छत्तीसगढ़ महिला आयोग अध्यक्ष के बिगड़े बोल, कहा- लड़कियां खुद बनाती हैं संबंध, फिर दर्ज कराती हैं रे
punjabkesari.in Friday, Dec 11, 2020 - 06:13 PM (IST)
नेशनल डेस्कः छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने रायपुर के प्रार्थना भवन में महिला उत्पीड़न मामलों की सुनवाई के बाद पत्रकार वार्ता में विवादित बयान दिया। महिला उत्पीड़न पर पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि अधिकांश मामलों में लड़कियां लिव-इन में रहकर संबंध बनाती हैं। जब शादी नहीं होती या रिश्ता बिगड़ जाता है तो वे रेप का केस दर्ज करा देती हैं। ऐसे में लड़कियों को किसी के साथ रिश्ते बनाने से पहले सोच समझ लेना चाहिए, क्योंकि ऐसे रिश्तों के परिणाम बुरे भी हो सकते हैं।
फिल्मी दुनिया से अलग होती है जिंदगी
डॉ. किरणमयी नायक, यहीं नहीं रुकीं। उन्होंने आगे कहा कि हर एक की स्थिति अलग होती है, दुनिया फिल्मी कहानी की तरह नहीं होती है। बच्चियों और महिलाओं को उनके अधिकार पता होने चाहिए। अगर लड़कियां नाबालिग हैं तो वे प्यार मोहब्बत के फिल्मी तरीकों से बचें और इनके चक्कर में न आएं। यह आपका परिवार, घर व ज़िन्दगी बर्बाद कर सकता है। नायक ने बताया कि कई केस ऐसे आते हैं, जिनमें लड़कियां 18 साल की होती नहीं हैं और शादी कर लेती हैं। उसके बाद अपने बच्चों के साथ महिला आयोग के पास शिकायत लेकर आती हैं।
I would like to request you to adjudge your relationship and status first. If you enter into any such relationship, the result will always be bad: Chhattisgarh State Women Commission Chairperson, Kiranmayee Nayak (10.12.2020) https://t.co/xcIDgXRfIv
— ANI (@ANI) December 11, 2020
खुद को बनाएं जिम्मेदार
किरणमयी नायक ने कहा कि हर किसी की ज़िन्दगी की कहानी अलग होती है। पहले आप पढ़-लिखकर ज़िम्मेदार बनें। अगर आप किसी से शादी करना चाह रहे हैं तो आप देखें कि वह ज़िम्मेदार है कि नहीं। आपकी परवरिश कर सकता है कि नहीं। अगर शादीशुदा व्यक्ति आपको प्यार के झांसे में फंसा रहा है तो आपको यह समझना होगा कि वह आपसे झूठ बोल रहा है। इन सब मामलों में आपको पुलिस थाने और कोर्ट कचहरी के चक्कर लगाने पड़ेंगे।
कई प्रकरण करने पड़ते हैं खारिज
उन्होंने पत्रकारों से कहा कि आयोग के पास दहेज प्रताड़ना, कार्यालय स्थल पर शोषण, घरेलू हिंसा के मामले ज्यादा आते हैं। इनमें कई प्रकरण खारिज करने पड़ते हैं। यदि इनमें से किसी मामले की शिकायत पुलिस स्टेशन में दर्ज नहीं होती है तो महिला आयोग सुनवाई करता है। यदि पुलिस शिकायत दर्ज कर लेती है तो महिला आयोग पीड़िता को राहत नहीं दे पाता है।