कृषि को प्रतिकूल जलवायु सहने और टिकाऊ बनाने के लिए दूसरी हरित क्रांति की जरूरतः रिजर्व बैंक

punjabkesari.in Monday, Jan 17, 2022 - 09:21 PM (IST)

मुंबई, 17 जनवरी (भाषा) भारत को कृषि को अधिक प्रतिकूल जलवायु सहने लायक बनाने और पर्यावरणीय रूप से टिकाऊ बनाने की दृष्टि से अगली पीढ़ी के सुधारों के साथ-साथ दूसरी हरित क्रांति की आवश्यकता है। कृषि क्षेत्र की चुनौतियों के बारे में भारतीय रिजर्व बैंक के एक लेख में यह कहा गया है।
इस लेख के मुताबिक, ‘‘भारतीय कृषि ने कोविड-19 के दौरान उल्लेखनीय जिजीविषा का प्रदर्शन किया है। नई उभरती चुनौतियां अगली पीढ़ी के सुधारों के साथ दूसरी हरित क्रांति की जरुरत को रेखांकित करती हैं।’’ देश में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने वाले उत्पादन के मामले में सफलता के बावजूद खाद्य मुद्रास्फीति और इसकी अस्थिरता एक चुनौती बनी हुई है, जिसके लिए उच्च सार्वजनिक निवेश, भंडारण के बुनियादी ढांचे और खाद्य प्रसंस्करण को बढ़ावा देने जैसे आपूर्ति-पक्षीय हस्तक्षेप की आवश्यकता है। यह विचार ‘भारतीय कृषि: उपलब्धियां और चुनौतियां'' शीर्षक वाले लेख में व्यक्त किया गया है।
इस लेख में कहा गया है कि चावल, गेहूं और गन्ने जैसी फसलों के अतिशय उत्पादन से भूजल स्तर में तेजी से कमी आई है, मिट्टी का क्षरण हुआ है और बड़े पैमाने पर वायु प्रदूषण भारत में कृषि के मौजूदा तौर-तरीके पर्यावरणीय स्थिरता के संदर्भ में सवाल उठा रहे हैं।
लेख के मुताबिक, ‘‘इन चुनौतियों को हल करने के लिए कृषि जल-ऊर्जा गठजोड़ पर केंद्रित दूसरी हरित क्रांति की आवश्यकता होगी जिससे कृषि को अधिक जलवायु प्रतिरोधी और पर्यावरण की दृष्टि से टिकाऊ बनाया जा सके।
इसमें कहा गया है कि डिजिटल प्रौद्योगिकी और विस्तार सेवाओं का व्यापक उपयोग सूचना साझा करने और किसानों के बीच जागरूकता पैदा करने में सहायक होगा।
इसने इस पर भी जोर दिया कि फसल तैयार होने के बाद के नुकसान-प्रबंधन और किसान-उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के गठन के माध्यम से सहकारी आंदोलन में सुधार से खाद्य कीमतों और किसानों की आय में उतार-चढ़ाव को रोका जा सकता है। इससे भारतीय कृषि की वास्तविक क्षमता का दोहन करने में मदद मिलेगी।



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PTI News Agency

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