नौकरी गंवाने वाला सहायक अभियंता अदालती आदेश की बदौलत जूनियर इंजीनियर बना

punjabkesari.in Tuesday, May 10, 2022 - 06:15 PM (IST)

बेंगलुरु, 10 मई (भाषा) एक सहायक अभियंता (असिस्टेंट इंजीनियर), जिसने दूरस्थ शिक्षा के जरिये हासिल बीटेक की डिग्री के अमान्य होने के कारण अपनी नौकरी गंवा दी थी, अब कर्नाटक उच्च न्यायालय के एक फैसले के कारण कम से कम कनिष्ठ अभियंता (जूनियर इंजीनियर) तो बन ही जाएगा।

दरअसल, अभियंता देवराज केआर ने सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा भी कर रखा था और चूंकि उसने कर्नाटक सरकार की एक एजेंसी में पांच साल सेवाएं दी थीं, इसलिए उच्च न्यायालय ने आदेश दिया कि उसे एक ऐसे पद पर दोबारा नियुक्त करने पर विचार किया जाना चाहिए, जो बीटेक की डिग्री के बजाय डिप्लोमा के अनुरूप हो।
देवराज ने कर्नाटक शहरी जल आपूर्ति एवं ड्रेनेज बोर्ड (केयूडब्ल्यूएसडीबी) में सहायक अभियंता (सिविल) के एक बैकलॉग पद के लिए आवेदन किया था। जुलाई 2016 में सीधी भर्ती के तहत उसकी नियुक्ति की गई थी।

हालांकि, सितंबर 2019 में केयूडब्ल्यूएसडीबी के प्रबंध निदेशक ने देवराज को एक कारण बताओ नोटिस जारी किया, क्योंकि कर्नाटक राज्य मुक्त विश्वविद्यालय (केएसओयू) से प्राप्त उसकी बैचलर ऑफ टेक्नोलॉजी (बीटेक) की डिग्री अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) द्वारा अनुमोदित नहीं है।

कारण बताओ नोटिस के जवाब में देवराज द्वारा दी गई दलीलें खारिज कर दी गई थीं और 13 जुलाई 2021 को जारी एक आदेश में उन्हें सहायक अभियंता के पद के लिए अयोग्य करार दिया गया था।
देवराज ने खुद को नौकरी से निकाले जाने के फैसले के खिलाफ कर्नाटक उच्च न्यायालय का रुख किया।

उसने तर्क दिया कि हालांकि, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने 2012-13 तक जारी केएसओयू के प्रमाणपत्रों को अमान्य घोषित कर दिया था, लेकिन बाद में कर्नाटक सरकार ने फैसला किया था कि केएसओयू के प्रमाणपत्र पूरे राज्य में वैध/मान्य होंगे।

वहीं, केयूडब्ल्यूएसडीबी ने दलील दी कि सर्वोच्च न्यायालय ने उड़ीसा लिफ्ट सिंचाई निगम मामले में कहा था कि दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से पढ़ाई के दौरान तकनीकी विषयों में जारी प्रमाणपत्र स्पष्ट रूप से यूजीसी और एआईसीटीई द्वारा मान्य नहीं हैं।
देवराज के वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल के पास दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से हासिल बीटेक की डिग्री के अलावा सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा भी है और चूंकि, देवराज पहले ही पांच साल की सेवा दे चुके हैं, ऐसे में उन्हें नौकरी जारी रखने की अनुमति दी जानी चाहिए।
बदले में केयूडब्ल्यूएसडीबी ने कहा कि डिप्लोमा उसे सहायक अभियंता के पद के लिए योग्य नहीं बनाता है।

न्यायमूर्ति आर देवदास ने अपने फैसले में सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा के आधार पर देवराज को कनिष्ठ अभियंता के पद पर नियुक्त करने का आदेश दिया। उन्होंने कहा कि नियुक्ति देवराज की मूल नियुक्ति की तिथि से प्रारंभ मानी जाएगी।



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