ऑफ द रिकॉर्डः केंद्र ने अमरेंद्र के कृषि कानूनों के विरोध को हल्के में लिया

punjabkesari.in Friday, Oct 23, 2020 - 05:00 AM (IST)

नई दिल्लीः पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह द्वारा मोदी सरकार के 3 कृषि कानूनों को ठेंगा दिखाकर उनको बर्खास्त करने की चुनौती देने के दावों पर केंद्र द्वारा हल्के में लेना आश्चर्यचकित करने वाला है। बिलों को पास करने और राज्यपाल को सौंपने के तुरंत बाद, अमरेंद्र सिंह ने मोदी सरकार को उन्हें बर्खास्त करने की चुनौती दी। केंद्र सरकार कांग्रेस नेता द्वारा जारी किए गए बयानों पर हैरान है। मोदी सरकार में उच्च पदस्थ सूत्रों ने कहा कि अमरेंद्र सिंह सरकार द्वारा असंवैधानिक कृत्य के बावजूद, उसे खारिज करने का कोई सवाल ही नहीं है। 
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अपनी पार्टी और लोगों के एक वर्ग के भीतर अपना प्रभाव जमाने के लिए, अमरेंद्र सिंह सरकार ने इन बिलों को पारित किया जो कि संवैधानिक रूप से अवैध हैं। केंद्र राज्य सरकार के कानूनों पर गंभीरता से विचार कर सकता है। चूंकि कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव राज्यपाल वी.पी. सिंह बदनौर को सौंपा और वे जल्द से जल्द उनकी सहमति चाहते थे,लेकिन यह राज्यपाल की संपत्ति बन गया। वह मंजूरी दे सकते हैं, उसे कानूनी जांच के लिए भेज सकते हैं, उन्हें भारत के अटॉर्नी जनरल को भेज सकते हैं, उसे लटका सकते हैं या उसे वापस भेज सकते हैं। 
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चूंकि राज्यपाल केंद्र सरकार का प्रतिनिधि होता है, इसलिए वह चारों बिलों को केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास उनके विचारों के लिए भी भेज सकता है। राज्य के ये 4 बिल केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ हैं और केंद्र ने राज्य सरकार के बिलों को नकार दिया है। दिलचस्प बात यह है कि भाजपा विधायक उस प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा नहीं थे, जो राज्यपाल से मिला था और इन विधेयकों के पारित होने पर विधानसभा से बाहर चला गया था। यह प्रतिबिंबित करता है कि भाजपा इस विषय पर राजनीतिक लड़ाई को आगे नहीं बढ़ाना चाहती है और इसे नरम तरीके से खेलना चाहती है। 
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छत्तीसगढ़, राजस्थान और अन्य राज्य भी इसी तरह के कानून पारित कर सकते हैं। केंद्र यह देखना चाहता है कि 3 केंद्रीय कृ षि अधिनियमों के खिलाफ गैर-कांग्रेस शासित राज्य भी शामिल होते हैं या नहीं। अब तक, कोई भी अन्य गैर-कांग्रेस सरकार इसमें शामिल नहीं हुई है। इसलिए, कैप्टन अमरेन्द्र सिंह के सभी लम्बे दावे गलत हैं।


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Pardeep

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