उच्च न्यायालय ने पुणे में सामूहिक दुष्कर्म मामले में तीन लोगों की उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा

punjabkesari.in Thursday, Sep 30, 2021 - 09:41 AM (IST)

मुंबई, 29 सितंबर (भाषा) बम्बई उच्च न्यायालय ने पुणे सत्र अदालत के 2011 में पारित एक आदेश को बरकरार रखा है जिसमें तीन लोगों को सामूहिक बलात्कार मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी, लेकिन न्यायालय ने मामले में बचाव पक्ष के वकीलों और न्यायाधीश के खिलाफ आलोचनात्मक टिप्पणी की।

गत 28 सितंबर को पारित एक आदेश में, न्यायमूर्ति साधना जाधव और न्यायमूर्ति सारंग कोतवाल की पीठ ने दोषसिद्धि और आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखते हुए यह आदेश पारित किया। अदालत ने मामले में जिरह के दौरान बचाव पक्ष के वकीलों और न्यायाधीश के आचरण पर कुछ कड़ी टिप्पणियां कीं।

उच्च न्यायालय ने कहा कि वर्तमान मामले में, सत्र न्यायाधीश पीड़िता की गरिमा की रक्षा के लिए ‘‘अपने कर्तव्य को निभाने में विफल रहे’’। पीड़िता एक एमबीए स्नातक है जिसके साथ पुणे के हिंजेवाड़ी क्षेत्र में सामूहिक बलात्कार किया गया था।

उच्च न्यायालय ने कहा कि आरोपी व्यक्तियों का बचाव करने वाले वकीलों ने अन्य बातों के अलावा, यह सुझाव देने की कोशिश की थी कि पीड़िता ने शराब का सेवन किया था और उसने आरोपी के साथ सहमति से यौन संबंध बनाए थे।

उच्च न्यायालय ने इस तरह की जिरह के दौरान अभियोजन पक्ष की चुप्पी पर सवाल उठाया। न्यायालय ने टिप्पणी की कि मामले की सुनवाई करने वाले सत्र न्यायाधीश को उस समय निष्क्रिय नहीं रहना चाहिए था और जब वकीलों ने पीड़िता, मामले में प्राथमिक गवाह से अनुचित जिरह की और उन्हें हस्तक्षेप करना चाहिए था।

गौरतलब है कि एक अप्रैल, 2010 को पुणे के बाहरी इलाके वाकाड के मनकर चौक में सूचना प्रौद्योगिकी पार्क के पास आरोपी द्वारा उस समय पीड़िता के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था, जब उसने अपनी कार में उसे लिफ्ट दी थी।



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PTI News Agency

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