आर्यन की जमानत पर सुनवाई : वकील ने कहा-एनसीबी ने आधिकारिक रूप से साजिश के आरोप पर जोर नहीं दिया

punjabkesari.in Wednesday, Oct 27, 2021 - 08:36 PM (IST)

मुंबई, 27अक्टूबर (भाषा) क्रूज पोत मादक पदार्थ जब्ती मामले में गिरफ्तार शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान की जमानत याचिका पर बुधवार को बंबई उच्च न्यायालय में हुई सुनवाई के दौरान उनके वकील ने कहा कि एनसीबी ने आर्यन खान और दो अन्य आरोपियों को साजिश में शामिल होने की बात की है, लेकिन आधिकारिक रूप से कभी इस आरोप पर जोर नहीं दिया है।
न्यायमूर्ति एन डब्ल्यू साम्बरे की अदालत में आर्यन खान, अरबाज मर्चेंट और मुनमुन धमेचा की जमानत पर हो रही सुनवाई बुधवार को दूसरे दिन भी पूरी नहीं हो सकी।
स्वापक नियंत्रण ब्यूरो (एनसीबी) का पक्ष रख रहे अतिरिक्त सॉलीसिटर जनरल अनिल सिंह बृहस्पतिवार को इस मामले में अपनी दलीलें पेश करेंगे।
गौरतलब है कि मुंबई तट के नजदीक क्रूज पोत पर एनसीबी की छापेमारी के दौरान मादक पदार्थ मिलने के मामले में तीन अक्टूबर को गिरफ्तार आर्यन खान (23), मर्चेंट और धमेचा गत तीन अक्टूबर से ही जेल में हैं।
मामले पर बुधवार को करीब दो घंटे हुई सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति साम्बरे ने कहा,‘‘कल हम इसे पूरा करने की कोशिश करेंगे।’’
आर्यन खान की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने तर्क दिया कि यह गिरफ्तारी संवैधानिक प्रावधानों का सीधा उल्लंघन है क्योंकि गिरफ्तारी वारंट में ‘‘वास्तविक और सही आधार का उल्लेख’’नहीं था।
मर्चेंट की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अमित देसाई ने एनडीपीएस मामलों की विशेष अदालत द्वारा मंगलवार को इसी मामले के दो आरोपियों-मनीष राजगढ़िया और अविन साहू- को दी गई जमानत की ओर ध्यान आकर्षित कराया।
उन्होंने कहा, ‘‘ उनके खिलाफ भी आरोप समान है। बल्कि उनमें से एक पास से 2.6 ग्राम गांजा मिला था जबकि दूसरे ने उसका सेवन किया था।’’ देसाई ने कहा, ‘‘ इन लड़कों (आर्यन और मर्चेंट) को अगर समानता के आधार पर नहीं तो स्वतंत्रता के आधार पर जमानत दी जानी चाहिए...सख्त शर्तों के आधार पर इन्हें जमानत पर रिहा करें।’’
उन्होंने अदालत से कहा कि साजिश और उकसाने का आरोप एनसीबी ने बाद में लगाया है। देसाई ने कहा कि उन्हें (आर्यन और मर्चेंट) को गिरफ्तार करने के बजाय एनसीबी द्वारा दंड प्रक्रिया संहिता की धारा-41ए (आरोपी को मामूली अपराध में बयान दर्ज कराने के लिए नोटिस) का नोटिस जारी किया जाना चाहिए था।
देसाई ने सवाल किया, ‘‘उनकी गिरफ्तारी की क्या जरूरत थी जब साजिश का आरोप लगाया भी नहीं गया था।’’ उन्होंने कहा कि मामूली मात्रा में नशीला पदार्थ बरामद होने पर केवल एक साल की सजा का प्रावधान है। अत: यह मामूली अपराध था।
उल्लेखनीय है कि तीन अक्टूबर को एनसीबी द्वारा जारी गिरफ्तारी वारंट में केवल नशीले पदार्थ के सेवन एव रखने से संबंधित एनडीपीएस अधिनियम की धारा-20(बी) और 27 का उल्लेख था।
उन्होंने कहा, ‘‘उसमें धारा-28 और 29 का उल्लेख नहीं है जो उकसाने और साजिश से संबंधित है।’’
देसाई ने कहा, ‘‘ मौके पर बरामद सामान का एनसीबी द्वारा किए गए आकलन के मुताबिक...ये तीनों अलग अलग मादक पदार्थ के सेवन और रखने का कार्य कर रहे थे। उस तारीख को तीनों के खिलाफ आधिकारिक रूप से साजिश का आरोप नहीं लगाया गया था।’’
उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘तीन अक्टूबर को एनसीबी ने उनकी हिरासत लेने के लिए मजिस्ट्रेट को यह मानने के लिए भ्रमित किया कि साजिश का आरोप भी लगाया गया है।’’
उच्च न्यायालय ने जब पूछा कि मामले के दो सह आरोपियों जिन्हें जमानत मिली है उनका कोई संबंध आर्यन खान और मर्चेंट से है तो देसाई ने कहा कि निश्चित तौर पर उनका कोई संबंध नहीं हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘इन तीन आरोपियों की अन्य आरोपियों के बीच कोई व्हट्सऐप चैट नहीं है। एनसीबी जिन व्हाट्सऐप पर भरोस कर रही है वे पुराने हैं और इस मामले से संबंधित नहीं है।’’
इन चैट के औचित्य पर सवाल उठाते हुए वकील ने कहा कि आर्यन और अन्य के कथित व्हाट्सऐप चैट को मीडिया को उपलब्ध कराया गया लेकिन वह अदालत के रिकॉर्ड का हिस्सा नहीं है।

न्यायमूर्ति साम्बरे ने कहा कि ब्रिटेन ने इलेक्ट्रॉनिक सबूत को सत्यापित करने के लिए प्रमाण पत्र के प्रावधान को हटा दिया है लेकिन भारत में इसकी जरूरत होती है।
धमेचा की ओर से पेश वकील काशिफ अली खान देशमुख ने कहा कि उनके मुवक्किल को बलि का बकरा इसलिए बनाया जा रहा है क्योंकि उन्हें आर्यन खान और मर्चेंट के साथ गिरफ्तार किया गया।
उन्होंने कहा, ‘‘एनसीबी ने धमेचा को कथित ड्रग नेटवर्क का हिस्सा बना दिया है। लेकिन वह इन लोगों (खान और मर्चेंट) को जानती तक नहीं है। वह मध्यप्रदेश के छोटे शहर से आई है और फैशन मॉडल है।’’
उन्होंने कहा कि धमेचा ने कभी मादक पदार्थ का सेवन नहीं किया है और चिकित्सा जांच से इसकी पुष्टि की जा सकती है।
गौरतलब है कि एनडीपीएस मामलों की विशेष अदालत द्वारा जमानत अर्जी खारिज किए जाने के बाद पिछले सप्ताह तीनों ने उच्च न्यायालय का रुख किया।


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