मैसूर लांसर्स सैनिकों के वंशजों ने इजराइली शहर हाइफा को मुक्त कराने में उनकी भूमिका को याद किया

punjabkesari.in Friday, Sep 23, 2022 - 08:03 PM (IST)

बेंगलुरु, 23 सितंबर (भाषा) मैसूर लांसर्स के सैनिकों के वंशजों ने 1918 में इजराइली शहर हाइफा को मुक्त कराने और बहाई समुदाय के आध्यात्मिक गुरु अब्दुल बाहा को बचाने में अपने पूर्वजों की भूमिका को शुक्रवार को याद किया।

हर साल 23 सितंबर हाइफा दिवस के रूप में मनाया जाता है। बेंगलुरु में आर टी नगर के पास मैसूर लांसर्स हाइफा मेमोरियल स्थित है।

यह स्मारक (मेमोरियल) मैसूर लांसर्स (मैसुरु के तत्कालीन महाराजा, नलवडी कृष्णराजा वाडियार की निजी सेना) के उन बहादुर सैनिकों की याद में बनाया गया है, जिन्होंने 104 साल पहले तुर्की साम्राज्य से हाइफा को मुक्त कराने में अदम्य साहस एवं वीरता का प्रदर्शन किया था।

मैसूर राजपरिवार के एक सदस्य ने बताया कि प्रथम विश्व युद्ध में मित्र राष्ट्रों, मैसूर लांसर्स ने जोधपुर कैवलरी और ब्रिटिश 15वीं इंपीरियल सर्विस कैवलरी ब्रिगेड के सैनिकों के साथ हाफिया के अंदर और चारों ओर तुर्की के सैन्य मोर्चों पर धावा बोला था।

उनके मुताबिक, प्रथम विश्व युद्ध ने ब्रिटिश 15वीं इंपीरियल सर्विस कैवलरी ब्रिगेड ने तुर्क और जर्मन सैनिकों को हराने तथा सामरिक रूप से महत्वपूर्ण शहर दमिश्क, यरूशलम, टिगरिस, बगदाद, मैसोपोटामिया और कुट अल अमारा को मुक्त कराने का मार्ग प्रशस्त किया था।

हाइफा की मुक्ति के लिए किये गये युद्ध में भाग लेने वाले परशुराम सिंह की एक करीबी रिश्तेदार अनुपम सिंह ने कहा कि 1892 में गठित किये गये मैसूर लांसर्स ने दुश्मनों को हराने में और बंधक बना लिये गये अब्दुल बाहा को छुड़ाने में अहम भूमिका निभाई थी।

सिंह ने कहा, ‘‘हाइफा की लड़ाई में परशुराम सिंह बुरी तरह से घायल हो गये थे। उन्हें मृत मान कर शवों के ढेर के बीच फेंक दिया गया था। लेकिन बाद में उनके साथियों ने उन्हें बचा लिया था।’’
मैसूर लांसर्स के योगदान को याद करने के लिए मैसूर लांसर्स हेरिटेज फाउंडेशन ने हाइफा मेमोरियल में शुक्रवार को एक कार्यक्रम का आयोजन किया।


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PTI News Agency

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