सुप्रीम कोर्ट ने लांघी ''लक्ष्मण रेखा'', नूपुर शर्मा के सपोर्ट में आईं 117 हस्तियां...कहा- लोकतंत्र की न्याय प्रणाली पर लगा दाग

punjabkesari.in Tuesday, Jul 05, 2022 - 03:41 PM (IST)

नेशनल डेस्क: पूर्व न्यायाधीशों और नौकरशाहों के एक समूह ने भाजपा की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की हालिया टिप्पणियों की निंदा करते हुए मंगलवार को आरोप लगाया कि शीर्ष अदालत ने इस मामले में ‘‘लक्ष्मण रेखा'' पार कर दी। 15 पूर्व न्यायाधीशों, अखिल भारतीय सेवा के 77 पूर्व अधिकारी और 25 अन्य लोगों ने एक बयान पर हस्ताक्षर किए, जिसमें उन्होंने कहा कि ‘‘न्यायपालिका के इतिहास में, ये दुर्भाग्यपूर्ण टिप्पणियां बेमेल हैं और सबसे बड़े लोकतंत्र की न्याय प्रणाली पर ऐसा दाग हैं, जिसे मिटाया नहीं जा सकता। इस मामले में तत्काल सुधारात्मक कदम उठाए जाने का आह्वान किया जाता है, क्योंकि इसके लोकतांत्रिक मूल्यों और देश की सुरक्षा पर संभावित गंभीर परिणाम हो सकते हैं।''

 

इस बयान पर हस्ताक्षर करने वालों में बंबई हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश क्षितिज व्यास, गुजरात हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एस एम सोनी, राजस्थान हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीशों- न्यायमूर्ति आर एस राठौर एवं न्यायमूर्ति प्रशांत अग्रवाल और दिल्ली हाईकोर्ट  के पूर्व न्यायाधीश एस एन ढींगरा शामिल हैं। पूर्व आईएएस अधिकारी आर एस गोपालन और एस कृष्ण कुमार, राजदूत (सेवानिवृत्त) निरंजन देसाई, पूर्व पुलिस महानिदेशक एस पी वैद और बी.एल. वोहरा, लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) वी के चतुर्वेदी और एयर मार्शल (सेवानिवृत्त) एस पी सिंह ने भी बयान पर हस्ताक्षर किए हैं। 

 

क्या कहा गया बयान में
बयान में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियां न्यायिक लोकाचार से मेल नहीं खातीं। बयान में कहा गया है, ‘‘ये टिप्पणियां न्यायिक आदेश का हिस्सा नहीं हैं और उन्हें न्यायिक औचित्य और निष्पक्षता के आधार पर किसी भी तरह से उचित नहीं ठहराया जा सकता है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा से निलंबित नेता नूपुर शर्मा की पैगंबर मोहम्मद के बारे में विवादित टिप्पणी को लेकर उन्हें 1 जुलाई को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा था कि उनकी (नुपुर की) ‘‘अनियंत्रित जुबान'' ने ‘‘पूरे देश को आग में झोंक'' दिया। न्यायालय ने यह भी कहा कि ‘‘देश में जो कुछ हो रहा है उसके लिए शर्मा अकेले जिम्मेदार हैं।''  

 

बयान में इन टिप्पणियों की निंदा करते हुए कहा गया है, ‘‘हम जिम्मेदार नागरिक के तौर पर यह मानते हैं कि किसी भी देश का लोकतंत्र तब तक ही बरकरार रहेगा, जब तक कि सभी संस्थाएं संविधान के अनुसार अपने कर्तव्यों का पालन करती रहेंगी। सुप्रीम कोर्ट के दो न्यायाशीधों की हालिया टिप्पणियों ने लक्ष्मण रेखा पार कर दी है और हमें एक खुला बयान जारी करने के लिए मजबूर किया है।'' बयान में दावा किया गया कि इन टिप्पणियों ने ‘‘उदयपुर में दिन-दिहाड़े सिर कलम करने के नृशंस कृत्य'' को अप्रत्यक्ष तरीके से छूट दे दी। इसमें कहा गया, ‘‘कानून से जुड़े समुदाय का इस टिप्पणी पर आश्चर्यचकित होना तय है कि प्राथमिकी के कारण गिरफ्तारी होनी चाहिए। देश में बिना नोटिस दिए अन्य एजेंसियों पर इस प्रकार की टिप्पणियां वास्तव में चिंताजनक और खतरनाक हैं।


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Content Writer

Seema Sharma

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