कसाब को सजा दिलाने वाली देविका सरकार से नाराज, बोली- 12 साल बाद भी नहीं मिला इंसाफ

punjabkesari.in Wednesday, Aug 26, 2020 - 01:50 PM (IST)

नेशनल डेस्क: मुंबई में नवंबर 2008 को आंतकी हमले में जीवित बची एक कम उम्र की पीड़िता ने उसके परिवार को आवास मुहैया कराने और स्नातक की उसकी शिक्षा में मदद के लिए बंबई उच्च न्यायालय से महाराष्ट्र सरकार को निर्देश देने का अनुरोध किया है। मुंबई में 12 साल पहले हुए आतंकी हमले की चश्मदीद देविका रोतावन (21) ने 21 अगस्त को एक याचिका दायर की। याचिका में उन्होंने आशंका जतायी है कि उनका परिवार बेघर हो जाएगा क्योंकि आर्थिक दिक्कतों के कारण वे अपने कमरे का किराया नहीं दे पा रहे हैं। 

 

पाकिस्तानी आतंकवादियों द्वारा शहर में कई स्थानों पर 26 नवंबर 2008 को किए गए आतंकी हमले के समय रोतावन नौ साल की थी। उस दिन वह अपने पिता और भाई के साथ मुंबई सीएसएमटी रेलवे स्टेशन पर थी। आतंकियों ने रेलवे स्टेशन पर भी हमला किया था। याचिका में कहा गया कि रोतावन के पैर में एक गोली लगी थी जबकि उसके पिता और भाई भी घायल हो गए थे। गंभीर बीमारियों से ग्रस्त होने के कारण उसके पिता और भाई के लिए आजीविका चलाना संभव नहीं है ।

 

रोतावन ने अपनी याचिका में कहाकि हमले के बाद केंद्र और राज्य सरकार के कई अधिकारियों ने उनके घर का दौरा किया था और आर्थिक रूप से कमजोर (ईडब्ल्यूएस) कोटा के तहत आवास मुहैया कराने का आश्वासन दिया था। याचिका में उसने दावा किया कि शिक्षा के लिए समुचित व्यवस्था और परिवार के सदस्यों के उपचार के लिए वित्तीय सहायता भी देने का आश्वासन दिया गया था।

 

याचिका में उसने कहा कि वह आतंकवादी अजमल कसाब के खिलाफ चले मुकदमे में महत्वपूर्ण गवाह थी। रोतावन ने ईडब्ल्यूएस कोटा के तहत आवास की व्यवस्था और अपनी शिक्षा के लिए वित्तीय सहायता को लेकर राज्य सरकार को निर्देश देने का भी अनुरोध किया है। याचिका पर अगले सप्ताह सुनवाई होने की संभावना है ।
 


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vasudha

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