अदालत ने जताई हैरानी- कोई पार्टी किसी सरकार से कैसे कर सकती है समझौता

punjabkesari.in Friday, Aug 07, 2020 - 06:56 PM (IST)

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के बीच 2008 में हुए कथित समझौते की एनआईए से जांच के लिए दायर जनहित याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई करने से इंकार कर दिया। प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी से कहा कि वह इसे वापस लेकर हाईकोर्ट जाएं। ये जनहित याचिका शशांक शेखर और पत्रकार सावियो रोड्रिग्स ने दायर की थी।

पीठ ने कहा, ‘‘याचिका में मांगी गयी प्रत्येक राहत हाईकोर्ट दे सकता है। दूसरी बात, हाईकोर्ट ही इसके लिए उचित अदालत है। तीसरा, इस विषय पर हमें हाईकोर्ट के आदेश का लाभ भी मिलेगा।'' पीठ ने याचिकाकर्ताओं को याचिका वापस लेने की अनुमति देते हुए उन्हें हाईकोर्ट जाने की छूट प्रदान कर दी। इससे पहले, सुनवाई शुरू होते ही जेठमलानी ने आरोप लगाया कि इस देश के एक राजनीतिक दल का उस देश (चीन) की एकमात्र राजनीतिक पार्टी के साथ समझौता था और यह मुद्दा राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित है।

इस पर पीठ ने टिप्पणी की, ‘‘हम पाते हैं कि इसमें ऐसा कुछ लगता है, जिसके बारे में सुना नहीं और जो न्याय विरूद्ध है। आप कह रहे हैं कि चीन ने एक राजनीतिक दल के साथ समझौता किया है सरकार से नहीं। एक राजनीतिक दल चीन के साथ कैसे समझौता कर सकता है।'' अधिवक्ता द्वारा बार बार जोर दिए जाने पर पीठ ने कहा, ‘‘हम आपको यह याचिका वापस लेने और नयी याचिका दायर करने की अनुमति देंगे। आप जो कह रहें हैं उसकी हम विवेचना करेंगे और अगर हमे कोई गलत बयानी मिली तो हम आप पर मुकदमा चला सकते हैं।''

अदालत ने कहा, ‘‘हमने अपने सीमित अनुभव में ऐसा नहीं सुना कि एक राजनीतिक दल दूसरे देश के साथ कोई समझौता कर रहा हो।'' जेठमलानी ने दलील दी कि कथित अपराध, यदि इसका पता चलता है, राष्ट्रीय जांच एजेन्सी कानून और गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम कानून के तहत आएगा और बेहतर होगा अगर शीर्ष अदालत इस पर गौर करे क्योंकि यह राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित है। पीठ ने जेठमलानी की इस दलील को अस्वीकार कर दिया।


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Yaspal

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