खुशबू चौहान को असम रायफल्स के जवान का जवाब
punjabkesari.in Wednesday, Oct 09, 2019 - 01:46 PM (IST)
नई दिल्ली: मानवाधिकार पर आयोजित वाद-विवाद प्रतियोगिता में सीआरपीएफ महिला कॉन्स्टेबल खुशबू चौहान के दिए भाषण ने पिछले दिनों काफी सुर्खियां बटोरी थीं। उनके भाषण की जहां कई लोगों ने तारीफ की थी वहीं कईयों ने इसकी आलोचना भी की थी। हालांकि सीआरपीएफ की तरफ से खुशबू के बयान पर सफाई भी आई थी और महिला कॉन्स्टेबल को हिदायत दी गई थी कि वे अपने शब्दों और भावनाओं पर संयम रखें। वहीं अब इसी प्रतियोगिता में दिए गए एक अन्य जवान का भी भाषण सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
Assam Rifles के जवान बलवान सिंह: बहादुरी मारने में नहीं बचाने में है...#HumanRights pic.twitter.com/nObME8UwQf
— Mohit Grover || موحِت گرو ور || मोहित ग्रोवर || (@mohitgroverAT) October 9, 2019
असम रायफल्स में राइफलमैन बलवान सिंह ने भी राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के द्वारा 27 सितंबर को आयोजित किए गए मानवाधिकार पर भाषण दिया था। उनका तर्क कॉन्स्टेबल खुशबू चौहान से पूरी तरह से अलग है। राइफलमैन बलवान सिंह ने अपने भाषण में कहा कि बहादुरी किसी को मारने में नहीं बल्कि बचाने में है। उन्होंने अपने भाषण में मानवाधिकार नियमों का पालन किए जाने की वकालत की। रायफलमैन बलवान ने कहा कि मानवाधिकारों का अनुपालन कर पाना असंभव है लेकिन ऐसे में आम लोगों के अधिकारों की रक्षा फिर कौन करेगा?
बलवान सिंह ने कहा कि मानवाधिकार वो अधिकार हैं जो प्रत्येक व्यक्ति को मिलते हैं, अलग से भारत का संविधान भी नागरिकों को मौलिक अधिकार देता है। वहीं राइफलमैन ने कहा कि साल 2000 से 2012 तक मणिपुर में पुलिस-सुरक्षाबलों में 1000 फर्जी मुठभेड़ दर्ज हुईं। देश में 2016 में पुलिस फायरिंग में 92 नागरिक मारे गए, लाठीचार्ज में भी कई लोगों की मौत हुई। उन्होंने कहा कि बहादुरी किसी को मारने में नहीं बल्कि बचाने में होती है, अगर बम-बंदूक के दम पर शांति स्थापित होती तो कश्मीर-छत्तीसगढ़ में कब की शांति हो गई होती। बता दें कि इसी प्रतियोगिता में खुशबू ने बड़े जोशीले भाव से कहा था कि जिस घर अफजल पैदा होंगे उसे उसके घर में घुस कर उसी कोख में मार डालेंगे।