एनसीएलटी ने रिलायंस कैपिटल के लिए दोबारा नीलामी की योजना पर रोक लगाई
punjabkesari.in Thursday, Feb 02, 2023 - 10:09 PM (IST)
मुंबई, दो फरवरी (भाषा) राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) ने कर्ज में डूबी कंपनी रिलायंस कैपिटल के लिए दोबारा नीलामी किए जाने की योजना के खिलाफ दायर टॉरेंट इन्वेस्टमेंट्स की अर्जी बृहस्पतिवार को स्वीकार कर ली।
इसके साथ ही न्यायमूर्ति श्याम बाबू गौतम और न्यायमूर्ति प्रदीप नरहरि देशमुख की पीठ ने अपने आदेश में कहा कि वित्तीय बोलियां मंगाने की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है लिहाजा कर्जदाताओं को नीलामी का दूसरा दौर आयोजित करने से रोक रहेगी।
गत 21 दिसंबर को आयोजित ऑनलाइन नीलामी में टॉरेंट इन्वेस्टमेंट्स ने 8,640 करोड़ रुपये की सबसे ऊंची बोली लगाई थी। लेकिन रिलायंस कैपिटल के कर्जदाताओं की समिति (सीओसी) को यह राशि समुचित नहीं लगी और वह नए सिरे से नीलामी की योजना बना रहे थे।
इसके खिलाफ टॉरेंट इन्वेस्टमेंट्स ने एनसीएलटी में अर्जी लगाई थी। न्यायाधिकरण ने अपने आदेश में कहा, ‘‘यह घोषित किया जाता है कि नीलामी प्रणाली को विस्तारित करने की प्रक्रिया कंपनी दिवाला एवं समाधान प्रक्रिया नियम की धारा 39ए का उल्लंघन करती है।’’
इस आदेश के बाद सीओसी और रिलायंस कैपिटल के लिए नियुक्त प्रशासक को नीलामी में लगाई गई बोली के मूल्य में कोई भी बदलाव करने की छूट नहीं होगी। टॉरेंट के बाद आईआईएचएल ने 8,110 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी।
माना जा रहा है कि रिलायंस कैपिटल के कर्जदाताओं की समिति इस आदेश के खिलाफ राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) में अपील कर सकती है। रिलायंस कैपिटल पर करीब 40,000 करोड़ रुपये का बकाया कर्ज है।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
इसके साथ ही न्यायमूर्ति श्याम बाबू गौतम और न्यायमूर्ति प्रदीप नरहरि देशमुख की पीठ ने अपने आदेश में कहा कि वित्तीय बोलियां मंगाने की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है लिहाजा कर्जदाताओं को नीलामी का दूसरा दौर आयोजित करने से रोक रहेगी।
गत 21 दिसंबर को आयोजित ऑनलाइन नीलामी में टॉरेंट इन्वेस्टमेंट्स ने 8,640 करोड़ रुपये की सबसे ऊंची बोली लगाई थी। लेकिन रिलायंस कैपिटल के कर्जदाताओं की समिति (सीओसी) को यह राशि समुचित नहीं लगी और वह नए सिरे से नीलामी की योजना बना रहे थे।
इसके खिलाफ टॉरेंट इन्वेस्टमेंट्स ने एनसीएलटी में अर्जी लगाई थी। न्यायाधिकरण ने अपने आदेश में कहा, ‘‘यह घोषित किया जाता है कि नीलामी प्रणाली को विस्तारित करने की प्रक्रिया कंपनी दिवाला एवं समाधान प्रक्रिया नियम की धारा 39ए का उल्लंघन करती है।’’
इस आदेश के बाद सीओसी और रिलायंस कैपिटल के लिए नियुक्त प्रशासक को नीलामी में लगाई गई बोली के मूल्य में कोई भी बदलाव करने की छूट नहीं होगी। टॉरेंट के बाद आईआईएचएल ने 8,110 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी।
माना जा रहा है कि रिलायंस कैपिटल के कर्जदाताओं की समिति इस आदेश के खिलाफ राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) में अपील कर सकती है। रिलायंस कैपिटल पर करीब 40,000 करोड़ रुपये का बकाया कर्ज है।
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