अस्पतालों में इलाज के लिए तरस रहे मरीज

punjabkesari.in Thursday, Dec 01, 2022 - 06:35 PM (IST)

1 दिसंबर, चंडीगढ़: (अर्चना सेठी) पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने प्रदेश की बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था पर गहरी चिंता जाहिर की है। उन्होंने कहा कि बीजेपी-जेजेपी सरकार ना स्वास्थ्य सेवाओं के मौजूदा हालात को लेकर गंभीर नजर आती और ना ही भविष्य को लेकर चिंतित दिखाई देती है। इसलिए ना वर्तमान में मेडिकल स्टाफ की भर्ती की जा रही है और ना ही भविष्य में डॉक्टर्स की कमी पूरी करने की नीति बनाई जा रही है। यही वजह है कि हरियाणा से एमबीबीएस करने वाले विद्यार्थियों पर सरकार ने सात साल और 40 लाख रुपए की बॉन्ड पॉलिसी थोप दी है। 

 

मेरिट में टॉप करने वाले विद्यार्थी हरियाणा से एमबीबीएस नहीं करना चाहते। इस पॉलिसी के खिलाफ विद्यार्थी महीने भर से धरना प्रदर्शन व भूख हड़ताल कर रहे हैं। लेकिन सरकार अपनी जिद पर अड़ी हुई है। सरकार को विद्यार्थियों से बातचीत करके फौरन इस मसले का समाधान निकालना चाहिए। क्योंकि इससे ना सिर्फ विद्यार्थी बल्कि उनके अभिभावक और मरीजों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। सरकार को बॉन्ड की रकम और मियाद कम करनी चाहिए। साथ ही विद्यार्थियों को अन्य राज्यों की तरह जॉब गारंटी देनी चाहिए।

 

हुड्डा का कहना है कि स्वास्थ्य सेवाएं सीधे नागरिकों की जिंदगी से जुड़ा हुआ मसला है। लेकिन प्रदेश सरकार की अनदेखी के चलते आज अस्पताल खुद मरीज बने हुए हैं। क्योंकि अस्पतालों में 6600 से ज्यादा पद खाली पड़े हुए हैं। इसकी वजह से स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह पटरी से उतर चुकी है। सरकारी अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टरों, लैब टेक्नीशियन, फार्मासिस्ट, रेडियोग्राफर और मशीनों की भारी कमी है।

 

हुड्डा ने कहा कि कांग्रेस कार्यकाल में हरियाणा को स्वास्थ्य सेवाओं के मामले में आत्मनिर्भर बनाया गया था। इसके लिए प्रदेश में 5 मेडिकल कॉलेज स्थापित किए गए थे। साथ ही 136 SHCs, 53 PHCs, 37 CHC (कुल 226 नए अस्पताल) बनाए गए थे। कांग्रेस सरकार के दौरान ही खानपुर में मेडिकल यूनिवर्सिटी, बाढड़ा में एम्स 2, और राष्ट्रीय कैंसर संस्थान झज्जर जैसे संस्थान प्रदेश में आए। लेकिन बीजेपी ने प्रदेश में ऐसा एक भी संस्थान स्थापित नहीं किया। उसने प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं की हालत ऐसी बना दी कि जरूरत पड़ने पर कोरोना काल के दौरान लोगों को ऑक्सीजन तक नहीं मिल पाई।

 

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि स्वास्थ्य महकमे के साथ अलग-अलग महकमों में 1,82,000 पद खाली पड़े हुए हैं। खाली पदों को भरने की बजाय सरकार बिना भर्ती के पदों को खत्म कर रही है। बचे हुए पदों पर कौशल निगम के जरिए कच्ची भर्तियां की जा रही है। सरकार की नीतियों से स्पष्ट है कि वह प्रदेश के युवाओं को रोजगार देना ही नहीं चाहती। यही वजह है कि पिछले कई साल से हरियाणा लगातार बेरोजगारी में टॉप कर रहा है। सीएमआई के ताजा आंकड़ों के मुताबिक एकबार फिर हरियाणा तमाम राज्य को पीछे छोड़ते हुए पहले पायदान पर रहा है। हरियाणा में आज 30.6% बेरोजगारी दर है, जो राष्ट्रीय औसत से लगभग 4 गुना ज्यादा है।


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News Editor

Archna Sethi

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