अपनों से दिलों की दूरी पाटने में विकास की मुहिम ने दिखाई रंगत, कश्मीर में रास आया बदलाव

punjabkesari.in Thursday, Jun 24, 2021 - 01:47 PM (IST)

नेशनल डेस्क: जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त होने के बाद केंद्र सरकार ने लोगों के दिलों से दूरियां पाटने की जो मुहिम करीब दो साल पहले शुरू की वे अब एक नई रंगत में नजर आ रही हैं।  केंद्र सरकार ने धारा 370 समाप्त करने के बाद वादियों के लोगों से जो वादे किए थे, सरकार ने उन्हें अमलीजामा पहनाने की कोशिश की और यह लोगों को धरातल पर भी नजर आने लगी। शायद यही वजह है कि कश्मीर के नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में आने को आतुर हैं।  जम्मू कश्मीर आज हर क्षेत्र में नए अय्याम स्थापित कर रहा है। शिक्षा और स्वास्थ्य जो मनुष्य के विकास की बुनियादी सुविधाएं हैं, पिछले दशकों के मुकाबले उनमें दोगुना सुधार हुआ है। इसके अलावा विद्युत उत्पादन में भी राज्य देश की अंग्रिम पंक्ति में हैं। सूबे में हुए स्थानीय निकाय के चुनावों में लोगों की हिस्सेदारी ने सदियों पुराने कट्टरपंथियों के उस भ्रम को भी तोड़ दिया जिसमें कहा जाता था कि जम्मू कश्मीर के लोग लोकतंत्र में विश्वास नहीं रखते हैं।

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औद्योगिक नीति पर खर्च होंगे 28,400 करोड़
जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 समाप्त होने के बाद करीब दो वर्षों के दौरान राज्य में औद्योगिक परिदृश्य में भारी बदलाव आया है। जम्मू-कश्मीर सरकार द्वारा इस महीने की शुरुआत में जारी की गई "नई औद्योगिक नीति 2021-30" ने इस क्षेत्र को दुनिया के लिए खोलकर और गति प्रदान की है। इस नीति के तहत 28,400 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे और इस दौरान 200 अरब का निवेश होने की भी संभावना है, जिससे 4.5 लाख लोगों को सीधा रोजगार मिलने का अनुमान है। 

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बढ़ रहे रजगार के अवसर, बेरोजगारी दर 16 से घटकर हुई 9 फीसदी 
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार 5 अगस्त 2019 के बाद 40 से अधिक कंपनियां निवेश प्रस्तावों के साथ आगे आईं और जम्मू-कश्मीर सरकार ने 1,500 करोड़ रुपये (15 बिलियन रुपये) तक के 30 से अधिक प्रस्तावों को स्वीकार कर लिया। जो कंपनियां आगे आईं वे अक्षय ऊर्जा, आतिथ्य, रक्षा, पर्यटन, कौशल, शिक्षा, आईटी और प्रौद्योगिकी और बुनियादी ढांचे (4) जैसे विभिन्न क्षेत्रों से थीं। केंद्र शासित प्रदेश में बेरोजगारी दर सितंबर 2020 में 16.1 प्रतिशत से घटकर मार्च 2021 में 9 प्रतिशत हो गई और एलजी सिन्हा ने इस सकारात्मक बदलाव के लिए युवाओं को श्रेय दिया था। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट के अनुसार, जम्मू-कश्मीर में दिल्ली, गोवा, बिहार, हिमाचल प्रदेश, झारखंड और राजस्थान की तुलना में बेरोजगारी की दर कम है।

 

युवाओं को व्यवसाय के लिए 5 लाख तक की सहायता 
जम्मू-कश्मीर सरकार ने लोगों को पारदर्शी वित्तीय सेवाएं प्रदान करने के लिए भीतरी इलाकों में मजबूत और कुशल डिजिटल नेटवर्क बुनियादी ढांचा स्थापित किया है। जम्मू-कश्मीर में एक मजबूत महिला उद्यमी पारिस्थितिकी तंत्र के लिए मार्ग प्रशस्त करते हुए केंद्र शासित प्रदेश सरकार ने मिशन यूथ के तहत तेजस्विनी योजना की घोषणा की है जिसके माध्यम से 18-35 वर्ष की आयु वर्ग की लड़कियों को अपना व्यवसाय शुरू करने के लिए 5 लाख रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। बैक टू विलेज कार्यक्रम के दौरान, जम्मू-कश्मीर सरकार ने अपना उद्यम शुरू करने के लिए वित्तीय सहायता के लिए लगभग 9,000 युवाओं की पहचान करने का लक्ष्य रखा था। अपेक्षित लक्ष्य पार हो गया और 18,500 युवाओं को अपनी व्यावसायिक इकाइयां स्थापित करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की गई। 

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18,000 सरकारी नौकरियां देने की कवायद
पिछले साल जम्मू-कश्मीर सरकार ने घोषणा की थी कि सार्वजनिक क्षेत्र और सरकारी विभागों में 25,000 पद भरे जाएंगे। पिछले छह महीनों के दौरान 18,000 पदों के लिए विज्ञापन दिया गया है और रिक्तियों को भरने की प्रक्रिया जारी है। जम्मू-कश्मीर में वर्तमान सरकार का उद्देश्य उत्तरदायी, जवाबदेह, पारदर्शी शासन सुनिश्चित करना है। 5 अगस्त 2019 को किए गए वादे पूरे हो रहे हैं। जमीनी स्थिति में बदलाव इस बात का पर्याप्त प्रमाण है कि भारत सरकार 1947 से जम्मू-कश्मीर में व्याप्त अनिश्चितता को समाप्त करने के लिए जम्मू-कश्मीर को एक 'सुपर स्टेट' में बदलने के लिए तैयार है।

 

लोगों को मिलती है 3 रुपए प्रति यूनिट बिजली
जम्मू-कश्मीर में 16,475 मेगावाट जलविद्युत क्षमता की पहचान की गई है, लेकिन वर्तमान में इसकी परियोजनाओं की उत्पादन क्षमता पीक सीजन के दौरान केवल 3400 मेगावाट है जब स्थानीय नदियों में अधिकतम निर्वहन होता है। "सर्दियों के दौरान मांग 3500 मेगावाट होती है, लेकिन उस समय उत्पादन केवल 800 मेगावाट के आसपास होता है। औसत लागत  पर राज्य 7 रुपए प्रति युनिट बिजली खरदता है। यह उपभोक्ता को घरेलू उपयोग के लिए 2.9 रुपये प्रति यूनिट, औद्योगिक उपयोग के लिए 4 रुपये और व्यावसायिक उपयोग के लिए 5 रुपये प्रति यूनिट पर उपलब्ध कराया जाता है।

 

मेडिकल कॉलेजों में सीटों में सौ फीसदी का इजाफा
राज्य में दो एम्स की स्थापना एक जम्मू के लिए और दूसरा घाटी  में होनी है। पांच अतिरिक्त मेडिकल कॉलेज, नर्सों और पैरामेडिक्स के प्रशिक्षण के लिए पांच नए कॉलेज, 1,000 नए हेल्थकेयर और वेलनेस सेंटर राज्य की स्वास्थ्य नीति की छाप है। डॉक्टरों की कमी को दूर करने के लिए इस वर्ष 500 अतिरिक्त एमबीबीएस सीटें जोड़ी गई हैं और अब सरकारी मेडिकल कॉलेजों में उनकी संख्या दोगुनी कर दी गई है, जिसमें से 85 सीटें आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए आरक्षित हैं। स्वास्थ्य देखभाल और चिकित्सा शिक्षा में 3225-3325 करोड़ रुपये के वैश्विक निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं।

पटरी पर लौटी शिक्षा प्रणाली  
शिक्षा प्रणाली का पुनरुद्धार और इसे पटरी पर लाना 1990 के बाद जम्मू-कश्मीर में सत्ता में आने वाली विभिन्न सरकारों के लिए सबसे बड़ी चुनौती बनी रही। देश के बाकी हिस्सों की तरह जम्मू-कश्मीर भी 10+2+3 पैटर्न का पालन कर रहा है। नई राष्ट्रीय नीति के अनुसार, पैटर्न 5+3+3+4 में बदल जाएगा। 2020-2021 में बुनियादी शिक्षा के लिए बजट आवंटन 11,126 करोड़ रुपये , उच्च शिक्षा के लिए 1,440 करोड़ रुपये, स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा के लिए 4,901 करोड़ रुपये है।  युवा सेवाओं और तकनीकी शिक्षा के लिए 738 करोड़ रुपये किया गया है। राज्य मे 20 से अधिक बी.एड कॉलेज हैं। पिछले साल की एनआईआरएफ रेटिंग के अनुसार, कश्मीर विश्वविद्यालय और जम्मू विश्वविद्यालय देश के 100 शीर्ष विश्वविद्यालयों में शुमार हैं। 100 शीर्ष विश्वविद्यालयों में कश्मीर विश्वविद्यालय 48 वें और जम्मू विश्वविद्यालय 52 वें स्थान पर है। राज्य में प्राथमिक, माध्यमिक और वरिष्ठ माध्यमिक शिक्षा के लिए 1,000 से अधिक स्कूल हैं। 50 डिग्री कॉलेज और 12 विश्वविद्यालय हैं।

 

शीर्ष अधिकारियों का कहना है कि स्पष्ट संदेश है कि विकास के क्षेत्र में जो गैप था वह भरा जा रहा है। दिलों की दूरियां भी अगर कहीं हैं तो आने वाले दिन में मिट जाएंगी। बहुत से लोगों ने बदलाव स्वीकार किया है। बाकी लोगों को भी आने वाले दिनों में फायदा नजर आएगा।


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Content Writer

Seema Sharma

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