''अमृत काल'' बनाम ''मित्र काल'': भाजपा ने बजट को बताया समावेशी, विपक्ष ने कहा जनविरोधी

punjabkesari.in Wednesday, Feb 01, 2023 - 10:31 PM (IST)

नयी दिल्ली, एक फरवरी (भाषा) सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने बुधवार को केंद्रीय बजट को सर्वसमावेशी दस्तावेज बताया और कहा कि यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नये भारत के निर्माण के दूरदर्शी नेतृत्व को दर्शाता है। वहीं, विपक्ष ने इसे ‘‘जनविरोधी’’ बताकर खारिज कर दिया और कहा कि इसमें कोरी बयानबाजी की गई है तथा इसमें रोजगार सृजन एवं मुद्रास्फीति पर काबू पाने की दृष्टि का अभाव है।

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को आम बजट पेश करते हुए व्यक्तिगत आयकर छूट सीमा बढ़ा दी, छोटी बचत पर रियायतें दीं और पिछले एक दशक में पूंजीगत खर्च में सबसे बड़ी वृद्धि की घोषणा की।

बजट ने भाजपा और विपक्ष के बीच ''अमृतकाल'' बनाम ''मित्रकाल'' की बहस भी छेड़ दी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि यह गरीबों और मध्यम वर्ग सहित आकांक्षी समाज के सपनों को पूरा करने के लिए एक मजबूत आधार प्रदान करता है। वहीं, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने दावा किया कि इसमें केवल अमीरों की परवाह की गई है।

मोदी ने आम बजट 2023-24 को ‘‘ऐतिहासिक’’ करार देते हुए कहा कि ‘‘अमृत काल’’ के पहले बजट ने विकसित भारत के संकल्प और गरीबों एवं मध्यम वर्ग सहित आकांक्षी समाज के सपनों को पूरा करने के लिए एक मजबूत आधार स्थापित किया है।

बजट पर अपनी पहली प्रतिक्रिया में मोदी ने कहा कि मध्यम वर्ग को सशक्त बनाने के लिए सरकार ने पिछले वर्षों में कई महत्वपूर्ण फैसले लिये हैं, जिससे जीवन की सुगमता सुनिश्चित हुई है।

प्रधानमंत्री ने 2047 के सपनों को साकार करने में मध्यम वर्ग की क्षमता को रेखांकित किया।

मोदी ने कर की दरों में कमी के साथ-साथ प्रक्रियाओं के सरलीकरण, पारदर्शिता और गति पर भी प्रकाश डाला।

उन्होंने कहा, ‘‘मध्यम वर्ग को सशक्त बनाने के लिए हमारी सरकार ने बीते वर्षों में अनेकों निर्णय लिये हैं। जीवन जीने की सुगमता को सुनिश्चित किया है। कर की दर को कम किया है और कर प्रक्रिया को आसान बनाया है। हमेशा मध्यम वर्ग के साथ खड़ी रहने वाली हमारी सरकार ने मध्यम वर्ग को कर में बड़ी राहत दी है।’’
भाजपा अकसर देश की आजादी के 75वें वर्ष 2022 से 2047 के 100वें वर्ष के बीच की अवधि को "अमृतकाल" के रूप में वर्णित करती है।

भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा ने कहा कि ‘अमृतकाल’ का पहला आम बजट ‘‘लोक कल्याणकारी’’ है।

नड्डा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में यह देश के नागरिकों को सामाजिक न्याय, समानता, सम्मान और समान अवसर उपलब्ध कराने वाला बजट है।

उन्होंने कहा, ‘‘कुल मिलाकर, यह बजट आजादी के 100 साल बाद भारत की परिकल्पना का बजट है। इस बजट में किसान, मध्य वर्ग, महिला से लेकर समाज के सभी वर्ग के विकास की रूपरेखा है।’’
वहीं, केंद्रीय गृह व सहकारिता मंत्री एवं भाजपा के पूर्व अध्यक्ष अमित शाह ने बजट 2023-24 को ‘‘सर्वसमावेशी और दूरदर्शी’’ करार दिया और कहा कि यह आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को और गति देगा।

शाह ने सिलसिलेवार ट्वीट में कहा, ‘‘मोदी सरकार द्वारा लाया गया बजट-2023 अमृतकाल की मजबूत आधारशिला रखने वाला बजट है।’’
वरिष्ठ भाजपा नेता एवं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि वित्त वर्ष 2023-24 का केंद्रीय बजट किसानों, महिलाओं, हाशिये के लोगों एवं मध्यम वर्ग को सहायता प्रदान करने की प्राथमिकता के साथ विकास एवं कल्याण पर केंद्रित है।

इसके साथ ही सिंह ने कहा कि बजट के प्रस्तावों से देश को कुछ वर्षों के भीतर ही पांच ट्रिलियन (पांच हजार अरब) डॉलर की अर्थव्यवस्था और विश्व की "शीर्ष तीन" अर्थव्यवस्थाओं में से एक बनने के लक्ष्य को पूरा करने में मदद मिलेगी।

प्रधानमंत्री पर अपने "मित्रों" को लाभ पहुंचाने के लिए नीतियां बनाने का आरोप लगाते रहे कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने दावा किया कि ''मित्रकाल'' बजट में नौकरियां पैदा करने या महंगाई से निपटने के लिए कोई विजन नहीं है।

उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘मित्रकाल बजट में रोजगार सृजन को लेकर कोई दृष्टिकोण नहीं है, महंगाई से निपटने के लिए कोई योजना नहीं है और असमानता दूर करने का कोई इरादा नहीं है।’’
गांधी ने दावा किया, ‘‘एक प्रतिशत सबसे अमीर लोगों के पास 40 प्रतिशत संपत्ति है, 50 प्रतिशत गरीब लोग 64 प्रतिशत जीएसटी देते हैं, 42 प्रतिशत युवा बेरोजगार हैं। इसके बाद भी प्रधानमंत्री को कोई परवाह नहीं है। बजट से साबित हुआ कि सरकार के पास भारत के भविष्य के निर्माण के लिए कोई रूपरेखा नहीं है।’’
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार का बजट भाजपा पर जनता के लगातार गिरते विश्वास का सबूत है तथा इसे सिर्फ चुनाव को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है।

उन्होंने यह भी कहा कि बजट में महंगाई, बेरोजगारी और किसानों की समस्याओं का कोई समाधान ढूंढ़ने का प्रयास नहीं किया गया है।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘वर्ष 2023-24 के लिए बजट और वित्त मंत्री का बजट भाषण यह प्रदर्शित करता है कि जनता, उसके जीवन, आजीविका तथा अमीर और गरीब के बीच बढ़ती खाई से सरकार कितनी अनजान है।’’
चिदंबरम ने दावा किया, ‘‘वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में बेरोजगारी, गरीबी और असमानता जैसे शब्दों का कहीं उल्लेख नहीं किया। शुक्र है कि उन्होंने ‘गरीब’ शब्द का उल्लेख दो बार किया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे यकीन है कि भारत के लोग इसका संज्ञान लेंगे कि सरकार को किन लोगों की चिंता है और किन लोगों की नहीं है।’’
बजट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कमलनाथ ने ट्वीट किया, ‘‘वित्त मंत्री का बजट भाषण सरकार के पुराने वादों पर जुमलों का पर्दा डालने का प्रयास नजर आया। हमें आशा थी कि वित्त मंत्री उन घोषणाओं पर प्रकाश डालेंगी जो 2022 में पूरी होनी थी। वर्ष 2022 में किसानों की आमदनी दोगुनी होनी थी।’’
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा, ‘‘यह केंद्रीय बजट भविष्यवादी नहीं, बल्कि पूरी तरह से अवसरवादी, जनविरोधी और गरीब विरोधी है। यह केवल एक वर्ग के लोगों को लाभान्वित करेगा। यह बजट देश में बेरोजगारी के मुद्दे को हल करने में मदद नहीं करेगा। इसे वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है।’’
माकपा ने बजट को ‘‘जनविरोधी’’ करार दिया। वहीं, द्रमुक और उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले शिवसेना के धड़े ने बजट को निराशाजनक बताया तथा केंद्र पर राज्यों के संसाधन छीनने का आरोप लगाया।

समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि बजट ने लोगों को "आशा" के बजाय "निराशा" दी है, और इससे केवल अमीरों को लाभ होगा।

बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने कहा कि बजट पार्टी के बजाय देश के लिए हो तो बेहतर होगा।



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