दिल्ली एनसीआर को प्रदूषित हवा से मिल सकती है राहत, जानें आज का AQI

punjabkesari.in Tuesday, Nov 26, 2019 - 10:10 AM (IST)

नेशनल डेस्क: राजधानी में ठंड के दस्तक के साथ ही प्रदूषण का स्तर कम हो रहा है। अब हवा ‘बहुत खराब’ की श्रेणी से सुधर कर ‘खराब’ हो गई है। मंगलवार को बूंदाबांदी के बावजूद अगले दो-तीन दिन यह खराब रहने के पूर्वानुमान जताए गए हैं। हालांकि पराली जलाने के मामले 463 दिखाई दे रहे हैं लेकिन हवा की ऊपर से बहने के चलते वह दिल्ली में प्रदूषण का कारण नहीं बन पा रही है।

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सफर (सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च) के अनुसार दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक सोमवार सुबह 218 दर्ज किया गया जबकि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने औसतमन 24 घंटे में इसे 252 दर्ज किया गया। दिल्ली-एनसीआर में रविवार को हवा चलने से प्रदूषण का स्तर गिरा है। मंगलवार को दिल्ली के दो-तीन इलाकों का रंग ही लाल दिखाई दिया बाकी सभी जगह प्रदूषण का स्तर लाल रंग में नहीं दिखा। अधिकांश इलाकों में प्रदूषण का स्तर खराब ही दर्ज किया जो कि नारंगी रंग में दिखाई दिया। जबकि मुंडका, बवाना, द्वारका ही ऐसे स्थान थे जहां 300 से अधिक एक्यूआई दर्ज किया गया। 

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फसलों में बदलाव के प्रति जागरूक किया जाए 
धान की बुआई मानसून में की जाती है और फिर तुरंत सर्दी शुरू होते ही गेहूं की बुआई भी कृषि अवशेष जलाने की एक वजह है। दोनों फसलों की कटाई और बुआई में बमुश्किल 10 से 15 दिन का समय होता है और किसान तेजी से खेतों को खाली करने में जुट जाते हैं ताकि वह अगली फसल बो सकें। किसानों को प्रति हेक्टेयर लगभग 40 लाख लीटर पानी की आवश्यकता होती है और लगभग 25 लाख किसान करीबन 40 लाख हेक्टेयर जमीन पर धान की खेती कर रहे हैं। इस तरह 40 लाख लीटर पानी प्रति हेक्टेयर में 40 लाख हेक्टेयर का अर्थ है लगभग 16 अरब लीटर पानी का इस्तेमाल एक फसल में किया जाता है और इसमें भूजल का अधिक इस्तेमाल होता है। इससे एक ओर जहां भूजल दोहन हो रहा है वहीं जलसंकट की संभावनाएं बढ़ रही हैं। 
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vasudha

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