केंद्र ने पेगासस पर सिद्धारमैया की अर्जी को कर्नाटक सरकार के पास भेजा
punjabkesari.in Saturday, Nov 06, 2021 - 05:59 PM (IST)
बेंगलुरु, छह नवंबर (भाषा) पेगासस स्पाइवेयर के माध्यम से कथित जासूसी और निगरानी की जांच कराने संबंधी पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की अर्जी को गृह मंत्रालय ने कर्नाटक सरकार को भेज दिया और कहा कि पुलिस और सार्वजनिक व्यवस्था राज्य के विषय हैं।
कर्नाटक विधानसभा में विपक्ष के नेता ने राज्यपाल थावरचंद गहलोत के माध्यम से राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के समक्ष 22 जुलाई को अर्जी दायर कर पेगासस के माध्यम से ‘‘अवैध’’ जासूसी और निगरानी पर उच्चतम न्यायालय के एक मौजूदा न्यायाधीश द्वारा न्यायिक जांच की मांग की थी।
उस दिन बाद में कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने राजभवन तक एक मार्च निकाला और गहलोत को अपनी अर्जी सौंपी, जिसे राष्ट्रपति कोविंद को संबोधित किया गया था।
अर्जी राष्ट्रपति सचिवालय द्वारा गृह मंत्रालय को भेजी गई थी, जिसने हाल में कर्नाटक के मुख्य सचिव पी रवि कुमार को एक पत्र भेजा था और इसकी एक प्रति सिद्धारमैया को भेजी गई थी।
मंत्रालय ने कहा, ‘‘क्योंकि ‘पुलिस’ और ‘सार्वजनिक व्यवस्था’ भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची के तहत राज्य के विषय हैं, इसलिए संबंधित राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि वह अपराध को रोकें, पता लगाएं, दर्ज करें और जांच करें और इसमें शामिल अपराधियों पर मुकदमा चलाएं।’’
सिद्धारमैया के करीबी सूत्रों ने कहा कि वह पत्र पर आपत्ति उठा सकते हैं क्योंकि मामला ‘केंद्र और राज्य के विषय’ से संबंधित है, जिस पर केवल केन्द्र गौर कर सकता है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने 22 जुलाई को राष्ट्रपति को लिखे अपने पत्र में कहा कि देश के लोग 18 जुलाई, 2021 को यह जानकर हैरान हैं कि दुनियाभर के प्रकाशनों में खबरों की श्रृंखला से पता चला है कि विभिन्न व्यक्तित्वों के 1,000 से अधिक भारतीय मोबाइल नंबर हैं। इजरायली कंपनी के एनएसओ ग्रुप के पेगासस स्पाइवेयर का उपयोग करके विपक्षी पार्टी के नेताओं, केंद्रीय मंत्रियों, उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों, पत्रकारों, चुनाव आयोग के सदस्यों और देश के अन्य प्रतिष्ठित और महत्वपूर्ण व्यक्तियों सहित कई लोगों की निगरानी की गई थी।
सिद्धारमैया ने राष्ट्रपति को लिखे अपने पत्र में लिखा, ‘‘पेगासस स्पाइवेयर एक वाणिज्यिक कंपनी है, जो भुगतान किए गए अनुबंधों पर काम करती है। सवाल उठता है कि उन्हें ‘भारतीय ऑपरेशन’ के लिए भुगतान किसने किया। अगर यह भारत सरकार नहीं है, तो यह कौन है?’’
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
कर्नाटक विधानसभा में विपक्ष के नेता ने राज्यपाल थावरचंद गहलोत के माध्यम से राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के समक्ष 22 जुलाई को अर्जी दायर कर पेगासस के माध्यम से ‘‘अवैध’’ जासूसी और निगरानी पर उच्चतम न्यायालय के एक मौजूदा न्यायाधीश द्वारा न्यायिक जांच की मांग की थी।
उस दिन बाद में कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने राजभवन तक एक मार्च निकाला और गहलोत को अपनी अर्जी सौंपी, जिसे राष्ट्रपति कोविंद को संबोधित किया गया था।
अर्जी राष्ट्रपति सचिवालय द्वारा गृह मंत्रालय को भेजी गई थी, जिसने हाल में कर्नाटक के मुख्य सचिव पी रवि कुमार को एक पत्र भेजा था और इसकी एक प्रति सिद्धारमैया को भेजी गई थी।
मंत्रालय ने कहा, ‘‘क्योंकि ‘पुलिस’ और ‘सार्वजनिक व्यवस्था’ भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची के तहत राज्य के विषय हैं, इसलिए संबंधित राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि वह अपराध को रोकें, पता लगाएं, दर्ज करें और जांच करें और इसमें शामिल अपराधियों पर मुकदमा चलाएं।’’
सिद्धारमैया के करीबी सूत्रों ने कहा कि वह पत्र पर आपत्ति उठा सकते हैं क्योंकि मामला ‘केंद्र और राज्य के विषय’ से संबंधित है, जिस पर केवल केन्द्र गौर कर सकता है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने 22 जुलाई को राष्ट्रपति को लिखे अपने पत्र में कहा कि देश के लोग 18 जुलाई, 2021 को यह जानकर हैरान हैं कि दुनियाभर के प्रकाशनों में खबरों की श्रृंखला से पता चला है कि विभिन्न व्यक्तित्वों के 1,000 से अधिक भारतीय मोबाइल नंबर हैं। इजरायली कंपनी के एनएसओ ग्रुप के पेगासस स्पाइवेयर का उपयोग करके विपक्षी पार्टी के नेताओं, केंद्रीय मंत्रियों, उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों, पत्रकारों, चुनाव आयोग के सदस्यों और देश के अन्य प्रतिष्ठित और महत्वपूर्ण व्यक्तियों सहित कई लोगों की निगरानी की गई थी।
सिद्धारमैया ने राष्ट्रपति को लिखे अपने पत्र में लिखा, ‘‘पेगासस स्पाइवेयर एक वाणिज्यिक कंपनी है, जो भुगतान किए गए अनुबंधों पर काम करती है। सवाल उठता है कि उन्हें ‘भारतीय ऑपरेशन’ के लिए भुगतान किसने किया। अगर यह भारत सरकार नहीं है, तो यह कौन है?’’
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