खरीफ उपज घटने पर खाद्य मुद्रास्फीति बढ़ने की आशंकाः रिपोर्ट
punjabkesari.in Tuesday, Oct 04, 2022 - 06:14 PM (IST)
मुंबई, चार अक्टूबर (भाषा) गंगा के मैदानी इलाकों में बारिश कम होने के कारण खरीफ फसलों की उपज में कमी आने की आशंका को देखते हुए निकट अवधि में खाद्य मुद्रास्फीति बढ़ सकती है।
रेटिंग एजेंसी इंडिया रेटिंग्स की रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड जैसे प्रमुख कृषि उत्पादक राज्यों में मानसून के दौरान पर्याप्त बारिश नहीं हुई है।
ऐसी स्थिति में इन राज्यो में खरीफ सत्र की प्रमुख फसल धान की उपज में गिरावट आ सकती है जिससे निकट अवधि में चावल की कीमत बढ़ने की संभावना है।
इंडिया रेटिंग्स की रिपोर्ट कहती है कि खरीफ के मौसम की धान बुवाई में इन राज्यों की हिस्सेदारी सितंबर के अंत तक घटकर 24.1 प्रतिशत रह गई जबकि एक साल पहले यह 26 प्रतिशत थी।
हालांकि इस साल मानसून की बारिश सामान्य से अधिक रही है लेकिन इसका वितरण असमान रहा है। सितंबर के अंत में मानसूनी बारिश 92.5 सेंटीमीटर रही है जो दीर्घावधि औसत (एलपीए) 86.86 सेंटीमीटर से छह प्रतिशत अधिक है।
समस्या लेकिन यह है कि देश के 12 राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों में बारिश जहां एलपीए से 20 प्रतिशत ज्यादा रही वहीं 18 राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों में बारिश औसत (एलपीए से 19 प्रतिशत कम या अधिक) रही है।
इनमें से भी छह राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों में बारिश एलपीए से 20 प्रतिशत से भी अधिक नीचे है। इन राज्यों में उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड जैसे प्रमुख खरीफ फसल उत्पादक राज्य भी शामिल हैं।
इसकी वजह से धान की बुवाई 5.5 प्रतिशत, दालों की बुवाई 3.9 प्रतिशत और तिलहनों की बुवाई 0.8 प्रतिशत तक कम हुई है।
खुद कृषि मंत्रालय ने भी अपने पहले अग्रिम अनुमान में खरीफ उत्पादन 3.9 प्रतिशत गिरकर 14.992 करोड़ टन रहने की संभावना जताई है।
रेटिंग एजेंसी ने कहा कि खरीफ फसलों, खासकर चावल एवं दालों का उत्पादन घटने से इन जिंसों की कीमतों में तेजी आ सकती है।
एजेंसी ने यह भी कहा है कि मानसून की वापसी में देर होने और अक्टूबर में भी कुछ बारिश होने से रबी सत्र की फसलों के लिए सकारात्मक स्थिति पैदा हो सकती है।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
रेटिंग एजेंसी इंडिया रेटिंग्स की रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड जैसे प्रमुख कृषि उत्पादक राज्यों में मानसून के दौरान पर्याप्त बारिश नहीं हुई है।
ऐसी स्थिति में इन राज्यो में खरीफ सत्र की प्रमुख फसल धान की उपज में गिरावट आ सकती है जिससे निकट अवधि में चावल की कीमत बढ़ने की संभावना है।
इंडिया रेटिंग्स की रिपोर्ट कहती है कि खरीफ के मौसम की धान बुवाई में इन राज्यों की हिस्सेदारी सितंबर के अंत तक घटकर 24.1 प्रतिशत रह गई जबकि एक साल पहले यह 26 प्रतिशत थी।
हालांकि इस साल मानसून की बारिश सामान्य से अधिक रही है लेकिन इसका वितरण असमान रहा है। सितंबर के अंत में मानसूनी बारिश 92.5 सेंटीमीटर रही है जो दीर्घावधि औसत (एलपीए) 86.86 सेंटीमीटर से छह प्रतिशत अधिक है।
समस्या लेकिन यह है कि देश के 12 राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों में बारिश जहां एलपीए से 20 प्रतिशत ज्यादा रही वहीं 18 राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों में बारिश औसत (एलपीए से 19 प्रतिशत कम या अधिक) रही है।
इनमें से भी छह राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों में बारिश एलपीए से 20 प्रतिशत से भी अधिक नीचे है। इन राज्यों में उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड जैसे प्रमुख खरीफ फसल उत्पादक राज्य भी शामिल हैं।
इसकी वजह से धान की बुवाई 5.5 प्रतिशत, दालों की बुवाई 3.9 प्रतिशत और तिलहनों की बुवाई 0.8 प्रतिशत तक कम हुई है।
खुद कृषि मंत्रालय ने भी अपने पहले अग्रिम अनुमान में खरीफ उत्पादन 3.9 प्रतिशत गिरकर 14.992 करोड़ टन रहने की संभावना जताई है।
रेटिंग एजेंसी ने कहा कि खरीफ फसलों, खासकर चावल एवं दालों का उत्पादन घटने से इन जिंसों की कीमतों में तेजी आ सकती है।
एजेंसी ने यह भी कहा है कि मानसून की वापसी में देर होने और अक्टूबर में भी कुछ बारिश होने से रबी सत्र की फसलों के लिए सकारात्मक स्थिति पैदा हो सकती है।
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