कोरोना संकट: मनरेगा में मजदूरी करने को मजबूर हुआ सिविल इंजीनियर, मिल रहे 190 रुपए
punjabkesari.in Tuesday, Jul 07, 2020 - 04:39 PM (IST)
नेशनल डेस्क: कोरोना ने कई लोगों की नौकरियां छीन लीं और उनको बेरोजगार कर दिया। कोरोना संकट के कारण लोगों को अभी नौकरियां नहीं मिल रही हैं। ऐसे में ज्यादातर लोग सब्जियां बेच कर अपना गुजारा कर रहे हैं। पढ़े-लिखे युवक भी ऐसे काम करने को मजबूर जो उन्होंने सोचे भी नहीं थे। एक ऐसा ही मामला सामने आया है मध्यप्रदेश का। मध्यप्रदेश के खरगोन जिले में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून (मनरेगा) के तहत मजदूरी कर रहे लोगों में सिविल इंजीनियर सहित उच्च शिक्षा प्राप्त कई युवा भी शामिल हैं। आर्थिक रूप से कमजोर पारिवारिक पृष्ठभूमि वाले सिविल इंजीनियर युवक का सपना ‘डिप्टी कलेक्टर' बनने का है। लेकिन Covid-19 की मार के बीच उचित रोजगार के अभाव में उसे इन दिनों मजदूरी करनी पड़ रही है। इंदौर से करीब 150 किलोमीटर दूर गोवाड़ी गांव में तालाब खोद रहे मजदूरों में से एक सचिन यादव (24) ने मंगलवार को बताया कि उसने साल 2018-19 में सिविल इंजीनियरिंग में स्नातक उपाधि प्राप्त की थी। मार्च के आखिर में Covid-19 के लॉकडाउन की घोषणा से पहले वह इंदौर में रहकर मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग (एमपीपीएससी) की भर्ती परीक्षा की तैयारी कर रहा था।
मजदूरी के साथ कर रहा MPPS की तैयारी
युवक ने बताया कि लॉकडाउन के कारण कुछ दिन मुझे कुछ दिनों तक इंदौर में ही रहना पड़ा। आवागमन के लिए प्रशासन की छूट मिलते ही वह अपने गांव लौट आया क्योंकि Covid-19 के प्रकोप के चलते उसे इंदौर में रहना सुरक्षित नहीं लग रहा था। मेरी कोचिंग क्लास भी बंद हो गई थी। यादव ने बताया कि मेरा लक्ष्य डिप्टी कलेक्टर बनना है। लिहाजा मजदूरी के साथ अपने गांव में ही एमपीपीएससी परीक्षा की तैयारी भी कर रहा हूं। युवक के मुताबिक वह मजदूरी इसलिए कर रहा है क्योंकि उसके पास रोजगार का कोई अन्य साधन नहीं है और Covid-19 संकट के बीच वह अपने परिवार की आर्थिक मदद करने के साथ प्रतियोगी परीक्षा की पढ़ाई के लिए कुछ रकम जुटाना चाहता है। यादव ने बताया कि उसे मनरेगा के तहत एक दिन की मजदूरी के बदले 190 रुपए मिलते हैं। इसके लिए मुझे दिन में आठ घंटे काम करना होता है।
कई युवा कर रहे काम
महीने भर से मनरेगा के तहत मजदूरी कर रहे सिविल इंजीनियर ने कहा कि कोई भी काम छोटा नहीं होता। युवक ने कहा कि Covid-19 के संकट का बहाना बनाकर मैं अपना वक्त बर्बाद नहीं करना चाहता। लिहाजा मुझे अपने गांव में जो रोजगार मिल रहा है, मैं वह काम कर रहा हूं। केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय के क्षेत्रीय लोक सम्पर्क ब्यूरो की इंदौर इकाई के एक अधिकारी ने बताया कि यादव के अलावा करीब 15 स्नातक युवा इन दिनों गोवाड़ी गांव में मनरेगा में मजदूरी कर रहे हैं। अन्य युवाओं के पास बी.ए और बी.एस-सी. सरीखी उपाधियां हैं। अधिकारी ने बताया कि अपने परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने के कारण ये युवा मनरेगा में मजदूरी कर रहे हैं। मजदूरी करने के बाद बचे समय में वे प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी भी कर रहे हैं।