अयोध्या मामलाः हिंदू महासभा और अन्य हिंदू पक्षों ने दाखिल किया ''मोल्डिंग ऑफ रिलीफ''

punjabkesari.in Saturday, Oct 19, 2019 - 07:46 PM (IST)

नेशनल डेस्कः अयोध्या केस में मुस्लिम पक्षकारों ने सुप्रीम कोर्ट में संयुक्त रूप से ‘मोल्डिंग ऑफ रिलीफ’ पर अपनी वैकल्पिक मांग सीलबंद लिफाफे में पेश की हैं। अखिल भारतीय हिंदू महासभा ने भी मोल्डिंग ऑफ रिलीफ पर अपनी वैकल्पिक मांग सुप्रीम कोर्ट में पेश की हैं। मोल्डिंग ऑफ रिलीफ का मतलब होता है, कोर्ट से यह कहना कि अगर हमारे पहले वाले दावे को नहीं माना जा सकता तो नए दावे पर विचार किए जाए। दरअसल, कोर्ट ने अयोध्या मामले में फैसला सुरक्षित रखते समय सभी पक्षकारों को मोल्डिंग ऑफ रिलीव को लेकर तीन दिन में लिखित नोट जमान करने को कहा था।
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जानकारी के मुताबिक, अयोध्या मामले के मुस्लिम पक्षकारों ने सुप्रीम कोर्ट में संयुक्त रूप से ‘मोल्डिंग ऑफ रिलीफ’ पर अपनी वैकल्पिक मांग सीलबंद लिफाफे में पेश की है। सुन्नी वक्फ बोर्ड में वकील रिजवी पक्ष ने कहा है कि सामाजिक समरसता को देखते हुए जो कोर्ट को उचित लगे वह करे। वहीं दूसरी ओर शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने सुप्रीम कोर्ट में जवाब दायर कर कहा है कि पूरी विवादित जमीन पर भगवान श्री राम का मंदिर बने।
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राम जन्मभूमि पुनरुद्धार समिति ने भी मोल्डिंग ऑफ रिलीफ के लिखित नोट कहा है कि विवादित जमीन पर मंदिर बने। मंदिर की देखरेख और संचालन के लिए का गठन किया जाए। वहीं, हिंदू महासभा ने ‘मोल्डिंग ऑफ रिलीफ’ को लेकर दायर नोट में कहा है मंदिर के रखरखाव और प्रशासन के लिए कोर्ट ‘स्किम ऑफ एडमिस्ट्रेशन’ बनाए। कोर्ट एक ट्रस्ट का गठन करे, जो राम मंदिर के निर्माण के बाद पूरी व्यस्था देखे। सुप्रीम कोर्ट इसके लिए एडमिनिस्ट्रेटर नियुक्त करे।
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निर्मोही अखाड़े ने भी मोल्डिंग ऑफ रिलीफ़ के लिए अपना जवाब दायर किया, जिसमें उसने रामलला या किसी भी हिन्दू पक्षकार के पक्ष में डिक्री होने पर अपने सेवायत अधिकार के बरकरार रखे जाने की बात कही। इसमें कहा गया कि भूमि पर मन्दिर बनाने के साथ ही रामलला की सेवा, पूजा और व्यवस्था की जिम्मेदारी का अधिकार हो।


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Yaspal

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