फूलों से सजे बद्रीनाथ धाम में विराजे श्री बदरीविशाल, PM मोदी के नाम से हुई पहली पूजा...श्रद्धालुओं का लगा तांता
punjabkesari.in Sunday, May 08, 2022 - 02:14 PM (IST)
नेशनल डेस्क: उत्तराखंड में रविवार सुबह बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने के साथ चारों धाम की ग्रीष्मकाल यात्रा शुरू हो गई। सुबह 6 बजकर 15 मिनट पर विधि-विधान पूर्वक वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ धाम के कपाट खोले गए। श्री बदरीनाथ मंदिर परिसर में प्रात: 4 बजे से कपाट खुलने की प्रक्रिया शुरू हुई। रावल ईश्वर प्रसाद नंबूदरी सहित धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल तथा वेदपाठी, आचार्यजनों द्वारा मंदिर परिसर के मुख्य द्वार पर पूजा अर्चना शुरू की गई।
The doors of Badrinath Dham opened today for all pilgrims.
— Shri Kedar 360 Trust (@Kedar360Purohit) May 8, 2022
Jay Badrivishal.
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तपश्चात मंदिर के सभामंडप में प्रवेश किया। ठीक सुबह 6 बजकर 15 मिनट पर श्री बदरीविशाल की जय के उदघोषों के साथ धाम के द्वार खोल दिए गए। कपाट खुलते ही माता लक्ष्मी जी को उनके मंदिर में विराजमान किया गया। गाडू घड़ा तेल कलश को गर्भगृह में पहुंचाया गया। श्री उद्वव जी एवं कुबेर जी गर्भगृह के अंदर बदरीश पंचायत में विराजमान हो गए।
पीएम मोदी के नाम पर हुई पहली पूजा
बदरीनाथ धाम में पहली महाभिषेक पूजा देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम से संपन्न हुई। प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सहित पर्यटन-धर्मस्व मंत्री सतपाल महाराज ने सभी धामों के कपाट खुलने पर बधाई एवं शुभकामनाएं दीं।
इससे पूर्व कल शनिवार शाम को योग बदरी पांडुकेश्वर से रावल जी सहित आदि गुरु शंकराचार्य जी की गद्दी, श्री उद्धव जी, श्री कुबेर जी श्री बदरीनाथ धाम पहुंच गए थे। कुबेर जी ने रात्रि को बामणी गांव में प्रवास किया। वह आज सुबह श्री बदरीनाथ मंदिर परिसर पहुंचे। कपाट खुलने पर रावल जी ने मंदिर गर्भगृह में प्रवेश कर भगवान बदरीविशाल का आव्हान कर घृतकंबल को प्राप्त किया तथा प्रसाद स्वरूप वितरित किया। श्री बदरीविशाल के निर्वाण दर्शन हुए। कुछ देर में भगवान का अभिषेक कर श्रृंगार रूप के दर्शन होंगे।
इस दौरान मंदिर में दर्शन शुरू हो गए तथा तीर्थयात्रियों का तांता लगा हुआ है। इस अवसर पर 15 हजार से अधिक श्रद्धालु कपाट खुलने के गवाह बन अखंड ज्योति के दर्शन किए। कपाट खुलने के अवसर पर ऋषिकेश के दानीदाताओं द्वारा श्री बदरीनाथ धाम को भव्यरूप से 20 क्विंटल फूलों से सजाया गया। पूरे बदरीनाथ धाम में गढ़वाल स्काट के बैंडों की स्वर लहरियां गुंजायमान होती रहीं। बामणी- पांडुकेश्वर, माणा महिला मंगल द्वारा पारंपरिक नृत्य एवं मांगलगान गाया तथा संस्कृत महाविद्यालय के छात्रों ने स्वास्तिवाचन किया।