बैंक फंसे कर्ज से बचने के साथ वृद्धि को समर्थन का रखें ध्यानः आरबीआई

punjabkesari.in Friday, May 27, 2022 - 05:29 PM (IST)

मुंबई, 27 मई (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को कहा कि कोविड काल में कर्ज पुनर्गठन प्रक्रिया से गुजरने वाली कंपनियों के ऋण व्यवहार को लेकर सजगता बरतने के साथ ही बैंकों के लिए वृद्धि को समर्थन देना भी जरूरी होगा।

आरबीआई ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा कि कोविड-19 महामारी के बावजूद वित्तीय मानदंडों पर बैंकिंग क्षेत्र की स्थिति बेहतर हुई है। हालांकि जिन कंपनियों के कर्ज पुनर्गठित हुए, उनके ऋण व्यवहार को लेकर सतर्कता बरतने की जरूरत है ताकि महामारी से अधिक प्रभावित रहे क्षेत्रों में गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) या फंसे कर्ज के मामले न बढ़ें।

कोविड काल में आरबीआई ने कर्ज लौटाने को लेकर मोहलत के साथ ही कारोबारों को ऋण पुनर्गठन की सुविधा भी दी थी। इस कदम से कारोबारों को महामारी के दुष्प्रभावों से बचाने की कोशिश की गई थी।

आरबीआई की रिपोर्ट कहती है कि कारोबारों को राहत देने के लिए लाए गए प्रावधानों को धीरे-धीरे वापस लेने से कुछ पुनर्गठित कर्जों के दिवाला प्रक्रिया का हिस्सा बनने की चिंता भी खड़ी हो गई है। इसके अलावा बैंकों के बहीखाते पर इसका असर भी आने वाली तिमाही में ज्यादा साफ हो जाएगा।

रिपोर्ट के मुताबिक किसी भी अव्यवहार्य खाते की पहचान में सक्रियता दिखाने से ही समयबद्ध समाधान किया जा सकता है। रिपोर्ट कहती है, "आगे चलकर अर्थव्यवस्था की स्थिति सुधरती है और ऋण की मांग बढ़ती है तो बैंकों को नए जोखिमों को लेकर सजग रहने के साथ ही ऋण वृद्धि को भी समर्थन देने की जरूरत होगी।"
आरबीआई की वर्ष 2021-22 की वार्षिक रिपोर्ट कहती है, "यह सुनिश्चित करने की जरूरत होगी कि नये फंसे कर्ज के मामले न हों और भविष्य में पैदा होने वाले तनाव से बचने के लिए बैंकों के बहीखाते मजबूत हों।"
आरबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) और शहरी सहकारी बैंकों को अपने बहीखातों में मौजूद कमजोरियों पर खास ध्यान रखना होगा। उन्हें मजबूत परिसंपत्ति-देनदारी प्रबंधन सुनिश्चित करने के अलावा अपने ऋण पोर्टफोलियो की गुणवत्ता सुधारने पर भी जोर देना होगा।

आरबीआई ने कहा है कि नियामकीय एवं पर्यवेक्षण प्रारूप को और मजबूत करने के लिए चालू वित्त वर्ष में बैंकों एवं एनबीएफसी के लिए कई अन्य कदम उठाए जाने की संभावना है।
समग्र आर्थिक परिदृश्य के संदर्भ में आरबीआई ने कहा कि वित्त वर्ष 2020-21 में कई चुनौतियां खड़ी हुई थीं लेकिन तमाम गतिरोधों के बावजूद पुनरुद्धार की प्रक्रिया जारी है। जहां तक भविष्य का सवाल है तो आपूर्ति पक्ष से जुड़ी अड़चनों को दूर करना और मुद्रास्फीति को निर्धारित लक्ष्य के भीतर लाने के लिए जरूरी मौद्रिक कदमों से ही वृद्धि की राह तय होगी।



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PTI News Agency

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