उच्च न्यायालय ने कैग से मुंबई-पुणे एक्सप्रेसवे पर टोल संग्रह में अनियमितताओं की जांच करने को कहा
punjabkesari.in Thursday, Mar 18, 2021 - 05:28 PM (IST)
मुंबई, 18 मार्च (भाषा) बम्बई उच्च न्यायालय ने भारत के नियंत्रक और महालेखापरीक्षक (कैग) को मुंबई-पुणे एक्सप्रेसवे पर टोल संग्रह में अनियमितताओं के आरोपों की जांच करने के बृहस्पतिवार को निर्देश दिये।
मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जी एस कुलकर्णी की पीठ ने कैग को महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास निगम (एमएसआरडीसी) के खातों का ऑडिट करने और दो सप्ताह के भीतर अपने निष्कर्षों पर एक हलफनामा प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।
पीठ ने महाराष्ट्र सरकार को भी आरोपों का जवाब देने के लिए दो सप्ताह के भीतर हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया।
पीठ चार कार्यकर्ताओं द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें मुंबई-पुणे एक्सप्रेसवे के लिए टोल ठेकों को गलत तरीके से देने और अनियमितताओं का आरोप लगाया गया था।
याचिका में आग्रह किया गया है कि अगस्त, 2019 से एक्सप्रेसवे पर एकत्र टोल को अवैध घोषित किया जाये।
राज्य सरकार ने परियोजनाओं लागतों के नाम पर 2030 तक एक्सप्रेसवे पर टोल संग्रह जारी रखने का फैसला किया था।
याचिकाकर्ताओं में से एक अधिवक्ता प्रवीण वाटेगांवकर ने कहा था कि अगस्त 2019 के बाद एकत्र किया गया टोल अवैध है।
इस मामले में 21 अप्रैल को सुनवाई होने की संभावना है।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जी एस कुलकर्णी की पीठ ने कैग को महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास निगम (एमएसआरडीसी) के खातों का ऑडिट करने और दो सप्ताह के भीतर अपने निष्कर्षों पर एक हलफनामा प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।
पीठ ने महाराष्ट्र सरकार को भी आरोपों का जवाब देने के लिए दो सप्ताह के भीतर हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया।
पीठ चार कार्यकर्ताओं द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें मुंबई-पुणे एक्सप्रेसवे के लिए टोल ठेकों को गलत तरीके से देने और अनियमितताओं का आरोप लगाया गया था।
याचिका में आग्रह किया गया है कि अगस्त, 2019 से एक्सप्रेसवे पर एकत्र टोल को अवैध घोषित किया जाये।
राज्य सरकार ने परियोजनाओं लागतों के नाम पर 2030 तक एक्सप्रेसवे पर टोल संग्रह जारी रखने का फैसला किया था।
याचिकाकर्ताओं में से एक अधिवक्ता प्रवीण वाटेगांवकर ने कहा था कि अगस्त 2019 के बाद एकत्र किया गया टोल अवैध है।
इस मामले में 21 अप्रैल को सुनवाई होने की संभावना है।
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