6.3 करोड़ भारतीय ठीक से सुन नहीं पाने की समस्या जूझ रहे, युवाओं पर सबसे ज्यादा असर...यह है कारण

punjabkesari.in Tuesday, Mar 29, 2022 - 11:36 AM (IST)

नेशनल डेस्क: यूनाइटेड नेशंस एनवायरमेंट प्रोग्राम (UNEP) की ओर से जारी की गई वार्षिक फ्रंटियर रिपोर्ट-2022 में भारत के मुरादाबाद शहर को विश्व का दूसरा सबसे ज्यादा ध्वनि प्रदूषित शहर घोषित किया गया। इसी बीच संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में ध्वनि प्रदूषण की वजह से कम सुनने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 6.3 करोड़ की आबादी ऐसी है, जो कम सुनाई देने की समस्या से पीड़ित है।

 

युवाओं पर हो रहा ज्यादा असर
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक ध्वनि प्रदूषण फैलाने वाले कारकों जैसे सड़क यातायात, हवाई यातायात, रेलवे, मशीनरी, उद्योग और कान फोड़ू संगीत सुनने की वजह से शारीरिक और मानसिक कल्याण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। WHO के मुताबिक इससे सबसे युवा प्रभावित हो रहे हैं। भारत के युवा अपनी श्रवण क्षमता तेजी से खोते जा रहे हैं। WHO ने कहा कि 2030 तक भारत में कम सुनने वालों की संख्या दोगुनी से ज्यादा यानि 13 करोड़ से ज्यादा हो जाएगी। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि भारत में 10 में से दो लोग ही इस समस्या का इलाज करवाते हैं और श्रवण यंत्र पहनते हैं।

 

दुनियाभर में एक अरब लोग प्रभावित
रिपोर्ट में कहा गया कि कानफोड़ू म्यूजिक और मनोरंजन के अन्य साधनों के उच्च शोर की चपेट में लंबे समय तक रहने के कारण दुनिया भर में 12 से 35 साल की उम्र के लगभग एक अरब लोगों की श्रवण क्षमता के लिए जोखिम पैदा हो गया है। अनुमानों के अनुसार साल 2030 तक यह संख्या दो अरब से ज्यादा तक पहुंच सकती है।

 

श्रवण क्षमता ठीक रखने के लिए करें ये उपाय

  • ऑडियो का ध्वनि स्तर कम रखें
  •  उपयुक्त गुणवत्ता वाले हैडफोन या इयरफोन का इस्तेमाल करें
  • शोरगुल वाले स्थानों पर कानों में प्लग का उपयोग करें
  • श्रवण क्षमता की जांच समय-समय पर करवाते रहना चाहिए

सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Seema Sharma

Recommended News

Related News