भारत में मिला कोरोना का डेल्टा प्लस वेरिएंट, जानें कितना खतरनाक है ये?
punjabkesari.in Thursday, Jun 17, 2021 - 05:38 AM (IST)
नई दिल्ली: कोरोना की दूसरी लहर की रफ्तार भले ही धीमी पड़ रही है लेकिन अभी भी लापरवाही भारी पड़ सकती है। केंद्र सरकार की तरफ से कोरोना के नए वेरिएंटकी जानकारी दी गई है। कोरोना का जो नया वेरिएंट सामने आया है वो पिछले Delta Variant से मिलता जुलता है। इसे AY.1 या डेल्टा प्लस वेरिएंट (Delta Plus Variant) नाम दिया गया है।
डेल्टा प्लस वेरिएंट डेल्टा वेरिएंट का म्यूटेशन है। कोरोना की दूसरी लहर के दौरान वायरस की चपेट में आए ज्यादातर लोग डेल्टा वेरिएंट के शिकार हुए थे। वैज्ञानिकों के मुताबिक डेल्टा वेरिएंट ही म्यूटेट होकर डेल्टा प्लस बन गया।
कोरोना का हर पल स्वरूप बदलना ही इस वायरस को खतरनाक बना रहा है। एक बार फिर वायरस के म्यूटेशन ने चिंता जरूर बढ़ाई है लेकिन जानकारों का कहना है कि अभी तक ये डेल्टा प्लस वेरिएंट चिंताजनक वेरिएंट नहीं बना है। हालांकि सरकार इस पर काम कर रही है।
सरकार की ओर से कहा गया है कि 'म्यूटेशन एक जैविक तथ्य है। हमें बचाव के तरीके अपनाने होंगे। हमें इसे फैलने का अवसर मिलने से रोकना होगा।' यानी की कोरोना प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन जरूरी है। अगर हमने लापरवाही की तो शायद एक बार फिर मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
डेल्टा प्लस वेरिएंट, B.1.617.2 स्ट्रेन के म्यूटेशन से बना है। म्यूटेशन का नाम K417N है और कोरोना वायरस के स्पाइक प्रोटीन में यानी पुराने वाले वेरिएंट में थोड़े बदलाव हो गए हैं, इस वजह से नया वेरिएंट सामने आया है। हालांकि नीति आयोग के मुताबिक ‘डेल्टा प्लस’ वेरिएंट इस साल मार्च से ही हमारे बीच मौजूद है।
भारत में दूसरी लहर के दौरान कहर ढा चुका कोरोना का डेल्टा वेरिएंट अब पूरी दुनिया में फैल गया है। अब तक, दुनिया भर में इस वैरिएंट के 156 सैंपल सामने आए हैं। इसका पहला सैंपल मार्च में यूरोप में पाया गया था। कई देश इसे 'इंडियन वेरिएंट' भी कह रहे हैं। डेल्टा ने भारत में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान जमकर तबाही मचाई है।
वहीं एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने बुधवार को कहा कि कोरोना वायरस का डेल्टा प्लस संस्करण भारत में उपलब्ध टीकों की प्रभावशीलता को प्रभावित कर सकता है, लेकिन यह अभी भी वैरिएंट के खिलाफ प्रभावी होगा। डेल्टा प्लस अभी तक चिंता का विषय नहीं है। वरिष्ठ डॉक्टर ने कहा कि लोग टीका लगने के बाद ही वायरस से संक्रमित हो सकते हैं लेकिन हमारा मुख्य उद्देश्य मौतों और गंभीर बीमारी को रोकना है।