जनसंख्या नियंत्रण याचिका पर सुनवाई करने से दिल्ली हाईकोर्ट का इनकार

punjabkesari.in Tuesday, Sep 03, 2019 - 06:33 PM (IST)

नई दिल्लीः दिल्ली उच्च न्यायालय ने देश की बढ़ती जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए दो बच्चों के नियम समेत कुछ खास कदमों को लागू करने की मांग करने वाली एक याचिका पर सुनवाई करने से मंगलवार को इनकार कर दिया।

मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति सी हरिशंकर की पीठ ने कहा कि कानून बनाने का काम संसद और राज्य विधानमंडलों का है न कि इस अदालत का। उसने कहा कि इस अदालत का प्राथमिक कार्य कानून की व्याख्या करना है न कि कानून बनाने का निर्देश देना या सुझाव देना। अदालत ने कहा कि संसद और राज्य विधानमंडलों ने कानून बनाने के लिए पर्याप्त तंत्र विकसित कर लिये हैं और उन्होंने इस विषय पर सिफारिश देने के लिए आयोग भी गठित किये हैं।

कानून बनाने का जिम्मा विधानमंडल के पास
पीठ ने कहा, ‘‘ संसद और राज्य विधानमंडल की प्राथमिकता के अनुसार कानून बनाने का जिम्मा उन पर छोड़ा जाता है।'' अदालत ने भाजपा के नेता और वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय की याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी कि ‘ हमें इस पर विचार करने का कोई कारण नजर नहीं आता।'

भारत की जनसंख्या चीन से आगे
न्यायमूर्ति वेंकटचलैया की अगुवाई वाले राष्ट्रीय संविधान कार्यप्रणाली समीक्षा आयोग की जनसंख्या नियंत्रण संबंधी सिफारिशों को लागू करने की प्रार्थना पर पीठ ने कहा कि यह सरकार के अधिकारक्षेत्र में आता है। याचिका में कहा गया है कि भारत की जनसंख्या चीन से आगे निकल गयी है क्योंकि 20 फीसद जनसंख्या के पास आधारकार्ड नहीं है और ऐसे में उनकी गिनती नहीं हो पाती है। दूसरा देश में करोड़ों रोहिंग्या और बांग्लादेशी अवैध रूप से रह रहे हैं।

याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि जनसंख्या विस्फोट बलात्कार एवं घरेलू हिंसा जैसे घृणतम अपराधों को बढ़ावा देने के अलावा भ्रष्टाचार की मूल वजह है। जनसंख्या नियंत्रण के बिना स्वच्छ भारत और बच्चियों को बचाओ अभियान सफल नहीं होंगे।

 


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Yaspal

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