रिजर्व बैंक ने एमएसएमई की रिण पुनर्गठन योजना को मार्च तक बढ़ाया, कुछ प्रावधानों में किया बदलाव

punjabkesari.in Thursday, Aug 06, 2020 - 08:09 PM (IST)

मुंबई, छह अगस्त (भाषा) कोविड- 19 महामारी के प्रकोप के बीच व्यवहार्य एमएसएमई को समर्थन देने के अपने प्रयासों को जारी रखते हुये रिजर्व बैंक ने बृहस्पतिवार को छोटे व्यवसायों के लिये एकबारगी रिण पुनर्गठन योजना की अवधि को तीन महीने और बढ़ाकर मार्च 2021 तक कर दिया है।
केन्द्रीय बैंक ने इसके साथ ही सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) द्वारा इस योजना का लाभ उठाने के लिये कुछ मौजूदा प्रावधानों में राहत दी है।
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा के परिणाम की घोषणा करते हुये कहा कि कोविड- 19 का प्रकोप बना रहने से सामान्य कामकाज और नकदी प्रवाह में व्यवधान उत्पन्न हो रहा है। ऐसे में एमएसएमई क्षेत्र में दबाव और बढ़ा है और उसे समर्थन की जरूरत है।
उन्होंने कहा, ‘‘इस स्थिति को देखते हुये यह तय किया गया है कि कामकाज में दबाव झेल रहे एमएसएमई कर्जदारों को मौजूदा व्यवस्था के दायरे में ही कर्ज के पुनर्गठन की पात्रता दी जाये। हालांकि, इसके लिये यह जरूरी होगा कि उनका कर्ज खाता संबंधित कर्जदाता के पास एक मार्च 2020 को मानक कर्ज खाते के रूप में वर्गीकृत होना चाहिये। इस तरह का पुनर्गठन 31 मार्च 2021 तक अमल में लाना होगा।’’
इस योजना में मौजूदा व्यवस्था के मुताबिक कर्जदार का खाता एक जनवरी 2020 को मानक रिण खाते के तौर पर वर्गीकृत होना चाहिये।
रिजर्व बैंक ने हालांकि बैंकों से कहा है कि उन्होंने इन दिशानिर्देशों के तहत पुनर्गठित खातों के लिये पहले से जो प्रावधान किये है उन्हें उसके ऊपर पांच प्रतिशत अतिरिक्त प्रावधान करना होगा।
रिजर्व बैंक ने इस मामले में मौजूदा दिशानिर्देशों के तहत दी गई रिण सीमा को बरकरार रखा है। इसके परिणाम स्वरूप बैंकों और एनबीएफसी के गैर- कोष आधारित सुविधाओं सहित कुल रिण राशि एक मार्च 2020 को 25 करोड़ रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिये।
एमएसएमई क्षेत्र देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह देश की जीडीपी मं 28 प्रतिशत, निर्यात में 40 प्रतिशत से अअधिक और 11 करोड़ के करीब लोगों को रोजगार प्रदान करता है।
पीडब्ल्यूसी के पार्टनर कुंतल सुर ने इसे रिजर्व बैंक की ओर से अच्छा कदम बताया। इससे कोविड- 19 से प्रभावित एमएसएमई को मदद मिलेगी और जब उनका नकदी प्रवाह दबाव में है उस समय उन्हें कर्ज चुकाने के लिये ज्यादा समय और राहत मिलेगी।




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PTI News Agency

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