भारत में परियों की एक छोटी-सी दुनिया, यूं ही दिख जाती हैं अचानक!

punjabkesari.in Tuesday, Nov 05, 2019 - 02:38 PM (IST)

नेशनल डेस्कः बचपन में अक्सर कई बार हमने परियों की कहानियां या तो पढ़ी हैं या फिर किसी न किसी से सुनी जरूर हैं। कहा जाता है कि परियां बहुत सुंदर होती हैं और अगर किसी पर मेहरबान हो जाएं तो अपनी जादू की छड़ी से या तो उसकी कोई कामना पूरी कर देती हैं या फिर उसे मालामाल कर देती है। पहाड़ों में तो इनके इंसानों से प्रेम किस्से अक्सर सुनने को मिल जाते हैं। जब परियों के बारे में सुनते थे तब मन में एक बार तो आता था कि काश एक बार परी कहीं दिख जाए। तो आपको एक ऐसी जगह के बारे में बताते हैं जहां आज भी लोग परियों और वनदेवियों को देखने का दावा करते हैं।

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ऐसे जाएं परियों की नगरी
परियों की यह हसीन दुनिया ज्यादा दूर नहीं है और आप जनकर हैरान होंगे कि यह भारत में जहां आप कभी न कभी एक बार जरूर गए होंगे। हम बात कर रहे हैं उत्तराखंड के खैट पर्वत की। आप उत्तराखंड के ऋषिकेश से सड़क मार्ग से होते हुए गढ़वाल जिले के फेगुलीपट्टी के थात गांव पहुंचेंगे तो यहां से आपको पैदल ही परियों की नगरी तक जाना होगा। गुंबदाकार यह खैट पर्वत समुद्रतल से करीब 10000 फीट की ऊंचाई पर है।

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अचानक ही दिख जाती हैं परियां
यह पर्वत किसी जन्नत से कम नहीं हैं। खूबसूरत वादियों से घिरे इस पर्वत के बारे में कहा जाता है कि यहां लोगों को अचानक ही कहीं परियों के दर्शन हो जाते हैं। लोगों का ऐसा मानना है कि परियां आस-पास के गांवों की रक्षा करती हैं।

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रहस्यों से भरा मंदिर
थात गांव से करीब 5 किलोमीटर की दूरी पर खैटखाल नाम का एक मंदिर है जिसे यहां के रहस्यों का केन्द्र माना जाता है। इस मंदिर में परियों की पूजा होती है और जून के महीने में यहां मेला भी लगता है।

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परियों को पसंद नहीं ये बातें
कहते हैं कि परियों को चटकीला रंग, शोर और तेज संगीत पसंद नहीं है इसलिए यहां इन बातों की सख्त मनाही है। यहां एकदम शांति होती है। कहते हैं कि यहां एक जीतू नाम का शख्स था। एक बार उसने इस पर्वत पर आकर बांसुरी बजाई। जीतू की बांसुरी की धुन पर परियां मुग्ध हो गईं और उसे अपने साथ ले गईं। उस दिन के बाद जीतू को किसी ने नहीं देखा।

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रहस्यमयी गुफा
इस पर्वत पर एक रहस्यमयी गुफा भी है जिसके बारे में कहा जाता है कि इसके आदि अंत का आज तक पता नहीं चल पाया है। इस जगह का संबंध महादेव के अंधकासुर और मातारानी के शुंभ-निशुंभ के वध से भी जोड़ा जाता है। कुछ लोग इन अलौकिक कन्याओं को योगनियां और वनदेवी भी मानते हैं। भले ही आपको यहां परियां दिखे न दिखें लेकिन अगर खुद को तरोताजा करना है तो एक बार इस पर्वत की सैर जरूर करें क्योंकि यह जगह सच में रोमांच से भर देने वाली है।

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Seema Sharma

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