मुंबई में मछुआरों के इस्तेमाल वाले श्मशान का पुनर्निर्माण करने का आदेश
punjabkesari.in Thursday, Sep 29, 2022 - 05:18 PM (IST)
मुंबई, 29 सितंबर (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को मुंबई उपनगरीय जिलाधिकारी को मछुआरा समुदाय द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले श्मशान का एक महीने के भीतर पुनर्निर्माण करने का निर्देश दिया।
उच्च न्यायालय ने श्मशान के पुनर्निर्माण की लागत उस याचिकाकर्ता से वसूलने का आदेश दिया, जिसने दावा किया था कि इसे तटीय विनियमन क्षेत्र नियमों का उल्लंघन कर बनाया गया था।
मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति माधव जामदार की खंड पीठ ने इससे पहले कहा था कि मलाड उपनगर के एरंगल समुद्री तट पर स्थित श्मशान को जिलाधिकारी कार्यालय के अधिकारियों ने कानूनी नियमों का पालन किए बगैर ढहा दिया था।
खंड पीठ ने बृहस्पतिवार को मुंबई निवासी चेतन व्यास की ओर से दाखिल उस जनहित याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें मछुआरा समुदाय द्वारा एरंगल तट पर श्मशान के कथित अनधिकृत निर्माण को लेकर चिंता जताई गई थी।
याचिका में आरोप लगाया गया था कि इस श्मशान को तटीय विनियमन क्षेत्र के नियमों का उल्लंघन कर बनाया गया था।
उच्च न्यायालय ने व्यास पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया और उससे निर्माण/मरम्मत की लागत वसूलने का आदेश भी दिया।
खंड पीठ ने कहा, “महाराष्ट्र सरकार और मुंबई उपनगरीय जिलाधिकारी संबंधित श्मशान का उसी स्थल पर एक महीने के भीतर पुनर्निर्माण/मरम्मत करने के लिए जरूरी कदम उठाएंगे। उप-जिलाधिकारी इस पूरी प्रक्रिया को देखेंगे और अदालत को दस नवंबर को एक अनुपालन रिपोर्ट सौंपेंगे।”
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
उच्च न्यायालय ने श्मशान के पुनर्निर्माण की लागत उस याचिकाकर्ता से वसूलने का आदेश दिया, जिसने दावा किया था कि इसे तटीय विनियमन क्षेत्र नियमों का उल्लंघन कर बनाया गया था।
मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति माधव जामदार की खंड पीठ ने इससे पहले कहा था कि मलाड उपनगर के एरंगल समुद्री तट पर स्थित श्मशान को जिलाधिकारी कार्यालय के अधिकारियों ने कानूनी नियमों का पालन किए बगैर ढहा दिया था।
खंड पीठ ने बृहस्पतिवार को मुंबई निवासी चेतन व्यास की ओर से दाखिल उस जनहित याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें मछुआरा समुदाय द्वारा एरंगल तट पर श्मशान के कथित अनधिकृत निर्माण को लेकर चिंता जताई गई थी।
याचिका में आरोप लगाया गया था कि इस श्मशान को तटीय विनियमन क्षेत्र के नियमों का उल्लंघन कर बनाया गया था।
उच्च न्यायालय ने व्यास पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया और उससे निर्माण/मरम्मत की लागत वसूलने का आदेश भी दिया।
खंड पीठ ने कहा, “महाराष्ट्र सरकार और मुंबई उपनगरीय जिलाधिकारी संबंधित श्मशान का उसी स्थल पर एक महीने के भीतर पुनर्निर्माण/मरम्मत करने के लिए जरूरी कदम उठाएंगे। उप-जिलाधिकारी इस पूरी प्रक्रिया को देखेंगे और अदालत को दस नवंबर को एक अनुपालन रिपोर्ट सौंपेंगे।”
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