खतरे में चॉकलेट का अस्तित्व, बस अब है कुछ साल की मेहमान

punjabkesari.in Thursday, Jan 11, 2018 - 05:56 PM (IST)

सिडनी/लंदनः बच्चों, बड़ों और बूढ़ों सबकी प्रिय चॉकलेट का अस्तित्व खतरे में नजर आ रहा है। जी हां चॉकलेट पर आई एक नई रिपोर्ट  के मुताबिक वर्ष 2050 आते-आते चॉकलेट का उत्पादन लगभग ख़त्म हो सकता है यानी चॉकलेट अब करीब 30 से 32 साल की मेहमान है।  लेकिन ज़रा सोचिए आने वाले समय में अगर चॉकलेट दुनिया से खत्म हो गई तो क्या होगा। चॉकलेट Cocoa नामक एक फल के बीज से बनती है लेकिन ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु में आ रहे बदलाव की वजह से Cocoa की फसल बर्बाद हो रही है। बढ़ते तापमान के कारण Cocoa के पेड़ों का फलना-फूलना कम हो गया है जिसका असर उसके फल पर हो रहा है। 

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आसान शब्दों में कहा जाए तो चॉकलेट को ग्लोबल वॉर्मिंग की नज़र लग गई है।  हालांकि वैज्ञानिक Cocoa की फसल को बचाने की कोशिश में लगे हुए हैं। वो Gene Editing तकनीक की मदद से इस पौधे के genes को बदलना चाहते हैं ताकि ये पौधा गर्म जलवायु के मुताबिक खुद को ढाल ले  लेकिन इसमें अभी बहुत वक़्त लगेगा। चॉकलेट ज़िंदा रहेगी या इतिहास की वस्तु बनेगी ये बात अभी 100 प्रतिशत गांरटी के साथ नहीं कही जा सकती।  

दिलचस्प और ऐतिहासिक है चॉकलेट का सफर
लेकिन एक बात गारंटी के साथ कही जा सकती है कि चॉकलेट का ये सफर दिलचस्प और ऐतिहासिक है। कहा जाता है कि Cocoa के पेड़ की खोज करीब 4 हज़ार साल पहले 1900 ईसा पूर्व में Mexico के जंगलों में हुई थी। ये ऐसे इलाक़े थे जहां बारिश बहुत ज़्यादा होती थी। शुरुआती दौर में चॉकलेट का स्वाद Spicy यानी तीखा हुआ करता था और इसे पिया जाता था। Mexico और मध्य अमरीका के आदिवासी Cocoa के बीजों को पीसकर उनका पेस्ट बनाते थे और फिर इसमें पानी शहद और मिर्च मिलाकर एक चॉकलेट ड्रिंक तैयार किया जाता था। हैरानी की बात ये है कि मीठी और स्वादिष्ट चॉकलेट का स्वाद दुनिया ने करीब 3700 वर्षों के बाद चखा।

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सन 1528 में स्पेन ने Mexico पर हमला किया और उस पर कब्जा कर लिया। इस दौरान स्पेन का राजा भारी मात्रा में Cocoa के बीज और चॉकलेट बनाने के यंत्रों को अपने साथ ले गया। कुछ ही समय में चॉकलेट .स्पेन में अमीर लोगों का मनपसंद Drink बन गया। कहा जाता है कि सन 1606 में इटली के एक व्यापारी ने Mexico की यात्रा की और इस दौरान उसने लोगों को चॉकलेट बनाते हुए देखा। इसके बाद इस व्यापारी ने  इटली में भी चॉकलेट का प्रचार कि‍या। इससे चॉकलेट पर स्पेन का एकाधिकार ख़त्म हो गया। 

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इस घटना के 9 वर्ष बाद सन 1615 में चॉकलेट का स्वाद इटली से होता हुआ फ्रांस पहुंच गया और सन 1650 में इंग्लैंड ने पहली बार चॉकलेट का स्वाद चखा। इसके बाद Ireland के एक चिकित्सक ने पहली बार चॉकलेट में दूध और चीनी इस्तेमाल किया और इसे एक मीठा ड्रिंक बना दिया। 1824 में Cadbury Brothers ने इस फॉर्मूले को अपनाया और chocolate drink बनाकर बेचना शुरू कर दिया।  इसके बाद 1847 में एक British chocolate company. ने पहली बार खाने लायक मीठी chocolate bar तैयार की और फिर पूरी दुनिया में चॉकलेट का व्यापार तेज़ी से बढ़ने लगा। 

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 करोड़ों लोगों की नौकरी को ख़तरे में
भारत में चॉकलेट का व्यापार हर साल 21 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है और इस साल के अंत तक ये व्यापार करीब 20 हज़ार 480 करोड़ रुपए का हो जाएगा।वर्ष 2015-16 में भारत में चॉकलेट बनाने के लिए करीब 17 हज़ार टन Cocoa का उत्पादन किया गया था,  जबकि दुनिया में इसकी सबसे ज़्यादा पैदावार पश्चिमी अफ्रीका के देश Ivory Coast  में होती है। इस देश में दुनिया के करीब 32 प्रतिशत Cocoa का उत्पादन किया जाता है। दुनिया में करीब 4 से 5 करोड़ लोग चॉकलेट तैयार करने के व्यापार से जुड़े हुए हैं।यानी global warming और जलवायु परिवर्तन ने करोड़ों लोगों की नौकरी को ख़तरे में डाल दिया है
 


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