पानसरे के रिश्तेदारों ने अदालत से कार्यकर्ता की हत्या मामले की जांच एटीएस को सौंपने का अनुरोध किया

punjabkesari.in Thursday, Jul 07, 2022 - 05:28 PM (IST)

मुंबई, सात जुलाई (भाषा) कार्यकर्ता गोविंद पानसरे की बहू ने बृहस्पतिवार को बंबई उच्च न्यायालय में एक अंतरिम आवेदन दायर कर उनकी हत्या की जांच महाराष्ट्र सीआईडी से राज्य एटीएस को स्थानांतरित करने की मांग की।

याचिका में दावा किया गया है कि 2015 से मामले में कोई प्रगति नहीं हुई है और जांच की स्थिति ‘‘निराशाजनक’’ है।

अदालत ने महाराष्ट्र पुलिस के आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) को सामाजिक कार्यकर्ता गोविंद पानसरे की 2015 में हुई हत्या की जांच में 2020 से अब तक हुई प्रगति की जानकारी देते हुए एक रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया।

अधिवक्ता अभय नेवागी के माध्यम से दायर अपनी याचिका में गोविंद पानसरे की बहू और कार्यकर्ता मेघा पानसरे ने दावा किया कि पानसरे, तर्कवादी नरेंद्र दाभोलकर, कन्नड़ शिक्षाविद व कार्यकर्ता एमएम कलबुर्गी तथा पत्रकार गौरी लंकेश की हत्याओं के पीछे एक ‘‘बड़ी साजिश’’ थी।

नेवागी ने न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति वी जी बिष्ट की पीठ से कहा, ‘‘उनके (कत्ल के) पीछे की कड़ी व मुख्य साजिशकर्ता’’ की जांच होनी चाहिए।

अधिवक्ता ने तर्क दिया कि चूंकि दाभोलकर हत्याकांड का मुकदमा पहले ही शुरू हो चुका है, इसलिए जांच किसी अन्य एजेंसी को स्थानांतरित नहीं की जा सकती है, लेकिन उच्च न्यायालय के आदेश के बाद पानसरे के मामले को आतंकवाद विरोधी दस्ते (एटीएस) को स्थानांतरित किया जा सकता है।

दाभोलकर की हत्या की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) कर रहा है जबकि पानसरे की हत्या की जांच महाराष्ट्र पुलिस की सीआईडी का विशेष जांच दल (एसआईटी) कर रहा है। कर्नाटक पुलिस की सीआईडी कलबुर्गी हत्या मामले की जांच कर रही है।

नेवागी ने दावा किया कि सीआईडी ने पानसरे मामले में 2015 से जांच में कोई प्रगति नहीं की है और जांच की स्थिति ‘‘निराशाजनक’’ है।

पीठ ने इस पर राज्य को नोटिस जारी करते हुए उससे जवाब मांगा।

उसने राज्य सीआईडी से मामले में 2020 से अब तक हुई प्रगति की रिपोर्ट भी पेश करने को कहा है। सीआईडी ने इससे पहले 2020 में आखिरी बार जांच की स्थिति रिपोर्ट दी थी।

गौरतलब है कि दाभोलकर की 20 अगस्त 2013 को पुणे में गोली मारकर उस समय हत्या कर दी गयी थी जब वह सुबह की सैर पर निकले थे।

पानसरे की कोल्हापुर में 16 फरवरी 2015 को गोली मारी गयी थी और कुछ दिनों बाद 20 फरवरी को उनकी इलाज के दौरान मौत हो गयी थी।

कलबुर्गी की कर्नाटक के धारवाड़ में 30 अगस्त 2015 को गोली मारकर हत्या की गयी थी।

तीन मामलों की जांच करने वाली एजेंसियों ने अदालत में पिछले मौकों पर कहा है कि मामलों में कुछ समान ‘कड़ियां’ और आरोपी व्यक्ति थे।

बंबई उच्च न्यायालय दाभोलकर और पानसरे के परिजनों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा है, जिसमें अदालत से दोनों मामलों की जांच की निगरानी करने की मांग की गई है।

पीठ ने बृहस्पतिवार को राज्य सरकार को अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक तिरुपति काकडे़ को पानसरे मामले में जांच अधिकारी (आईओ) पद से मुक्त करने की अनुमति भी दी। काकडे़ का, साढ़े चार साल तक मामले की जांच का नेतृत्व करने के बाद अब तबादला किया जाना है।

बंबई उच्च न्यायालय ने पहले निर्देश दिया था कि दोनों मामलों की जांच कर रहे अधिकारियों का अदालत की अनुमति के बिना तबादला न किया जाए। इसके बाद राज्य सरकार ने बृहस्पतिवार को उच्च न्यायालय का रुख किया।

पीठ ने काकडे को पदभार से ‘‘मुक्त’’ करने के राज्य सरकार के अनुरोध को स्वीकार करते हुए कहा कि नए आईओ की नियुक्ति चार हफ्तों के भीतर की जाए और इसके बाद ही काकडे़ नया पद संभाल सकते हैं।

राज्य ने अदालत को सूचित किया कि मामले की जांच कर रहे एसआईटी में 15 अधिकारी थे, जिनमें से दो हाल ही में सेवानिवृत्त हुए और एक की मौत कोविड-19 से हो गई थी।


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