कोरोना वायरस: देश की इकॉनमी को बचाने के लिए RBI ने की 10 बड़ी घोषणाएं
punjabkesari.in Friday, Mar 27, 2020 - 01:30 PM (IST)
बिजनेस डेस्क: कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम के लिये देश में लागू 21 दिन की पाबंदियों के आर्थिक व वित्तीय प्रभावों को कम करने के लिये केंद्र सरकार के राहत पैकेज के एक ही दिन बाद शुक्रवार को रिजर्व बैंक ने भी मौद्रिक नीतियों से आर्थिक गति को सहारा देने की कोशिश की। रिजर्व बैंक ने अप्रत्याशित कदम उठाते हुए तीन अप्रैल को प्रस्तावित मौद्रिक नीति घोषणा से पहले ही रेपो दर, रिवर्स रेपो दर घटाने समेत कई नीतिगत उपाय किये।
रिजर्व बैंक की घोषणा की मुख्य बातें इस प्रकार हैं:
- -रेपो दर 0.75 प्रतिशत कर 4.4 प्रतिशत की गयी।
- -रिवर्स रेपो दर में 0.90 प्रतिशत की कमी की गयी है।
- - सीआरआर कम कर तीन प्रतिशत किया गया।
- - रेपो दर में कमी से कोरोना वायरस महामारी के आर्थिक प्रभाव से निपटने में मदद मिलेगी।
- -कच्चा तेल के दाम और मांग में कमी से खुदरा मुद्रास्फीति कम होगी
- -मौद्रिक नीति समिति ने अनिश्चित आर्थिक माहौल को देखते हुए अगले साल के लिये आर्थिक वृद्धि दर, मुद्रास्फीति के बारे में अनुमान नहीं जताया।
- कद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में 1 प्रतिश्त की कटौती, सीआरआर 3 प्रतिश्त पर आया।
- -सीआरआर में कटौती, रेपो दर आधारित नीलामी समेत अन्य कदम से बैंकों के पास कर्ज देने के लिए अतिरिक्त 3.74 लाख करोड़ रुपये के बराबर अतिरिक्त नकद धन उपलब्ध होगा
- आरबीआई ने कर्ज देने वाले सभी वित्तीय संस्थानों को सावधिक कर्ज की किस्तों की वसूली पर तीन महीने तक टालने की छूट दी।
- कार्यशील पूंजी पर ब्याज भुगतान नहीं किये जाने को चूक (डिफॉल्ट) नहीं माना जाएगा, इससे कर्जदार की रेटिंग (क्रेडिट हिस्ट्री) पर असर नहीं पड़ेगा।
क्या होता है रेपो रेट
रेपो रेट वह दर होती है जिस पर बैंकों को आरबीआई कर्ज देता है। बैंक इस कर्ज से ग्राहकों को ऋण देते हैं। रेपो रेट कम होने से मतलब है कि बैंक से मिलने वाले कई तरह के कर्ज सस्ते हो जाएंगे। जैसे कि होम लोन, व्हीकल लोन और अन्य तरह के लोन। कम रेपो रेट होने पर बैंक कम ब्याज दर पर लोन ऑफर कर पाएंगे। इससे नया लोन सस्ता हो जाएगा जबकि लोन ले चुके लोगों को या तो ईएमआई में या रीपेमेंट पीरियड में कटौती का फायदा मिल सकता है।
क्या होता है रिवर्स रेपो रेट
जिस रेट पर बैंकों को उनकी ओर से आरबीआई में जमा धन पर ब्याज मिलता है, उसे रिवर्स रेपो रेट कहते हैं। रिवर्स रेपो रेट बाजारों में नकदी को नियंत्रित करने में काम आता है। बहुत ज्यादा नकदी होने पर आरबीआई रिवर्स रेपो रेट बढ़ा देती है।