बाबुल सुप्रियो : गायक से भाजपा का चेहरा बनने से लेकर ममता बनर्जी सरकार में मंत्री पद का सफर

punjabkesari.in Wednesday, Aug 03, 2022 - 06:55 PM (IST)

नेशनल डेस्क: पश्चिम बंगाल में बुधवार को ममता बनर्जी मंत्रिपरिषद में मंत्री पद की शपथ लेने वाले मशहूर गायक रहे बाबुल सुप्रियो (51) का सियासी सफर भी उनकी गायकी जितना ही दिलचस्प रहा है। कभी बंगाल में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के ‘पोस्टर बॉय' रहे सुप्रियो तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने से पहले भाजपा नीत केंद्र सरकार में मंत्री पद संभाल चुके हैं। शहर में बैंकर की नौकरी से अपने सफर की शुरुआत करने वाले सुप्रियो ने गायकी की दुनिया में भी अपना लोहा मनवाया। योग गुरु रामदेव के सपंर्क में आने के बाद सुप्रियो को भाजपा नीत केंद्र सरकार में मंत्री बनने का अवसर मिला।

हालांकि, पिछले साल टॉलीगंज विधानसभा सीट से 50,000 हजार मतों के बड़े अंतर से हारने के बाद उन्हें तगड़ा राजनीतिक झटका लगा। सुप्रियो ने सितंबर 2021 में सभी को चौंकाते हुए भाजपा का दामन छोड़ दिया और बंगाल के सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए, जिसके बाद उन्होंने अपनी नयी पार्टी के टिकट पर अप्रैल में बालीगंज विधानसभा सीट से जीत दर्ज की। पश्चिम बंगाल के उत्तरपाड़ा में 1970 में सुप्रिया बराल के रूप में जन्मे बाबुल सुप्रियो ने बैंक की नौकरी छोड़कर गायकी की दुनिया में किस्मत आजमाने के लिए अपना नाम बदल लिया। गायकी में सफलता पाने के बाद सुप्रियो ने 2014 में राजनीति में कदम रखा और बाबा रामदेव की सिफारिश पर भाजपा ने उन्हें लोकसभा चुनाव में टिकट दिया।

भाजपा के साथ राजनीतिक पारी शुरू करने वाले सुप्रियो ने आसनसोल सीट से तृणमूल कांग्रेस की डोला सेन को मात देकर सभी को चौंका दिया, जिसके बाद सुप्रियो को केंद्रीय शहरी विकास राज्य मंत्री बनाया गया। दो साल बाद जुलाई 2016 में मंत्रिमंडल फेरबदल के दौरान उन्हें भारी उद्योग मंत्रालय में जिम्मेदारी सौंपी गयी। 2019 के लोकसभा चुनावों में भी सुप्रियो की जीत का सिलसिला जारी रहा और उन्होंने तृणमूल कांग्रेस की मुनमुन सेन को 1.97 लाख मतों के भारी अंतर से हराया। इस बार सुप्रियो को पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री बनाया गया।

भाजपा ने सुप्रियो को अप्रैल 2021 में टॉलीगंज विधानसभा क्षेत्र से तृणमूल कांग्रेस के तीन बार के विधायक अरूप विश्वास के खिलाफ मैदान में उतारा। हालांकि, इस बार सुप्रियो को 50,000 से अधिक मतों से हार का सामना करना पड़ा। बाद में भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के साथ सुप्रियो के संबंधों में खटास आने लगी और उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल से हटा दिया गया। मंत्री पद से हटाए जाने से आहत सुप्रियो ने कहा था कि वह राजनीति ‘‘छोड़'' देंगे। बदलते राजनीतिक घटनाक्रम के बीच सुप्रियो ने तृणमूल कांग्रेस का दामन थाम लिया था।

 


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Content Editor

rajesh kumar

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