जापान से लेकर ऑस्ट्रेलिया तक चीन के पंगे

punjabkesari.in Thursday, Jun 18, 2020 - 08:47 AM (IST)

नेशनल डेस्क: लद्दाख में चीन भारत के साथ सीमा विवाद में उलझा है, लेकिन चीन के लिए यह नई बात नहीं है। चीन के पंगे जापान से लेकर आस्ट्रेलिया तक पड़े हुए हैं। चीन के साथ विश्व के 14 देशों की सीमाएं लगती हैं और अधिकतर देशों के साथ चीन का सीमा विवाद चल रहा है। चीन के पड़ोस में भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, तजाकिस्तान, किॢगस्तान, कजाखस्तान, मंगोलिया, रूस, उत्तर कोरिया, वियतनाम, लाओस, म्यांमार, भूटान और नेपाल जैसे राष्ट्र हैं तथा अपने अधिकांश पड़ोसी देशों के साथ चीन का सीमा विवाद बराबर चलता रहता है। भू-सीमा के अलावा चीन के साथ चार देशों (जापान, दक्षिण कोरिया, वियतनाम और फिलीपींस) की समुद्री सीमा भी लगती है। इन समुद्री सीमाओं को लेकर भी चीन का विवाद चलता रहता है। हालांकि चीन ने अफगानिस्तान, तजाकिस्तान, कजाखस्तान, म्यांमार, पाकिस्तान और रूस से अपने विवाद काफी हद तक सुलझा लिए हैं। 

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जापान के साथ दो द्वीपों को लेकर विवाद
जापान के साथ चीन की भौगोलिक सीमा नहीं लगती, लेकिन समुद्री सीमा जरूर लगती है लिहाजा दोनों देश अपनी जल सीमा को लेकर उलझते रहते हैं। हाल ही में दोनों देशों के बीच 2 छोटे द्वीपों को लेकर विवाद हुआ था। एक द्वीप सेनकाकु जापान में है और दूसरा द्वीप दिओयु चीन में है। दोनों देशों ने यहां अपनी-अपनी जलसेनाओं की गश्त बढ़ा दी थी। दोनों देशों में कोई विवाद होता है तो इतिहास के गड़े मुर्दे उखाड़े जाते हैं। दूसरी तरफ संबंधों को बेहतर बनाने की कोशिश की जाती है तो अतीत को याद किया जाता है।

 

रूस के साथ सीमा विवाद की लंबी कहानी
चीन का अपने पड़ोसी रूस के साथ भी लंबे समय तक सीमा विवाद रहा है और इस विवाद के चलते दोनों पक्षों में सैन्य संघर्ष भी हो  चुका है लेकिन 1991 में सोवियत संघ के पतन के बाद रूस कमजोर हुआ तो चीन ने इस मौके का फायदा उठाया और रूस के साथ सीमा विवाद को अपनी शर्तों पर सुलझाया। 

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अमरीका-आस्ट्रेलिया के साथ विवाद
कोरोना को लेकर चीन का अमरीका के साथ ही विवाद नहीं हुआ बल्कि उसका आस्ट्रेलिया के साथ भी रिश्ता बिगड़ा है। आस्ट्रेलिया ने कोरोना को लेकर चीन पर जानकारी छुपाने और गलत सूचनाएं फैलाने का आरोप लगाया तो इस पर चीन भड़क गया। आस्ट्रेलिया का आरोप है कि चीन कोरोना को लेकर भय और विभाजन वाला माहौल बना रहा है। आस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री मेरिस पायने ने कहा कि चीन वैश्विक स्तर पर भय और विभाजन का माहौल बना रहा है लेकिन आस्ट्रेलिया इसका विरोध करता है। आस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री के इस बयान से भड़के चीन ने आस्ट्रेलिया के आरोपों को कोरी बकवास बता दिया। चीन ने कहा कि आस्ट्रेलिया आपने फायदे के लिए महामारी का इस्तेमाल कर रहा है और चीन पर झूठे आरोप लगा रहा है।

 

ताईवान के साथ विवाद
चीन ने ताईवान को हमेशा से ऐसे प्रांत के रूप में देखा है जो उससे अलग हो गया है। चीन मानता रहा है कि भविष्य में ताईवान चीन का हिस्सा बन जाएगा जबकि ताईवान की एक बड़ी आबादी अपने आपको एक अलग देश के रूप में देखना चाहती है और यही वजह रही है दोनों के बीच तनाव की। दूसरे विश्व युद्ध में जापान की हार के बाद अमरीका और ब्रिटेन ने तय किया कि ताईवान को उसके सहयोगी और चीन के बड़े राजनेता और मिलिट्री कमांडर चैंग काई शेक को सौंप देना चाहिए। चैंग की पार्टी का उस वक्त चीन के बड़े हिस्से पर नियंत्रण था लेकिन कुछ सालों बाद चैंग काई शेक की सेनाओं को कम्युनिस्ट सेना से हार का सामना करना पड़ा तब चैंग और उनके सहयोगी चीन से भागकर ताईवान चले आए और कई वर्षों तक 15 लाख की आबादी वाले ताईवान पर उनका प्रभुत्व रहा। कई साल तक चीन और ताईवान के बीच बेहद कड़वे संबंध होने के बाद साल 1980 के दशक में दोनों के रिश्ते बेहतर होने शुरू हुए. तब चीन ने ‘वन कंट्री टू सिस्टम’ के तहत ताईवान के सामने प्रस्ताव रखा कि अगर वो अपने आपको चीन का हिस्सा मान लेता है तो उसे स्वायत्तता प्रदान कर दी जाएगी।

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म्यांमार ने थाई सीमा पर चीनी प्रोजैक्ट की जांच के आदेश दिए
भारत के एक अन्य पड़ोसी देश म्यांमार के साथ भी चीन की 2185 किलोमीटर की सीमा लगती है। इस सीमा को लेकर भी विवाद चलते रहते हैं। दरअसल, भारत का अरुणाचल प्रदेश भी इन दोनों देशों की सीमा के साथ सटा है लिहाजा समय-समय पर भारत और चीन के मध्य विवाद के दौरान म्यांमार का सीमा विवाद भी सुर्खियों में आ जाता है। हालांकि अब म्यांमार और चीन के रिश्ते सुधर चुके हैं तथा चीन म्यांमार में बड़े पैमाने पर निवेश कर उसे आॢथक रूप से अपना गुलाम बनाने की नीति पर काम कर रहा है। म्यांमार ने करेन सीमा के निकट चीन द्वारा कराए जा रहे विवादित सिटी डिवैल्पमैंट प्रोजैक्ट की जांच के आदेश दिए हैं और इसके लिए एक ट्रिब्यूनल का गठन किया है। यह प्रोजैक्ट स्पैशल इकोनॉमिक जॉन के तहत बनाया जा रहा है। प्रोजैक्ट में चीनी निवेश और इसमें पारदॢशता न होने के कारण इस पर विवाद खड़ा हो गया है।

 

भूटान के हिस्से वाले डोकलाम में चीनी साजिश
चीन की अपने अन्य पड़ोसी देश भूटान के साथ 470 किलोमीटर की सीमा है। भूटान की सीमा भारत के साथ भी लगती है। चीन का भूटान के साथ लंबे समय से सीमा विवाद चल रहा है और डोकलाम भी दोनों देशों के मध्य विवाद का एक विषय है। डोकलाम पर भूटान के दावे का भारत समर्थन करता है। जून, 2017 में जब चीन ने यहां सड़क निर्माण का काम शुरू किया तो भारतीय सैनिकों ने उसे रोक दिया था। यहीं से दोनों पक्षों के बीच डोकलाम को लेकर विवाद शुरू हुआ। भारत की दलील है कि चीन जिस सड़का का निर्माण करना चाहता है, उससे सुरक्षा समीकरण बदल सकते हैं। भारत को यह डर है कि अगर भविष्य में संघर्ष की कोई सूरत बनी तो चीनी सैनिक डोकलाम का इस्तेमाल भारत के सिलिगुड़ी कॉरीडोर पर कब्जे के लिए कर सकते हैं। सिलिगुड़ी कॉरीडोर भारत के नक्शे में मुर्गी की गर्दन जैसा इलाका है और यह पूर्वोत्तर भारत को बाकी भारत से जोड़ता है।

 

समुद्री सीमा को लेकर भी विवाद
चीन के साथ विश्व के 14 देशों की सीमाएं लगती हैं, जो विश्व में सबसे अधिक है। इनमें भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, तजाकिस्तान, किॢगस्तान, कजाखस्तान, मंगोलिया, रूस, उत्तर कोरिया, वियतनाम, लाओस, म्यांमार, भूटान और नेपाल जैसे राष्ट्र शामिल हैं। अपने अधिकांश पड़ोसी देशों के साथ चीन का सीमा विवाद बराबर चलता रहता है। भू-सीमा के अलावा चीन के साथ चार देशों (जापान, दक्षिण कोरिया, वियतनाम और फिलीपींस) की समुद्री सीमा भी लगती है। इन समुद्री सीमाओं को लेकर भी चीन का विवाद चलता रहता है। हालांकि  चीन ने अफगानिस्तान, तजाकिस्तान, कजाखस्तान, म्यांमार, पाकिस्तान और रूस से अपने विवाद काफी हद तक सुलझा लिए हैं, लेकिन कई देशों के साथ उसके विवाद जारी हैं। 

 

ताईवान की राष्ट्रपति की चीन को चुनौती
जनवरी में दूसरी बार ताईवान की राष्ट्रपति बनी साई इंग-वेन ने अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत के मौके पर चीन को चेताते हुए साफ किया था कि लोकतांत्रिक ताईवान चीन के नियम-कायदे कभी कबूल नहीं करेगा और चीन को इस हकीकत के साथ शांति से जीने का तरीका खोजना होगा। हांगकांग की तर्ज पर ताईवान में ‘एक देश, दो व्यवस्थाओं’ वाले मॉडल को लागू करने की बात की जाती रही है जिसमें चीन का आधिपत्य स्वीकार करने पर ताईवान को कुछ मुद्दों पर आजादी रखने का हक होगा लेकिन साई इंग-वेन ने अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत के मौके पर ही साफ कर दिया कि इससे कुछ हासिल होने वाला नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘हम ‘एक देश, दो व्यवस्था’ वाली दलील के नाम पर चीन का आधिपत्य नहीं स्वीकार करेंगे जिसमें ताईवान का दर्जा कम कर दिया जाएगा और चीन-ताईवान संबंधों की मौजूदा स्थिति बदल जाएगी।’’

 

चीनी सेना पूरे क्षेत्र के लिए खतरा
वाशिंगटन : अमरीकी सीनेटर मार्शा ब्लैकबर्न समेत कई अमरीकी विशेषज्ञों का कहना है कि चीनी सेना की आक्रामक गतिविधियां पूरे क्षेत्र के लिए खतरा हैं। 
 


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vasudha

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