गईं है। इसके अलावा इसमें यह भी बताया गया है कि जिन लोगों को कोविशील्ड टीके की एक खुराक लगाई गई है, ऐसे लोगों के 58.1 फीसदी नमूनों में डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ एंटीबॉडी नहीं देखने को मिली है। यह अध्ययन इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के शोधकर्ताओं ने किया है।

इस अध्ययन से यह संकेत मिल रहा है कि जिन लोगों को कोविशील्ड की दोनों डोज़ लग चुकी है उन्हें भी एक अतिरिक्त बूस्टर डोज़ लेने की जरूरत पड़ सकती है। इससे यह भी पता चला है कि टीके से बॉडी में बने एंटीबॉडी के ट्राइटेस ही कोरोना वायर को निशान बनाते हैं और उसे खत्म करते हैं।

कोविड-19 महामारी मॉडलिंग से संबंधित एक सरकारी समिति के एक वैज्ञानिक ने कहा है कि अगर सही से नियमों का पालन नहीं किया जाता तो कोरोना वायरस की तीसरी लहर अक्तूबर-नवंबर के बीच चरम पर पहुंच सकती है। ऐसे में दूसरी लहर के दौरान दर्ज किए गए दैनिक मामलों के आधे मामले देखने को मिल सकते हैं। कोविड के गणितीय अनुमान पर काम कर रहे मनिंद्र अग्रवाल ने कहा कि यदि वायरस का कोई नया स्वरूप पैदा हो जाता है तो तीसरी लहर तेजी से फैल सकती है।


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Content Editor

Hitesh

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