ऑफ द रिकॉर्डः कांग्रेस चाहती थी मोदी रू-ब-रू करें चीन पर बैठक, अन्य विपक्षी दल नहीं माने
punjabkesari.in Tuesday, Jun 23, 2020 - 05:43 AM (IST)
नई दिल्लीः गलवान घाटी के विषय में प्रधानमंत्री द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक को लेकर कांग्रेस यह चाहती थी कि प्रधानमंत्री विपक्षी दलों के सदस्यों को अपने पास बुलाकर उनसे आमने-सामने बात करें, ताकि मुद्दे पर प्रभावी विचार-विमर्श हो सके परंतु कांग्रेस का यह विचार किसी भी विपक्षी दल को सही नहीं लगा और उन्होंने इसके समर्थन के लिए अपनी हामी नहीं भरी। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के शरद पवार ने इस प्रस्ताव को यह कहकर नामंजूर कर दिया था कि कोविड-19 के समय में वर्चुअल बैठक भी आमने-सामने की बैठक जितनी ही अच्छी है।
पवार ने यह भी याद दिलाया कि सोनिया गांधी ने भी 22 मई को कांग्रेस नेताओं से वर्चुअल बैठक की थी। जब केंद्र सरकार ने 19 जून को विपक्षी दलों के साथ बैठक करने की पहल की तो सोनिया गांधी के सहायक ने विपक्ष के नेताओं से व्यक्तिगत रूप से मुलाकात कर उनके सामने कांग्रेस का आमने-सामने की बैठक का प्रस्ताव रखा, परंतु सभी ने इसके लिए न कर दी। द्रमुक नेता एम.के. स्टालिन इस बात के लिए सहमत नहीं हुए। प. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से भी संपर्क किया गया, परंतु उन्होंने भी यह प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया। माकपा के महासचिव डी. राजा ने कहा कि कांग्रेस के प्रस्ताव से व्यक्तिगत रूप से उन्हें कोई परेशानी नहीं है, परंतु अन्य दलों के नेता भी तो इसके लिए राजी हों।
यह बात भी सामने आई है कि भारत-चीन के बीच हिंसक झड़प पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा जो बातें कही जा रही हैं, उनसे विपक्षी नेता असहज महसूस कर रहे हैं। हालांकि इन नेताओं ने इस मुद्दे पर अपने बयान दिए हैं, परंतु ममता और स्टालिन ने राष्ट्र के सामने इस संकट की घड़ी में प्रधानमंत्री को बिना शर्त समर्थन दिया है। पवार ने तो राहुल गांधी द्वारा प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ बयानबाजी की अप्रत्यक्ष रूप से निंदा भी की।
गलवान घाटी में हिंसा के समय भारतीय सैनिकों के पास हथियार थे या नहीं, इस प्रश्न पर पवार ने कहा कि ये बातें अंतर्राष्ट्रीय समझौतों और नियमों के अधीन हैं, इसलिए इन पर किसी को भी सवाल उठाने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि ये संवेदनशील मसले हैं। स्पष्ट है कि पवार राहुल के बयानों से दूरी बना रहे थे। सर्वदलीय बैठक में सोनिया गांधी आक्रामक रहीं और उन्होंने कई सख्त सवाल उठाए। वह बिना किसी कांग्रेस नेता के सहयोग के अकेली ही बैठक में आखिर तक डटी रहीं।