एक्सिस बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री ने कहा, रेपो दर में 0.35 से 0.50 प्रतिशत की वृद्धि कर सकती एमपीसी
punjabkesari.in Thursday, Jul 28, 2022 - 05:35 PM (IST)
मुंबई, 28 जुलाई (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) अगले सप्ताह होने वाली मौद्रिक समीक्षा बैठक में नीतिगत दर रेपो में 0.35 से 0.50 प्रतिशत की वृद्धि का निर्णय कर सकती है। एक्सिस बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री सौगत भट्टाचार्य ने बृहस्पतिवार को यह कहा।
एमपीसी की बैठक तीन अगस्त से शुरू होगी। मौद्रिक नीति समीक्षा पांच अगस्त को जारी की जाएगी।
उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि इस वृद्धि के साथ रेपो दर 5.15 प्रतिशत के ऊपर पहुंच जाएगी। रेपो दर जब इस स्तर पर थी, तभी आरबीआई ने मौद्रिक नीति को लेकर कोविड-19 महामारी के मद्देनजर काफी उदार रुख अपनाया था।
उल्लेखनीय है कि रिजर्व बैंक ने बढ़ती महंगाई को काबू में लाने के लिये मई और जून में नीतिगत दर में कुल 0.90 प्रतिशत की वृद्धि की। इससे रेपो दर बढ़कर 4.90 प्रतिशत पर पहुंच गयी है। रेपो दर वह दर है जिस पर आरबीआई बैंकों को जरूरत पड़ने पर कर्ज देता है।
भट्टाचार्य ने कहा कि मौद्रिक नीति समिति नीतिगत दर पर निर्णय करते समय मुद्रास्फीति को लेकर परिवार के स्तर पर अनुमान और उपभोक्ता भरोसा जैसे आंतरिक सर्वेक्षण पर गौर करेगी।
उन्होंने कहा कि नीतिगत दर बढ़ाने का मकसद बढ़ती महंगाई को काबू में लाना है जो रिजर्व बैंक के संतोषजनक स्तर से ऊपर बनी हुई है। साथ ही केंद्रीय बैंक इस मामले में समय रहते अपनी ओर से पूरी मुस्तैदी दिखा रहा है।
उल्लेखनीय है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने बुधवार को नीतिगत दर में 0.75 प्रतिशत की वृद्धि की। इसके अलावा यूरोपीय केंद्रीय बैंक समेत अन्य देशों के केंद्रीय बैंक भी बढ़ती महंगाई को काबू में लाने के लिये ब्याज दर बढ़ा रहे हैं।
भट्टाचार्य ने कहा कि आरबीआई अगले सप्ताह की मौद्रिक नीति समीक्षा के बाद भी नीतिगत दर में वृद्धि जारी रख सकता है। ऐसी संभावना है कि चालू वित्त वर्ष के अंत तक रेपो दर 5.75 प्रतिशत हो जाएगी।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
एमपीसी की बैठक तीन अगस्त से शुरू होगी। मौद्रिक नीति समीक्षा पांच अगस्त को जारी की जाएगी।
उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि इस वृद्धि के साथ रेपो दर 5.15 प्रतिशत के ऊपर पहुंच जाएगी। रेपो दर जब इस स्तर पर थी, तभी आरबीआई ने मौद्रिक नीति को लेकर कोविड-19 महामारी के मद्देनजर काफी उदार रुख अपनाया था।
उल्लेखनीय है कि रिजर्व बैंक ने बढ़ती महंगाई को काबू में लाने के लिये मई और जून में नीतिगत दर में कुल 0.90 प्रतिशत की वृद्धि की। इससे रेपो दर बढ़कर 4.90 प्रतिशत पर पहुंच गयी है। रेपो दर वह दर है जिस पर आरबीआई बैंकों को जरूरत पड़ने पर कर्ज देता है।
भट्टाचार्य ने कहा कि मौद्रिक नीति समिति नीतिगत दर पर निर्णय करते समय मुद्रास्फीति को लेकर परिवार के स्तर पर अनुमान और उपभोक्ता भरोसा जैसे आंतरिक सर्वेक्षण पर गौर करेगी।
उन्होंने कहा कि नीतिगत दर बढ़ाने का मकसद बढ़ती महंगाई को काबू में लाना है जो रिजर्व बैंक के संतोषजनक स्तर से ऊपर बनी हुई है। साथ ही केंद्रीय बैंक इस मामले में समय रहते अपनी ओर से पूरी मुस्तैदी दिखा रहा है।
उल्लेखनीय है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने बुधवार को नीतिगत दर में 0.75 प्रतिशत की वृद्धि की। इसके अलावा यूरोपीय केंद्रीय बैंक समेत अन्य देशों के केंद्रीय बैंक भी बढ़ती महंगाई को काबू में लाने के लिये ब्याज दर बढ़ा रहे हैं।
भट्टाचार्य ने कहा कि आरबीआई अगले सप्ताह की मौद्रिक नीति समीक्षा के बाद भी नीतिगत दर में वृद्धि जारी रख सकता है। ऐसी संभावना है कि चालू वित्त वर्ष के अंत तक रेपो दर 5.75 प्रतिशत हो जाएगी।
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