सियाचिन में एवलांच का कहर, बर्फीले तूफान में दबने से 4 जवानों समेत 6 की मौत

punjabkesari.in Monday, Nov 18, 2019 - 11:09 PM (IST)

नेशनल डेस्कः दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र सियाचिन ग्लेशियर में सोमवार को भारतीय सेना की पोस्ट बर्फीले तूफान की चपेट में आ गई। इस घटना में 4 जवानों समेत 6 लोगों की मौत हो गई है। घटना करीब दिन के साढ़े 3 बजे की है। फिलहाल राहत एवं बचाव कार्य को बंद कर दिया गया है। गौरतलब है कि बर्फीला तूफान ग्लेशियर में आया, जहां ऊंचाई करीब 19 हजार फीट और उससे अधिक है, जिन जवानों को बर्फीले तूफान का सामना करना पड़ा, वे पेट्रोलिंग का हिस्सा था। इसमें 8 जवान थे और जब बर्फीला तूफान आया तो ये सब नॉर्दन ग्लेशियर में मौजूद थे।
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सियाचिन वो इलाका है जहां सिर्फ पक्के दोस्त और कट्टर दुश्मन ही पहुंच सकते हैं. सियाचिन दुनिया का सबसे ऊंचा रणक्षेत्र है अगर इसके नाम के मतलब पर जाएं तो सिया मतलब गुलाब और चिन मतलब जगह यानी गुलाबों की घाटी लेकिन भारत के सैनिकों के लिए इस गुलाब के कांटे काफी चुभने वाले साबित हुए हैं। सियाचिन में हमारे सैनिकों का सबसे बड़ा दुश्मन...कोई घुसपैठिया या आतंकवादी नहीं...बल्कि वो बेरहम मौसम है...जो अलग अलग देशों के इंसानों में कोई फर्क नहीं करता।
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क्यों है खास सियाचिन

  • सियाचिन में तापमान माइनस 50 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है।
  • बेस कैंप से भारत की जो चौकी सबसे दूर है उसका नाम इंद्रा कॉलोनी है और सैनिकों को वहां तक पैदल जाने में लगभग 20 से 22 दिन का समय लग जाता है।
  • चौकियों पर जाने वाले सैनिक एक के पीछे एक लाइन में चलते हैं और सबकी कमर में एक रस्सी बंधी होती है।
  • कमर में रस्सी इसलिए बांधी जाती है क्योंकि बर्फ कहां धंस जाए इसका पता नहीं चलता।
  • अगर कोई सैनिक खाई में गिरने लगे तो बाकी लोग रस्सी की मदद से उसकी जान बचा सकते हैं।
  • सियाचिन में इतनी बर्फ है कि अगर दिन में सूरज चमके और उसकी चमक बर्फ पर पड़ने के बाद आंखों में जाए तो आंखों की रोशनी जाने का ख़तरा रहता है।
  • इतना ही नहीं अगर तेज़ चलती हवाओं के बीच कोई सैनिक रात में बाहर हो तो हवा में उड़ रहे बर्फ के अंश चेहरे पर हज़ारों सुइयों की तरह चुभते हैं।
  • वहां नहाने के बारे में सोचा भी नहीं जा सकता और सैनिकों को दाढ़ी बनाने के लिए भी मना किया जाता है क्योंकि वहां त्वचा इतनी नाज़ुक हो जाती है कि उसके कटने का खतरा काफी बढ़ जाता है और अगर एक बार त्वचा कट जाए तो घाव भरने में काफी समय लगता है।
  • सियाचिन ग्लेशिय दुनिया का सबसे ऊंचा युद्ध क्षेत्र है।
  • वर्ष 1984 से लेकर अबतक करीब 900 सैनिक सियाचिन में शहीद हो चुके हैं।

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सियाचिन रणनीतिक तौर पर भारत के लिए बेहद जरूरी है। इसलिए इसकी सुरक्षा से कोई समझौता भी नहीं किया जा सकता। सियाचिन के बारे में कहा जाता है कि ये इलाका भारतीय सेना की जांबाजी की मिसाल है। सियाचिन के बर्फीले रेगिस्तान में जहां कुछ नहीं उगता, वहां सैनिकों की तैनाती का एक दिन का खर्च ही 4 से 8 करोड़ रुपए है फिर भी 30 साल से यहां भारतीय सेना पाकिस्तान के नापाक इरादों को नाकाम कर रही है।

 


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Yaspal

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