अर्थव्यवस्था पर बोले स्वामी- संकट से निपटने के लिए BJP को अनुभवी राजनेताओं की जरूरत

punjabkesari.in Sunday, Sep 15, 2019 - 06:28 PM (IST)

नेशनल डेस्क: भाजपा सांसद सुब्रमणियम स्वामी का मानना है कि वृहत अर्थशास्त्र की अच्छी समझ रखने वाला व्यक्ति ही अर्थव्यवस्था को मौजूदा गिरावट से उबार सकता है। सरकार की आर्थिक नीतियों की प्राय: आलोचना करने वाले स्वामी की राय है कि सरकार को आज संकट प्रबंधन के लिये अनुभवी राजनेताओं और पेशेवरों की टीम की जरूरत है। पेशेवेर ऐसे हों जिनके पास राजनीतिक की अच्छी समझ हो और भारतीय विचारों पर भरोसा करने वाले अर्थशास्त्री हों। साथ ही वे अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) तथा विश्वबैंक की लकीर के फकीर नहीं हो।

 

भाजपा नेता ने अपनी पुस्तक ‘रिसेट: रिगेनिंग इंडियाज एकोनामिक लिगैसी' में लिखा कि अर्थव्यवस्था की जिम्मेदारी जिन्हें मिली है, उन्हें वास्तविकता का पता नहीं है। वे मीडिया को साधने तथा बातों में घुमाने में लगे हैं। अर्थव्यवस्था में अनेक गंभीर बुनियादी कमियां हैं और इसीलिए हमारी अर्थव्यवस्था ऐसी नरमी में पड़ी है जो 1947 के बाद कभी नहीं दिखी। स्वामी का यह भी मानना है कि सरकारी उप-समितियों में कई ऐसे सदस्य हैं जिनके पास मात्रात्मक आर्थिक तर्कों को वृहत आर्थिक रूपरेखा में लागू करने को लेकर औपचारिक प्रशिक्षण नहीं है। जैसे संकट के कारणों को चिन्हित करना, अनुकूलतम उपायों की पहचान और संबद्ध पक्षों को उत्साहित करना। क्या मोदी सरकार के पास इस स्थिति से निपटने के लिये आपात नुस्खा तैयार है? 

 

स्वामी कहते हैं कि फिलहाल ऐसा नहीं दिख रहा। वृहत अर्थशास्त्र की मजबूत समझ जरूरी है। उन्होंने यह भी लिखा कि मजबूत मांग के संकेत के बिना और लोगों के बीच कमजोर क्रय शक्ति को देखते हुए मुद्रास्फीति में नरमी को उपलब्धि नहीं माना जा सकता। यह अवस्फीति का रूप है। अवस्फीति में वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में कमी आती है। हालांकि स्वामी को उम्मीद है कि भारत इस समस्या से भी निजात पा लेगा जैसा कि पिछले 72 साल में तमाम संकट से पार पाया है। उन्होंने कहा कि स्थिति से सीधे सुधारों के जरिये निपटा जाना चाहिए जो लोगों को प्रोत्साहित करता है। अपनी किताब में स्वामी ने अर्थव्यवस्था की खराब होती स्थिति के लिये 2008 से विदेशी निवेश के प्रति जरूरत से ज्यादा लगाव को जिम्मेदार ठहराया है। 

 

 स्वामी ने संप्रग सरकार (2004-14) की आलोचना करते हुए कहा कि सरकार के कुछ वरिष्ठ मंत्री बड़े भ्रष्टाचार में शामिल थे। हालांकि मनमोहन सिंह एक निपुण अर्थशास्त्री थे लेकिन वह हाशिये पर थे। उनका अपनी सरकार पर कोई असर नहीं था और वह एक संयोग से प्रधानमंत्री बन गए थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तुलना सिंह से करते हुए स्वामी लिखते हें कि वह सिंह के ठीक उलट हैं...उन्होंने वृहत अर्थशास्त्र की बारिकियों को नहीं पढ़ा है...लेकिन मोदी के पास लोगों और कड़ी मेहनत करने वाले मध्यम वर्ग को जोड़ने की क्षमता है और फलत: उन्हें बड़े सुधारों को आगे बढ़ाने का जनादेश मिला है। लेकिन मोदी ऐसे लोगों पर निर्भर हैं जो उन्हें अर्थव्यवस्था की कड़ी सचाई के बारे में कभी नहीं बताते या वृहत अर्थशास्त्र का विश्लेशण नहीं करते। जबकि संकट से पार पाने के लिये उन्हें इसकी जरूरत है। 


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vasudha

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