कर्नाटक विधानसभा ने एपीएमसी कानून में संशोधन को मंजूरी दी
punjabkesari.in Saturday, Sep 26, 2020 - 08:51 PM (IST)
बेंगलुरु, 26 सितंबर (भाषा) विपक्षी कांग्रेस और जद(एस) के वाकआउट के बीच कर्नाटक विधानसभा ने शनिवार को कृषि उत्पाद विपणन समिति (एपीएमसी) कानून में संशोधन को मंजूरी दे दी । इसके जरिए निजी क्षेत्र को कृषि उपज की खरीदारी के लिए सीधे किसानों का रूख करने की आजादी दी गयी है ।
कांग्रेस और जद (एस) ने आरोप लगाया कि सरकार ने पूंजीपतियों और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के दबाव में घुटना टेक दिया है ।
विपक्ष के नेता सिद्धरमैया ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के निजी सचिव ने चार मई 2020 को राज्य सरकार को पत्र लिखकर एपीएमसी और श्रम सुधारों में संशोधन के लिए विधेयक लाने को कहा था।
उन्होंने कहा, ‘‘किसानों ने विधेयक की मांग नहीं की थी।’’
उन्होंने कहा कि सरकार को किसानों का भविष्य कारेाबारी घरानों के हाथों में सौंपने के बजाए कृषि उत्पाद विपणन समितियों को मजबूत करना चाहिए ।
जद(एस) के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी ने कहा कि बिहार सरकार ने 2006 में एपीएमसी को खत्म कर दिया था ताकि किसान सीधे कारोबारियों से सौदा कर सके।
उन्होंने आरोप लगाया कि इस फैसले से किसानों की स्थिति और बदहाल हो गयी क्योंकि उन्हें उचित बाजार ही नहीं मिला ।
कुमारस्वामी ने कहा, ‘‘मेरे पास सूचना है कि वहां के किसानों को पंजाब और हरियाणा में अपनी उपज बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा।’’
सहकारिता मंत्री एस टी सोमशेखर ने कहा कि संशोधन करना जरूरी था क्योंकि किसान और व्यापारियों को यातायात पुलिस और सतर्कता विभाग के अधिकारी ‘‘परेशान’’ करते थे।
उन्होंने कहा, ‘‘संशोधन करने से कोई भी व्यक्ति एक पैन कार्ड के साथ किसानों के साथ व्यापार कर सकता है। किसानों को कोई परेशानी नहीं होगी।’’
विपक्ष ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए वाकआउट कर दिया ।
सरकार ने इस सत्र में कृषि क्षेत्र से जुड़े दो महत्वपूर्ण संशोधन विधेयक पेश किए । इसमें एक कर्नाटक भूमि सुधार कानून और एपीएमसी कानून है।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
कांग्रेस और जद (एस) ने आरोप लगाया कि सरकार ने पूंजीपतियों और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के दबाव में घुटना टेक दिया है ।
विपक्ष के नेता सिद्धरमैया ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के निजी सचिव ने चार मई 2020 को राज्य सरकार को पत्र लिखकर एपीएमसी और श्रम सुधारों में संशोधन के लिए विधेयक लाने को कहा था।
उन्होंने कहा, ‘‘किसानों ने विधेयक की मांग नहीं की थी।’’
उन्होंने कहा कि सरकार को किसानों का भविष्य कारेाबारी घरानों के हाथों में सौंपने के बजाए कृषि उत्पाद विपणन समितियों को मजबूत करना चाहिए ।
जद(एस) के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी ने कहा कि बिहार सरकार ने 2006 में एपीएमसी को खत्म कर दिया था ताकि किसान सीधे कारोबारियों से सौदा कर सके।
उन्होंने आरोप लगाया कि इस फैसले से किसानों की स्थिति और बदहाल हो गयी क्योंकि उन्हें उचित बाजार ही नहीं मिला ।
कुमारस्वामी ने कहा, ‘‘मेरे पास सूचना है कि वहां के किसानों को पंजाब और हरियाणा में अपनी उपज बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा।’’
सहकारिता मंत्री एस टी सोमशेखर ने कहा कि संशोधन करना जरूरी था क्योंकि किसान और व्यापारियों को यातायात पुलिस और सतर्कता विभाग के अधिकारी ‘‘परेशान’’ करते थे।
उन्होंने कहा, ‘‘संशोधन करने से कोई भी व्यक्ति एक पैन कार्ड के साथ किसानों के साथ व्यापार कर सकता है। किसानों को कोई परेशानी नहीं होगी।’’
विपक्ष ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए वाकआउट कर दिया ।
सरकार ने इस सत्र में कृषि क्षेत्र से जुड़े दो महत्वपूर्ण संशोधन विधेयक पेश किए । इसमें एक कर्नाटक भूमि सुधार कानून और एपीएमसी कानून है।
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