लखीमपुर खीरी में क्यों जुटे हैं देश भर के किसान

punjabkesari.in Friday, Aug 19, 2022 - 06:16 PM (IST)

संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े किसान यूपी के लखीमपुर खीरी में धरने पर बैठे हैं. 75 घंटे के धरने के जरिये लखीमपुर हिंसा में मारे गए किसानों को न्याय और केंद्रीय मंत्री अजय मिश्र टेनी की बर्खास्तगी जैसी मांगें रखी गई हैं.लखीमपुर खीरी में मंडी समिति के मैदान पर 18 से 21 अगस्त तक चलने वाले इस धरने में शामिल होने के लिए पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड जैसे कई राज्यों से हजारों किसान लखीमपुर खीरी पहुंचे हैं. भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत, योगेंद्र यादव, मेधा पाटेकर समेत किसानों की मांगों का समर्थन करने वाले भी कई लोग धरना स्थल पर हैं. किसानों की मांग डीडब्ल्यू से बातचीत में भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा, "हमारी मांग है कि तिकुनियां कांड में चार किसानों और एक पत्रकार की हत्या के मामले में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्र टेनी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उन्हें मंत्रिमंडल से बर्खास्त किया जाए. इसके अलावा बीजेपी कार्यकर्ता की मौत के मामले में गिरफ्तार निर्दोष किसानों को तुरंत रिहा किया जाए और उनके खिलाफ केस वापस लिए जाएं.” राकेश टिकैत के मुताबिक संयुक्त किसान मोर्चे की यह भी मांग है कि सभी फसलों के लिये स्वामीनाथन आयोग के आधार पर एमएसपी की गारंटी और सभी फसलों की बिकवाली एमएसपी के ऊपर होने की गारंटी देने वाला कानून केंद्र सरकार जल्द बनाए. यह भी पढ़ेंः मुफ्त सेवाओं के खिलाफ मुहिम के बीच केंद्र ने बनाई नई एमएसपी समिति धरना स्थल पर हजारों किसानों के जमावड़े को देखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा के तमाम इंतजाम किए हैं. हालांकि किसानों का आरोप है कि उन्हें वहां तक पहुंचने से रोकने की कोशिश की जा रही है. वहीं राकेश टिकैत ने प्रशासन की ओर से जरूरी सुविधाएं ना होने का आरोप लगाते हुए चेतावनी दी है कि यदि किसानों के लिए पानी और शौचालय की व्यवस्था ना हुई तो किसान सभी जिला मुख्यालयों पर धरना देंगे. तिकुनियां कांड किसान नेता योगेंद्र यादव ने मीडिया से बातचीत में कहा कि लखीमपुर खीरी के तिकुनियां में पिछले साल जो कुछ हुआ वो जलियांवाला बाग कांड से कम नहीं था लेकिन बीजेपी सरकार उसकी जांच नहीं करा रही है. उनका कहना था, "घटना के मुख्य सूत्रधार टेनी को बर्खास्त करने और जेल भेजने की बजाय उन्हें मंत्रिपरिषद में बनाए रखा गया है. बीजेपी उनकी जांच क्यों नहीं करा रही है? एफआईआर में एक बार नहीं दो बार टेनी का नाम है, फिर भी उन्हें नामजद क्यों नही किया गया है.” किसान केंद्र सरकार से कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर चले आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज मामलों को वापस लेने की भी मांग कर रहे हैं. करीब साल भर चले इस विरोध प्रदर्शन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के परिवारों को मुआवजा भी किसानों की प्रमुख मांग है. पिछले साल 3 अक्टूबर को लखीमपुर खीरी के तिकुनिया में एक कार्यक्रम के दौरान चार किसानों समेत आठ लोगों की मौत हो गई थी. कार्यक्रम केंद्रीय मंत्री अजय मिश्र टेनी के गांव में हो रहा था जिसमें उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को भी पहुंचना था. किसान कानूनों के विरोध में कुछ किसान काले झंडे दिखाने के लिए रास्ते में इकट्ठा हुए थे. आरोप हैं कि अजय मिश्र टेने के बेटे आशीष मिश्र ने अपनी गाड़ी प्रदर्शनकारियों पर चढ़ा दी जिससे चार किसानों की मौत हो गई. इस मामले में आशीष मिश्र मोनू समेत 13 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई और सभी को जेल भेज दिया गया. इसके अलावा चार किसानों पर भी बीजेपी कार्यकर्ता की हत्या का आरोप लगा जिनमें दो लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. हादसा नहीं साजिश तीन जनवरी को विशेष जांच दल यानी एसआईटी ने सीजेएम अदालत में 14 अभियुक्तों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था. इसमें मुख्य अभियुक्त केंद्रीय मंत्री अजय मिश्र टेनी के बेटे आशीष मिश्र मोनू हैं. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर एसआईटी का गठन किया गया था जो पूरे मामले की जांच कर रही थी. एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि यह हादसा नहीं बल्कि सोची-समझी साजिश थी. इस घटना के बाद दिल्ली की सीमाओं पर तीन कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसानों के विरोध प्रदर्शन में जैसे उबाल आ गया हो. किसान आक्रोशित हो गए थे और बड़ी संख्या में किसानों ने लखीमपुर खीरी का रुख किया. किसानों ने चारों ओर इस घटना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किए. केंद्रीय मंत्री अजय मिश्र की सरकार से बर्खास्तगी की तभी से मांग हो रही है. लखीमपुर घटना के करीब डेढ़ महीने बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की जिसे संसद के अगले ही सत्र में वापस ले लिया गया. इस दौरान संयुक्त किसान मोर्चा और सरकार के बीच किसानों की तमाम मांगों को पूरा करने संबंधी आश्वासन के बाद किसानों का दिल्ली की सीमाओं पर करीब एक साल से जारी धरना-प्रदर्शन खत्म हो गया. हालांकि किसानों का आरोप है कि हैं और उन्हीं वादों को निभाने की मांग के लिये लखीमपुर में किसानों ने सांकेतिक धरने का आयोजन किया है.

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