सामूहिक बलात्कार और हत्या के आरोप में मौत की सजा पाए व्यक्ति को अदालत ने बरी किया

punjabkesari.in Thursday, Dec 02, 2021 - 04:24 PM (IST)

मुंबई, दो दिसंबर (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय ने 2012 में दो महिलाओं के सामूहिक बलात्कार और उनमें से एक की हत्या के मामले में आरोपी एक व्यक्ति की दोष सिद्धि और मौत की सजा के आदेश को बरकरार रखने से इनकार कर दिया है। अदालत ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं कि इस मामले में अभियोजन पक्ष दोष सिद्ध करने में असफल रहा और जीवित पीड़िता का बयान भरोसे लायक नहीं है।
न्यायमूर्ति साधना जाधव और न्यायमूर्ति पृथ्वीराज चव्हाण की खंडपीठ ने 25 नवंबर को अपने फैसले में रहीमुद्दीन मोहफुज शेख को बरी करते हुए उसकी रिहाई का आदेश दिया। अदालत के आदेश की प्रति बृहस्पतिवार को प्राप्त हुई।
ठाणे जिले की सत्र अदालत ने कूड़ा बीनने वाली दो महिलाओं के सामूहिक बलात्कार और उनमें से एक की हत्या के जुर्म में शेख को मौत की सजा सुनाई थी जिसकी पुष्टि करने से उच्च न्यायालय ने इंकार कर दिया।
इस मामले में दूसरे आरोपी को पहले ही नाबालिग घोषित किया जा चुका है।
पीठ ने अपने आदेश में जीवित पीड़िता के बयान पर संदेह जताया और कहा कि आरोपी के उस बयान में तत्व है जिसमें उसने कहा था कि पीड़िता वेश्यावृत्ति में लिप्त थी।
उच्च न्यायालय ने इस तथ्य का भी संज्ञान लिया कि पीड़िताओं को आरोपी बलपूर्वक अपने साथ नहीं ले गए थे और उन्होंने बिना किसी हिचक के आरोपियों के साथ शराब का सेवन किया था।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, घटना के समय पीड़िता की आयु 19 साल थी और जिस महिला की हत्या हुई वह 28 वर्ष की थी। वे दोनों कूड़ा बीनने का काम करती थीं। मई 2012 में आरोपी रोजगार दिलाने की बात कहकर महिलाओं को नवी मुंबई ले गए जहां उन्होंने शराब पी।
अभियोजन के अनुसार, इसके बाद आरोपियों ने महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार किया और उन्हें पीटा। एक पीड़िता की मौके पर ही मौत हो गई थी जबकि दूसरी घटनास्थल से भागने में कामयाब रही। इस महिला के बयान के आधार पर पुलिस ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार किया था।

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PTI News Agency

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