कोरेगांव भीमा न्यायिक आयोग ने छह महीने का विस्तार मांगा
punjabkesari.in Monday, Mar 23, 2020 - 05:36 PM (IST)
मुंबई, 23 मार्च (भाषा) महाराष्ट्र में 2018 के कोरेगांव भीमा हिंसा मामले की जांच कर रहे दो सदस्यीय न्यायिक आयोग ने सोमवार को प्रदेश सरकार से छह महीने के कार्यकाल विस्तार का अनुरोध किया क्योंकि उसने कोरोना वायरस के प्रकोप और उसके कारण लॉकडाउन को देखते हुए अपनी सुनवाई टाल दी है।
आयोग ने सोमवार को राज्य के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर कार्यकाल बढ़ाने की बात कही।
आयोग के सचिव वी वी पालनितकर के हस्ताक्षर वाले पत्र में कहा गया, “कोरोना वायरस महामारी और पूर्ण बंद के मद्देनजर आयोग ने अपनी कार्यवाही अगले आदेश तक रोक दी है। ऐसे में आयोग कोई भी रिपोर्ट देने में सक्षम नहीं है।”
इसमें कहा गया, “राज्य सरकार द्वारा कार्यकाल बढ़ाया जाता है तो आयोग पुलिस, प्रशासन और प्रमुख राजनेताओं समेत 40-50 और गवाहों से पूछताछ का इरादा रखता है। इस उद्देश्य के लिये आयोग को करीब छह और महीने का वक्त चाहिए होगा।”
पुणे में एक जनवरी 2018 को कोरेगांव-भीमा युद्ध के 200 साल पूरा होने पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान कोरेगांव-भीमा और आसपास के इलाकों में हिंसा हुई थी। इन दंगों में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी जबकि कई अन्य घायल हो गए थे।
महाराष्ट्र सरकार ने हिंसा की जांच के लिए फरवरी 2018 में दो सदस्यीय आयोग गठित किया था।
आयोग की अध्यक्षता उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश जे एन पटेल कर रहे हैं। पूर्व मुख्य सचिव सुमित मलिक इसके सदस्य हैं। आयोग को तब से चार बार विस्तार मिल चुका है।
आयोग को पिछले महीने आठ अप्रैल तक अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिये आखिरी बार विस्तार दिया गया था।
आयोग ने राकांपा प्रमुख शरद पवार को 18 मार्च को नोटिस जारी कर चार अप्रैल तक उसके समक्ष गवाह के तौर पर पेश होने को कहा था।
पवार के अलावा आयोग ने पुणे ग्रामीण के पुलिस अधिकारियों को भी तलब किया था।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
आयोग ने सोमवार को राज्य के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर कार्यकाल बढ़ाने की बात कही।
आयोग के सचिव वी वी पालनितकर के हस्ताक्षर वाले पत्र में कहा गया, “कोरोना वायरस महामारी और पूर्ण बंद के मद्देनजर आयोग ने अपनी कार्यवाही अगले आदेश तक रोक दी है। ऐसे में आयोग कोई भी रिपोर्ट देने में सक्षम नहीं है।”
इसमें कहा गया, “राज्य सरकार द्वारा कार्यकाल बढ़ाया जाता है तो आयोग पुलिस, प्रशासन और प्रमुख राजनेताओं समेत 40-50 और गवाहों से पूछताछ का इरादा रखता है। इस उद्देश्य के लिये आयोग को करीब छह और महीने का वक्त चाहिए होगा।”
पुणे में एक जनवरी 2018 को कोरेगांव-भीमा युद्ध के 200 साल पूरा होने पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान कोरेगांव-भीमा और आसपास के इलाकों में हिंसा हुई थी। इन दंगों में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी जबकि कई अन्य घायल हो गए थे।
महाराष्ट्र सरकार ने हिंसा की जांच के लिए फरवरी 2018 में दो सदस्यीय आयोग गठित किया था।
आयोग की अध्यक्षता उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश जे एन पटेल कर रहे हैं। पूर्व मुख्य सचिव सुमित मलिक इसके सदस्य हैं। आयोग को तब से चार बार विस्तार मिल चुका है।
आयोग को पिछले महीने आठ अप्रैल तक अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिये आखिरी बार विस्तार दिया गया था।
आयोग ने राकांपा प्रमुख शरद पवार को 18 मार्च को नोटिस जारी कर चार अप्रैल तक उसके समक्ष गवाह के तौर पर पेश होने को कहा था।
पवार के अलावा आयोग ने पुणे ग्रामीण के पुलिस अधिकारियों को भी तलब किया था।
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