पूर्व कमांडर ने खोली पोल-कश्मीर में जंग के लिए तालिबान के सामने गिड़गिड़ाया था पाकिस्तान

punjabkesari.in Sunday, Sep 06, 2020 - 02:15 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्कः कश्मीर और आतंकवाद के मुद्दे पर भले ही पाकिस्तान दुनिया के सामने हजारों झूठ बोले लेकिन हमेशा वो बेनकाब हो जाता है और सच सबके सामने आ जाता है। पूर्व तालिबान कमांडर एहसानुल्लाह एहसान ने भी पाकिस्तान की पोल खोली है। पूर्व तालिबान कमांडर एहसानुल्लाह इस साल फरवरी में पाकिस्तान की सेना के सेफहाउस से फरार हो गया था, अब उसने बयान जारी कर पाकिस्तान के आतंकी चेहरे को सबके सामने बेपर्दा किया है। उसने बताया है कि कैसे पाकिस्तान की सेना और ISI ने भारत और अमेरिका की सेना को निशाना बनाने के लिए कई आतंकी संगठनों का सहारा लिया।

 

द संडे गार्जियन को उसने पूरी कहानी बताते हुए कहा कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI ने तालिबान से लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद की तरह कश्मीर में भारत के खिलाफ लड़ने की अपील की थी। उसने बताया कि साल 2011 में उत्तर वजीरिस्तान के मीरानशाह बाजार में एहसान के वॉकी-टॉकी पर तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के सीनियर नेता मौलाना वली-उर-रहमान महसूद के सेक्रटरी की कॉल आई। उन्होंने एहसान से मिलने पर जोर दिया और आधे घंटे में वहां आ पहुंचे। सेक्रटरी ने बताया कि मौलाना वली उससे मिलना चाहते है। सेक्रटरी ने यह भी बताया कि एहसान से मिलने के लिए अमीर हकीमुल्लाह महसूद भी आने वाले हैं। मिलने के लिए जो जगह तय की गई थी वहां पहुंचने से 5 मिनट पहले एहसान के पास हकीमुल्लाह के दायें हाथ लतीफ महसूद का फोन आया और बताया गया कि सुरक्षा कारणों से मिलने की जगह बदल दी गई है। जब मीटिंग हुई तो एहसान को DG ISI जनरल शूजा पाशा का मौलाना वली-उर-रहमान को लिखा खत दिखाया गया।

 

इसमें शूजा ने TTP नेतृत्व को ऑफर दिया था कि अगर TTP पाकिस्तान के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष को खत्म कर देगा तो न सिर्फ ISI उन्हें अफगानिस्तान में NATO बलों से बचाने में मदद करेगा बल्कि वित्तीय और सैन्य सहयोग भी देगा। शूजा ने खत में लिखा कि TTP और पाकिस्तानी सेना को आपसी गलतफहमी खत्म कर साथ में काम करना चाहिए और अमेरिका और NATO को अफगानिस्तान से बाहर करना चाहिए। इतना ही नहीं खत में पाशा ने 'भारत अधिकृत' कश्मीर में हो रहे 'अत्याचार' का जिक्र करते हुए लिखा था कि रहमान के पूर्वजों ने कश्मीर की आजादी की लड़ाई लड़ी थी क्योंके वे देशभक्त थे। पाशा ने रहमान से भारत के खिलाफ 'गजवा-ए-हिंद' की जंग में शामिल होने की अपील की थी और इसे 'काफिरों और कई भगवानों को मानने वालों' के खिलाफ जिहाद का नाम दिया था।

 

पाशा ने खत में लिखा था कि पाकिस्तान समर्थित संगठन (लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद) भारत के खिलाफ कश्मीर में लड़ रहे हैं। पाशा ने यह भी माना था कि अंतर्राष्ट्रीय दबाव के बावजूद पाकिस्तान की सेना इन लोगों की मदद कर रही थी क्योंकि वे पाकिस्तान के लिए लड़ रहे हैं। एहसानुल्लाह ने बताया कि इस मीटिंग के बाद फैसला लिया गया कि पाकिस्तान का यह ऑफर हमें स्वीकार नहीं। इसके बाद पाकिस्तान में इस्लामिक व्यवस्था के लिए सशस्त्र जिहाद जारी रखने का फैसला किया गया। बता दें कि एहसानुल्लाह साल 2012 में मलाला यूसुफजई पर हमले और 2014 में पेशावर में सैन्य स्कूल में जानलेवा हमले के लिए जिम्मेदार है।


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Seema Sharma

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