कोरोना संकटः अन्य देशों से बेहतर है भारत का रिकवरी रेट, 58,802 सक्रिय मामले

punjabkesari.in Tuesday, May 19, 2020 - 06:50 PM (IST)

नई दिल्लीः देश में इस समय कोरोना वायरस ‘कोविड-19' के कुल 58,802 सक्रिय मामले हैं और चिकित्सकों की कड़ी निगरानी में हैं तथा इनमें से मात्र 2.9 प्रतिशत अर्थात 1705 मरीज ही आईसीयू में है। देश में अभी तक कोरोना के 24 लाख से अधिक नमूनों की जांच की जा चुकी है। स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से मंगलवार शाम जारी बयान में कहा गया है कि पिछले 24 घंटों में कोरोना वायरस के 2350 मरीजों के स्वस्थ होने के बाद अब तक कुल 39,174 मरीज ठीक हो गये हैं और मरीजों के ठीक होने की दर 38.73 प्रतिशत है।
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भारत में मौत का आंकड़ा बेहद कम
भारत और विश्व के अन्य देशों के आंकड़ों की तुलना की जाए तो पता चलता है कि विश्व के अन्य देशों में जहां प्रति लाख 4.1 लोगों की मौत हो रही है वहीं हमारे देश में यह आंकडा 0.2 मौत प्रति लाख है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोटर् 119 के अनुसार विश्व में कोरोना से कुल 3,11,847 मौतें हुई हैं और प्रति लाख आबादी पर होने वाली मौतों की औसतन संख्या 4.1 है जबकि विश्व के अलग अलग देशों में कुल मौतें और प्रति एक लाख की आबादी की मृत्यु दर काफी चौंकाने वाली हैं। 

देश कुल मौतें  मौत (प्रति एक लाख आबदी पर)
अमेरिका 87180   26.6
ब्रिटेन    34636  52.1
फ्रांस     28059  41.9
स्पेन               27650  59.2
ब्राजील              15633  7.5
बेल्जियम      9052    79.3
जर्मनी                  7935     9.6
ईरान                6988     8.5
कनाडा              5702 15.4
नीदरलैंड   5680       33.0
मैक्सिको       5045        4.0
चीन            4645     0.3
तुर्की       4140        5.0
स्वीडन            3679   36.1
भारत         3163    0.2

अन्य देशों के मुलाबले भारत की स्थिति बेहतर
देश में कल रिकॉर्ड 1,08,233 नमूनों की जांच की गई थी और अभी तक कुल 24,25,742 नमूनों की कोरोना जांच हो चुकी है। जनवरी में देश में मात्र एक प्रयोगशाला में कोरेाना की जांच हो रही थी और अब यह संख्या बढ़कर 543 हो गई है जिसमें 385 सरकारी और 158 निजी क्षेत्र की लैब हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन की स्थिति रिपोर्ट 118 में बताया गया है कि विश्व के विभिन्न देशों में कोरोना के पुष्ट मामलों यानि प्रति एक लाख आबादी की बात की जाए तो यह भारत में यह बहुत ही बेहतर है और देश में यह संख्या 7.1 प्रति लाख हैं जबकि विश्व की आबादी के अनुसार यह 60 मामले प्रति एक लाख है। तथा विश्व स्तर पर मृत्यु दर 6.92 प्रतिशत है और हमारे देश में मृत्यु दर 3.1 प्रतिशत के आसपास है।
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अमेरिका में यह आंकड़ा 1,409452(431),रूस 281,752(195), ब्रिटेन 240,165(361),स्पेन 230,689(494),इटली 224,760(372), ब्राजील,218,223(104) , जर्मनी 174,335(210), फ्रांस 140,008(209), ईरान 118,392(145) और भारत में 96,169(7.1 ) है। इसका सबसे बड़ा कारण भारत में शुरू से ही उठाए गए कड़े कदम रहे हैं। देश में इस समय प्रतिदिन एक लाख कोराना परीक्षण प्रतिदिन की क्षमता हासिल की जा चुकी है और देश में अभी तक कोरेाना के 24 लाख से अधिक टेस्ट हो चुके हैं। इसके अलावा विदेश से एक उच्च गुणवत्ता युक्त कोबास 6800 मशीन को नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल(एनसीडीसी) में लगा दिया गया है। यह मशीन पूरी तरह ऑटोमेटिक है और 24 घंटे में 1200 टेस्ट करने में सक्षम है।

देश में कोरोना जांच की किट पर्याप्त मात्रा में है और राज्यों तथा संघ शासित प्रदेश में आईसीएमआर के 15 डिपों में वितरित की जा रही है। देश में इस समय रोजाना तीन लाख पीपीई प्रतिदिन बनाने की क्षमता हासिल की जा चुकी है और तीन लाख एन 95 मॉस्क बनाए जा रहे हैं जो निकट भविष्य में देश की जरूरतों के लिए पर्याप्त है। इसके अलावा देश में घरेलू स्तर पर वेंटीलेटर का निर्माण शुरू हो चुका है और आडर्र भी दिए जा चुके हैं।

राज्य सरकारों ने उठाए प्रभावी और सक्रिय कदम
राज्य सरकारों ने कोरोना वायरस के संक्रमण से निपटने में जो सक्रिय कदम उठाए हैं, वे बहुत ही कारगर और प्रभावी साबित हो रहे हैं और इस बात की पुष्टि इन आंकड़ों से हो जाती है कि कोरोना वायरस का प्रकोप विश्व के 20 विकसित देशों में अधिकतर देखने को मिला है। इन 20 देशों की जनसंख्या हमारी जनसंख्या के बराबर है लेकिन कोरोना से निपटने से हम उनसे कहीं बेहतर हैं। डब्ल्यूएचओ के आंकड़ों को भी देखा जाए तो साफ पता चलता है कि उनके यहां पाये जाने वाले मामले हमारे देश से 84 गुना अधिक हैं और उनके यहां होने वाली मौतों की संख्या हमारे देश में हुई मौतों से 200 गुना अधिक है। यह सब केन्द्र सरकार की ‘प्रिएम्पटिव, ग्रेडेड, प्रोएक्टिव' रणनीति के तहत संभव हुआ है।
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केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरेाना को लेकर नए दिशानिर्देश जारी किए हैं और पहले के मानकों के अलावा अब कोविड मरीजों के उपचार में लगे, कंटेनमेंट क्षेत्रो में सेवारत स्वास्थ्यकर्मियों के लिए परीक्षण का दायरा बढ़ाया गया है। इसके अलावा जो मरीज अस्पताल में भर्ती हैं उनमें इंफ्लूएंजा जैसे लक्षण दिखने पर ये परीक्षण होंगे। इसके अलावा जो भी लोग विदेशों से आए हैं अथवा प्रवासी श्रमिक हैं और लौटने के सात दिनों के बाद उनमें कोई लक्षण दिखते हैं तो परीक्षण कराया जा सकता है।

 


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Yaspal

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