आईसीआईसीआई बैंक का तीसरी तिमाही का शुद्ध लाभ 17.73 प्रतिशत बढ़कर 5,498 करोड़ रुपये पर
punjabkesari.in Saturday, Jan 30, 2021 - 08:06 PM (IST)
मुंबई, 30 जनवरी (भाषा) निजी क्षेत्र के आईसीआईसीआई बैंक का दिसंबर, 2020 में समाप्त चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही का एकीकृत शुद्ध लाभ 17.73 प्रतिशत बढ़कर 5,498.15 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। इससे पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में बैंक का शुद्ध लाभ 4,670.10 करोड़ रुपये रहा था।
एकल आधार पर तिमाही के दौरान देश के निजी क्षेत्र के दूसरे सबसे बड़े बैंक ने 4,939.59 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ कमाया है, जो इससे पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही के 4,146.46 करोड़ रुपये के शुद्ध लाभ से 19.12 प्रतिशत अधिक है।
घरेलू अग्रिम में 13 प्रतिशत की वृद्धि से बैंक की मूल शुद्ध ब्याज आय 16 प्रतिशत बढ़कर 9,912 करोड़ रुपये पर पहुंच गई। बैंक का शुद्ध ब्याज मार्जिन 3.67 प्रतिशत रहा, जो इससे पिछली तिमाही में 3.57 प्रतिशत और इससे पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में 3.77 प्रतिशत रहा था।
तिमाही के दौरान बैंक की गैर-ब्याज आय (ट्रेजरी आय को छोड़कर) 4,043 करोड़ रुपये से घटकर 3,921 करोड़ रुपये रही।
बैंक ने बयान में कहा कि तिमाही के दौरान उसकी कुल आय बढ़कर 24,416 करोड़ रुपये पर पहुंच गई, जो इससे पिछले साल की समान अवधि में 23,638 करोड़ रुपये रही थी। समीक्षाधीन अवधि में बैंक का कुल खर्च घटकर 15,596 करोड़ रुपये रह गया, जो एक साल पहले 16,089 करोड़ रुपये रहा था।
बैंक ने कहा कि तिमाही के दौरान उसकी सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) का अनुपात 4.38 प्रतिशत रहा। उच्चतम न्यायालय ने कोरोना वायरस महामारी की वजह से बैंकों को ऋण की किस्त का भुगतान नहीं करने वाले खातों को एनपीए के रूप में वर्गीकृत नहीं करने का निर्देश दिया था। यदि ऐसा नहीं होता तो बैंक का सकल एनपीए अनुपात 5.42 प्रतिशत बैठता।
बैंक ने कहा कि यदि उच्चतम न्यायालय का आदेश नहीं होता, तो 8,280 करोड़ रुपये की परिसंपत्तियां एनपीए बन जातीं।
दिसंबर तिमाही में बैंक का कुल प्रावधान बढ़कर 2,741 करोड़ रुपये पर पहुंच गया, जो एक साल पहले समान अवधि में 2,083 करोड़ रुपये रहा था। 31 दिसंबर, 2020 के अंत तक बैंक का कुल पूंजी पर्याप्तता अनुपात 18.04 प्रतिशत था।
बैंक के कार्यकारी निदेशक संदीप बत्रा ने संवाददाताओं से कहा कि एनपीए में दबी आपूर्ति का तत्व है, क्योंकि यह अगस्त में ऋण की किस्त के भुगतान पर रोक की छूट समाप्त होने के बाद दबाव की पूरी तरह से पहचान के बाद पहली तिमाही है।
बत्रा ने कहा कि यह दबाव उम्मीद के अनुकूल है और बैंक ने इसके लिए उचित प्रावधान किया है।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
एकल आधार पर तिमाही के दौरान देश के निजी क्षेत्र के दूसरे सबसे बड़े बैंक ने 4,939.59 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ कमाया है, जो इससे पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही के 4,146.46 करोड़ रुपये के शुद्ध लाभ से 19.12 प्रतिशत अधिक है।
घरेलू अग्रिम में 13 प्रतिशत की वृद्धि से बैंक की मूल शुद्ध ब्याज आय 16 प्रतिशत बढ़कर 9,912 करोड़ रुपये पर पहुंच गई। बैंक का शुद्ध ब्याज मार्जिन 3.67 प्रतिशत रहा, जो इससे पिछली तिमाही में 3.57 प्रतिशत और इससे पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में 3.77 प्रतिशत रहा था।
तिमाही के दौरान बैंक की गैर-ब्याज आय (ट्रेजरी आय को छोड़कर) 4,043 करोड़ रुपये से घटकर 3,921 करोड़ रुपये रही।
बैंक ने बयान में कहा कि तिमाही के दौरान उसकी कुल आय बढ़कर 24,416 करोड़ रुपये पर पहुंच गई, जो इससे पिछले साल की समान अवधि में 23,638 करोड़ रुपये रही थी। समीक्षाधीन अवधि में बैंक का कुल खर्च घटकर 15,596 करोड़ रुपये रह गया, जो एक साल पहले 16,089 करोड़ रुपये रहा था।
बैंक ने कहा कि तिमाही के दौरान उसकी सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) का अनुपात 4.38 प्रतिशत रहा। उच्चतम न्यायालय ने कोरोना वायरस महामारी की वजह से बैंकों को ऋण की किस्त का भुगतान नहीं करने वाले खातों को एनपीए के रूप में वर्गीकृत नहीं करने का निर्देश दिया था। यदि ऐसा नहीं होता तो बैंक का सकल एनपीए अनुपात 5.42 प्रतिशत बैठता।
बैंक ने कहा कि यदि उच्चतम न्यायालय का आदेश नहीं होता, तो 8,280 करोड़ रुपये की परिसंपत्तियां एनपीए बन जातीं।
दिसंबर तिमाही में बैंक का कुल प्रावधान बढ़कर 2,741 करोड़ रुपये पर पहुंच गया, जो एक साल पहले समान अवधि में 2,083 करोड़ रुपये रहा था। 31 दिसंबर, 2020 के अंत तक बैंक का कुल पूंजी पर्याप्तता अनुपात 18.04 प्रतिशत था।
बैंक के कार्यकारी निदेशक संदीप बत्रा ने संवाददाताओं से कहा कि एनपीए में दबी आपूर्ति का तत्व है, क्योंकि यह अगस्त में ऋण की किस्त के भुगतान पर रोक की छूट समाप्त होने के बाद दबाव की पूरी तरह से पहचान के बाद पहली तिमाही है।
बत्रा ने कहा कि यह दबाव उम्मीद के अनुकूल है और बैंक ने इसके लिए उचित प्रावधान किया है।
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