''रेपिस्ट को फांसी नहीं, उन्हें घुट-घुट कर मरने देना चाहिए''- 7 साल की मासूम से रेप पर भड़के जज का बड़ा बयान

punjabkesari.in Friday, Mar 25, 2022 - 01:16 PM (IST)

दुर्ग: 7 साल की मासूम से रेप के मामले में छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिला न्यायालय  में जज की एक अहम टिप्पणी इन दिनों खूब सुर्खियों में है। बच्ची से कुकर्म के मामले में विशेष कोर्ट के अपर सत्र न्यायाधीश अविनाश के त्रिपाठी ने आरोपी को मृत्युदंड की सजा देने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने आरोपी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। 
 

बता दें कि 30 जनवरी 2021 को भिलाई के वैशाली नगर थाना क्षेत्र में रहने वाले 22 वर्षीय रजत भट्टाचार्य ने 7 साल की बच्ची को अपनी हवस का शिकार बनाया था। बच्ची की मां का देहांत हो गया है और उसके पिता नौकरी के चलते सुबह 10 से रात 9 बजे तक घर से बाहर रहते हैं, आरोपी ने इसी का फायदा उठा कर शाम करीब 7 बजे जब बच्ची घर में अकेली थी तो उसके साथ कुकर्म की घिनौनी वारदात को अंजाम दिया। 
 
घटना की सूचना मिलने पर पीड़िता के पिता ने वैशाली नगर पुलिस थाने में एफआईआर करवाई, जिसके बाद आरोपी को गिरफ्तार किया गया। प्रकरण में 23 मार्च 2022 को स्पेशल कोर्ट ने फैसला दिया और आरोपी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई इसके साथ ही पीड़िता को साढ़े 6 लाख रुपये मुआवजा राशि देने का भी आदेश दिया गया।

 
वहीं केस की सुनवाई के दौरान  न्यायाधीश अविनाश के त्रिपाठी ने अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि ‘यदि आरोपी को मृत्युदंड दिया जाता है तो वह अपने कुकर्माें का प्रायश्चित नहीं कर पाएगा एंव अपने मानव जीवन से मुक्ति पा जाएगा तथा वह इस मानव योनी से मुक्त भी हो जाएगा, इसके विपरित यदि आरोपी को शेष प्राकृतकाल के लिए आजीवन कारावास का दंड दिया जाता है ताकि वह अपने कुकर्मों का जीवनकाल तक सोच-सोच के घुटन में मानसिक रूप से मृत्यु को प्राप्त करता रहेगा। इस तरह के आरोप में सुधार की कोई गुंजाइश नहीं है और वे समाज में दोबारा शामिल होने के लायक नहीं हैं।  
 


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Content Writer

Anu Malhotra

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