अयोध्‍या मामला: CJI ने दिए संकेत, आज पूरी हो सकती है मामले की सुनवाई

punjabkesari.in Wednesday, Oct 16, 2019 - 05:08 AM (IST)

नेशनल डेस्कः रामजन्म भूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले में अब फैसले की घड़ी करीब आ गई है। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सुनवाई पूरी होने की उम्मीद जताई है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सुनवाई के दौरान कहा कि कल अयोध्या विवाद मामले में वह सुनवाई पूरी करने की कोशिश करेंगे। इसके लिए उन्होंने दोनों पक्षों को दलील देने के लिए कहा है।
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चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्‍यक्षता वाली पांच न्‍यायाधीशों की संविधान पीठ 39 दिनों से राम जनमभूमि-बाबरी मस्जिद के मुकदमे की सुनवाई कर रही है। इससे पहले 18 अक्‍टूबर को दलीलें खत्‍म करने की समय सीमा तय की गई थी. लेकिन सीजेआई ने मंगलवार को संकेत दिए हैं कि गुरुवार की बजाय बुधवार को सुनवाई पूरी करने की कोशिश करेंगे। वहीं मामले की सुनवाई के दौरान मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में हिंदू पक्ष ने दलील दी कि अयोध्या में भगवान राम के जन्म स्थान पर मस्जिद का निर्माण करके मुगल शासक बाबर द्वारा की गयी ऐतिहासिक भूल को अब सुधारने की आवश्यकता है।
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चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ के सामने एक हिंदू पक्षकार की ओर से पूर्व अटार्नी जनरल और सीनियर वकील के. परासरन ने कहा कि अयोध्या में अनेक मस्जिदें हैं जहां मुस्लिम इबादत कर सकते हैं, लेकिन हिंदू भगवान राम का जन्म स्थान नहीं बदल सकते। सुन्नी वक्फ बोर्ड और अन्य के वाद में प्रतिवादी महंत सुरेश दास की ओर से बहस करते हुए परासरन ने कहा कि सम्राट बाबर ने भारत पर जीत हासिल की और उन्होंने खुद को कानून से ऊपर रखते हुए भगवान राम के जन्म स्थान पर एक मस्जिद का निर्माण करके ऐतिहासिक भूल की. संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में जज एस ए बोबडे, जज धनन्जय वाई चंद्रचूड़, जज अशोक भूषण और जज एस अब्दुल नजीर शामिल हैं।
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संविधान पीठ ने परासरन से परिसीमा के कानून, विपरीत कब्जे के सिद्धांत और अयोध्या में 2.77 एकड़ विवादित भूमि से मुस्लिमों को बेदखल किये जाने से जुड़े कई सवाल किये। पीठ ने यह भी जानना चाहा कि क्या मुस्लिम, अयोध्या में कथित मस्जिद छह दिसंबर, 1992 को ढहाए जाने के बाद भी विवादित संपत्ति के बारे में डिक्री की मांग कर सकते हैं? पीठ ने परासरन से कहा, 'वे कहते हैं, एक बार मस्जिद है तो हमेशा ही मस्जिद है, क्या आप इसका समर्थन करते हैं।

 


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Yaspal

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